सरकार प्रवासीमजदूरों की मुसीबत दूर करे

सरकार प्रवासी मजदूरों की मुसीबत दूर करे कमठा मजदूर यूनियन बाड़मेर के अध्यक्ष लक्ष्मण बडेरा ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखकर यह मांग की है कि मजदूर पूरे भारत में अभी मुसीबत में है एक तरफ मजदूरों को उनके मालिकों ने काम से बेदखल कर दिया है और दूसरी तरफ सरकार के आदेश के बावजूद इन मजदूरों को लोक डाउन अवधि का भुगतान नहीं दीया मजदूर दोहरी मुसीबत में है मजदूर ना तो घर का रहा ना घाट का रहा मालिक के जहां पर काम करते थे उसके काम धंधे लोक डाउन की वजह से बंद हो गए इसलिए मालिक ने काम से बेदखल कर दिया और सरकार ने जो आदेश दिया था कि प्रत्येक कंपनी का मालिक या नियोक्ता किसी भी मजदूर को मजदूरी से बेदखल नहीं करेगा और लॉक डाउनलोड अवधि का भुगतान करेगा मजदूर नेता लक्ष्मण वडेरा ने बहुत ही अफसोस के साथ में कहा है कि सरकार के उस आदेश का कोई भी असर कंपनी के मालिकों पर नहीं हुआ है कंपनी मालिक कौन है देश में किसी भी मजदूर का लोक डाउन अवधि का भुगतान नहीं किया इस कारण मजदूर दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर है भारत के प्रधानमंत्री ने 14 अप्रैल तक लोक डाउन की घोषणा की थी 14 अप्रैल को जब लोक डाउन नहीं खुला और सरकार ने उसे आगे बढ़ा दिया इस घोषणा से मजदूरों का मनोबल गिर गया प्रवासी मजदूरों का वहां की सरकार के रिकॉर्ड में उस मजदूर का नाम नहीं है और जिस कंपनी मालिक के यहां पर नाम है उसने उसको छोड़ दिया सरकार ने मजदूर को उसके घर तक पहुंचाने की कोई व्यवस्था नहीं की और मजदूर और मजदूर का परिवार दोनों अलग-अलग जगह तड़प रहे हैं इस मजदूरों की मुश्किलों को सरकार अनदेखी कर रही है इस अनदेखी के कारण आज पूरे देश के अंदर मजदूर रेले के रूप में सड़कों पर नंगे पैर चल रहे हैं और सरकार मजदूरों को किसी भी तरीके से भरोसा वह विश्वास नहीं दिला पाई सरकार ने लोक डाउन करके पुलिस के हाथ में डंडा थमा दिया पुलिस अपना सारा गुस्सा मजदूरों के ऊपर निकाल रही है इस वजह से पूरे देश के अंदर मजदूर अलग-अलग राज्यों के अंदर अंदर ही अंदर तड़प तड़प कर रो रहे हैं मजदूर नेता ने सरकार से मांग की है कि मजदूरों की समस्याओं को गंभीरता से लें और प्रवासी मजदूर जो जहां भी हैं उन मजदूरों को तत्काल मेडिकल फैसिलिटी उपलब्ध करवाई जाए तथा सभी मजदूरों को उनके मालिक से लॉक डाउन अवधि का भुगतान दिलाया जाए अगर मालिक नहीं मिलता है तो सरकार उसका भुगतान करें और अगर इस पर भी अगर सफल रहती है दो मजदूरों को उनके घरों तक सरकार को पहुंचाना चाहिए अन्यथा मजदूर सड़क और बेधड़क होकर निकलेगा जिसकी सारी जिम्मेदारी सरकार की होगी

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