जयपुर। मुख्यमंत्राी अशोक गहलोत ने कहा कि मानव अधिकारों की रक्षा एवं इसके प्रति आमजन में जागरूकता बढ़ाने के लिए राज्य सरकार के साथ-साथ सामाजिक, गैर सरकारी संगठनों एवं आम आदमी को भी अपना महत्वपूर्ण योगदान देने की महती आवश्यकता है। गहलोत सोमवार को यहां पुलिस अकादमी सभागार में राजस्थान राज्य मानव अधिकार आयोग के तत्वावधान में अन्तर्राष्ट्रीय मानव अधिकार दिवस के अवसर पर ‘परम्पराएं एवं मानव अधिकार’ विषय पर संगोष्ठी में मुख्य अतिथि के रूप में विचार प्रकट कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने मानव अधिकारों की रक्षा के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाते हुए इसे विषय के रूप में स्कूली पाठ्यक्रमों में शामिल किया है। उन्होंने कहा कि हर व्यक्ति का स्वाभिमान एवं आत्म सम्मान बना रहे इसके लिए मानव अधिकारों की रक्षा होनी ही चाहिए। आज देश और दुनिया के अनेक देशों में जाने-अनजाने मानवाधिकार उल्लंघन की घटनाएं होती रहती हैं। समाज में व्याप्त मानव अधिकार हनन पर ध्यान देना केवल सरकार पर ही निर्भर नहीं रहे अपितु यह हर व्यक्ति की जिम्मेदारी है कि वह भी इस दिशा में अपने कर्त्तव्यों की पालना करें। श्री गहलोत ने इस दिशा में गैर सरकारी संगठनों की भूमिका को रेखांकित करते हुए कहा कि वर्ष 2009 में करवाये गये एक अध्ययन के अनुसार भारत में 3.3 मिलीयन एनजीओ थे, जिनकी संख्या पिछले 2 वर्षों में और भी अधिक बढ़ी है। राजस्थान में भी एक लाख से ज्यादा पंजीकृत एनजीओ हैं। ऐसे में इनकी संख्या देखते हुए हम इस बात का अंदाजा लगा सकते हैं कि मानव अधिकारों की रक्षा में इनका कितना महत्वपूर्ण योगदान हो सकता है। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी ने आजादी से बहुत पहले दक्षिण अफ्रीका में मानव अधिकारों की रक्षा के लिए अनशन किया तथा इसके विरूद्ध अहिंसात्मक आंदोलन से शुरूआत की। उन्होंने सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलकर देश को भी आजादी दिलाई। सत्य और अहिंसा का मानव अधिकार से गहरा रिश्ता है। जहां सत्य और अहिंसा होगी वहां सभी अन्याय स्वतः ही समाप्त होंगे क्यांेकि दुनिया में सत्य का कोई विकल्प नहीं हैं। उन्होंने कहा कि हमारे देश में परम्पराओं से जातिय आधार, कुप्रथाओं आदि के वजह से समाज में भेदभाव एवं छुआछूत जैसी घटनाओं की वजह से भी जाने-अनजाने में मानवाधिकार के हनन की घटनाएं हो जाती है। इन पर भी चर्चा होनी चाहिएं। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी के जमाने में इस प्रकार की रूढ़ीवादी परम्पराओं के विरुद्ध आंदोलन होते है। उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्रियों स्वर्गीय जयनारायण व्यास एवं हरिदेव जोशी का जिक्र करते हुए कहा कि इन दोनों ने हरिजनों को मंदिर में प्रवेश करवाकर एक संवेदनशील पहल की थी। उन्होंने कहा कि मानवाधिकार की रक्षा होनी चाहिए। आज फिर से रूढ़ियों और कुप्रथाओं के विरूद्ध आंदोलनों की जरूरत है।
गहलोत ने कहा कि मानवाधिकारों की रक्षा के लिए खाप पंचायत जैसी व्यवस्था किसी भी कीमत पर नहीं होनी चाहिए। कानून हाथ में लेने वालों पर रोक लगनी चाहिए। उन्होंने कहा कि
अन्तरजातीय विवाह पर जुल्म करने की घटनाएं निंदनीय हैं। ऐसे में जुल्म करने वाले परिवारों पर रोक लगनी चाहिए। उन्होंने कहा कि आज भी हमारी सामाजिक कुप्रथाओं की वजह से घर-घर में मानवाधिकारों का हनन हो रहा है। हरिजनों को दरियों पर नहीं बैठने दिया जाता। उन्होंने सामाजिक कार्यकर्ता अरूणा राय द्वारा शादियों में होने वाले दिखावे की चर्चा के संबंध में कहा कि आज समाज में दिखावा बढ़ता जा रहा है। ऐसे में शादियों पर करोड़ों रुपये खर्च हो रहे हैं जबकि दूसरी तरफ गरीबी की वजह से शादियां नहीं हो रही। इन सभी पर सोच-विचार के साथ ही सामाजिक क्रांति की भी जरूरत है।
मुख्यमंत्राी ने कहा कि आजादी के बाद देश में पहली बार कानून बनाकर अधिकार देने की शुरूआत हुई है। इसके तहत मनरेगा में सौ दिन के काम की गारन्टी, सूचना का अधिकार एवं शिक्षा का अधिकार मिला है जिसका लाभ सभी को उठाना चाहिए। प्रत्येक व्यक्ति का सामाजिक, आर्थिक एवं मानसिक विकास होना चाहिएं। राज्य सरकार मानवाधिकारों की रक्षा के लिये प्रयास कर रही है। प्रदेश में छुआछूत को दूर करने के लिये मैला ढोने की प्रथा को समाप्त करने के संवेदनशील प्रयास किये जा रहे है। उन्होंने कहा कि समाज में छुआछूत से बड़ा कोई कलंक नही हो सकता। मानवाधिकार का हनन नहीं हो, इस पर चोट करने पर ही मानवाधिकारों की रक्षा हो सकेगी। समय के साथ-साथ सब कुछ बदला है ऐसे में मानव-मानव के बीच भेदभाव को मिटाना जरूरी है। समाज में सुधार हो, लोगांे को समझाने से दिल बदल जाये इसके प्रयास होने चाहिएं। भारत जैसा देश पूरी दुनिया को कुटुम्ब मानने की अवधारणा पर चल रहा है।
इससे पहले राज्य मानव अधिकार आयोग के सदस्य डॉ. एम.के. देवराजन ने आयोग की स्थापना, मानव अधिकार दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रमों की जानकारी देते हुए बताया कि आयोग आमजन को मानव अधिकारों के प्रति और अधिक जागरूक बनाने के प्रयासों में जुटा हुआ है। उन्होंने कहा कि आज की संगोष्ठी में वक्ताओं के सुझावों पर विचार कर उन्हें लागू करने के प्रयास किये जायंेगें।
सामाजिक कार्यकर्ता एवं राष्ट्रीय सलाहकार परिषद की सदस्य डॉ. अरूणा रॉय ने मानव अधिकार दिवस को सभी के लिये महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि मानव अधिकार आयोग जनता से रिश्ता कायम करने के लिये मनरेगा की तर्ज पर संवाद करने का एक मंच बनाये। उन्होंने कहा कि संविधान, मानव अधिकार की रक्षा के लिया जा रहा संकल्प की हमारे व्यवहार में झलक होनी चाहिएं। उन्होंने कहा कि मानव अधिकार के हनन से दैनिक जीवन में बड़ा असर होता है। उन्होंने खाप पंचायतों द्वारा लिये जा रहे निर्णयों की आलोचना करते हुए कहा कि यह सुखद है कि राजस्थान अभी इससे बचा हुआ है।
उन्होंने कहा कि मानव अधिकार की रक्षा के लिये यह जरूरी है कि सामाजिक मुद्दांे पर हिंसा के माामलों में सम्बन्धित क्षेत्रा के पुलिस अधिकारी संवेदनशील हो। उन्होंने खासकर महिलाओं के प्रति अन्याय, दहेज प्रथा पर चिंता प्रकट करते हुए कहा कि दहेज देने वालों के विरूद्ध भी त्वरित कार्यवाही होनी चाहिए। उन्होंने सुझाव दिया कि मानव अधिकार आयोग, छुआछूत तथा भेदभाव के बारे में प्रकाशित समाचारों पर संज्ञान ले। उन्होंने राज्य में एक जनवरी से न्यूनतम मजदूरी बढ़ाकर मजदूरों को राहत देने की पहल पर मुख्यमंत्राी को बधाई भी दी। उन्होंने कहा कि मानव अधिकार की रक्षा करने वाले कार्यकर्ताओं, संगठनों के साथ ही सूचना के अधिकार के सिपाहियों की रक्षा के लिये कोई व्यवस्था बननी चाहिएं।
संगोष्ठी में मानव अधिकार आयोग के अध्यक्ष श्री एच.आर. कुड़ी ने बताया कि आयोग द्वारा तीन से दस दिसम्बर तक मानव अधिकार जागरूकता अभियान चलाया गया जिसके तहत इस विषय से जुड़े मुद्दों पर कार्यशालाएं, संगोष्ठियों आदि का आयोजन किया गया। जीवन में स्वतंत्राता, समानता एवं गरिमा सुनिश्चित करने का प्रावधान हमारे संविधान में किया गया है। इसी भावना के अनुसार आयोग आम आदमी को जागरुक बनाने के प्रयासों में जुटा हुआ है। आयोग ने गत एक वर्ष में नये पुराने 7 हजार 721 प्रकरणों में से 5 हजार 118 प्रकरणों का निस्तारण किया है। समाचार पत्रों में प्रकाशित अनेक प्रकरणों में स्वप्रेरणा से प्रसंज्ञान लिया गया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार आयोग की सिफारिशों पर विचार कर रही है।
इस अवसर पर राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष श्रीमती लाड कुमारी जैन, पुलिस महानिदेशक श्री हरीश चन्द्र मीणा, आज तक टीवी चैनल के कार्यकारी संपादक श्री प्रबल प्रताप सिंह, बीबीसी लन्दन के संवाददाता श्री नारायण बारेठ सहित पुलिस, प्रशासन, शैक्षणिक संस्थाओं, मानवाधिकार से जुड़े संगठनों के पदाधिकारीगण एवं बड़ी संख्या में छात्रा-छात्राएं उपस्थित थे।
राजस्थान राज्य भण्डार व्यवस्था निगम की ओर से लाभांश का चैक भेंट
जयपुर। अशोक गहलोत को सोमवार को यहां मुख्यमंत्राी कार्यालय में राजस्थान राज्य भण्डार व्यवस्था निगम की ओर से वर्ष 2011-12 के लिए राज्य सरकार के लाभांश का 98.15 लाख रूपये का चैक भेंट किया गया।
श्री गहलोत को यह चैक कृषि, पशुपालन एवं मत्स्य मंत्राी श्री हरजीराम बुरडक तथा राजस्थान राज्य भण्डार व्यवस्था निगम के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक श्री डी.बी.गुप्ता ने भेंट किया।
मुख्यमंत्राी ने वर्ष 2011-12 में करीब 18 करोड़ 25 लाख का लाभ प्राप्त करने के लिए निगम को बधाई दी। मुख्यमंत्राी को श्री गुप्ता ने बताया कि निगम उन कुछ चुनिंदा राजकीय उपक्रमों में से एक है जो पिछले 29 वर्षों से निरंतर लाभ में चल रहा है।
श्री गुप्ता ने बताया कि वित्तीय वर्ष 2010-11 में हुए करीब 10 करोड़ रूपये से बढ़कर यह लाभ करीब 18 करोड़ 25 लाख रूपये हो गया है। वित्तीय वर्ष 2011-12 में अंशधारकों को 25 प्रतिशत की दर से लाभांश भुगतान करने का निर्णय लिया गया है जबकि वर्ष 2010-11 में 20 प्रतिशत की दर से लाभांश दिया गया था। उन्होंने बताया कि वर्ष 2011-12 के लिए राज्य सरकार की अंशपूूंजी पर 25 प्रतिशत लाभांश की दर से 98.15 लाख राज्य सरकार को दिये जा रहे हैं।
उन्होंने बताया कि भण्डारगृहों के आधुनिकीकरण, कम्प्यूटराइजेशन एवं विभिन्न सुविधाओं को एक ही छत के नीचे उपलध कराने के लिए निजी क्षेत्रा के श्री शुभम लॉजिस्टिस लिमिटेड के साथ सहमति पत्रा (एमओयू) निष्पादित किया गया था जिसके सकारात्मक परिणाम सामने आये हैं। उन्होंने बताया कि एमओयू के तहत 38 भण्डारगृहों में गतिविधियों का संचालन शुभम लॉजिस्टिस लिमिटेड द्वारा किया जा रहा है जबकि निगम के पास 52 भण्डारगृह हैं।
इस अवसर पर राजस्थान राज्य भण्डार व्यवस्था निगम के कार्यकारी निदेशक श्री मधुकर शर्मा, शुभम लॉजिस्टिस लिमिटेड के कार्यकारी निदेशक श्री आदित्य बापना, राजस्थान राज्य भण्डार व्यवस्था निगम की वित्तीय सलाहकार श्रीमती रेखा भास्कर एवं अन्य उपस्थित थे।
बजट घोषणाओं की प्रभावी मॉनिटरिंग हो
जयपुर। मुख्यमंत्राी श्री अशोक गहलोत ने राज्य एवं केन्द्र सरकार के फ्लेगशिप कार्यक्रमों एवं राज्य की बजट घोषणाओं की समय पर सफल क्रियान्विती सुनिश्चित करने के साथ ही प्रभावी मॉनिटरिंग करने पर जोर दिया है जिससे राज्य सरकार आमजन को पारदर्शी, संवेदनशील एवं जवाबदेह सुशासन सुनिश्चित हो सके।
श्री गहलोत सोमवार सायं यहां शासन सचिवालय के कान्फ्रेन्स हॉल में मुख्य सचिव श्री सी.के. मैथ्यू द्वारा आयोजित उच्चाधिकारियों की बैठक में विचार प्रकट कर रहे थे। बैठक में सभी अतिरिक्त मुख्य सचिव, विभागों के प्रमुख शासन सचिव एवं शासन सचिव उपस्थित थे।
मुख्यमंत्राी ने कहा कि 13 दिसम्बर को राज्य सरकार के चार बर्ष पूरे हो रहे हैं। ऐसे में सभी जिलों में निर्धारित कार्यक्रमों का सफलता पूर्वक आयोजन हो। उन्होंने कहा कि 19 व 20 जनवरी,2013 को विभागवार उपलब्धियों, बजट घोषणाओं की क्रियान्विती, मुख्यमंत्राी, मंत्राी द्वारा विभिन्न कार्यक्रमों के दौरान की गयी घोषणाओं, फ्लेगशिप कार्यक्रमों तथा विभागों द्वारा नवाचार कर क्रियान्वित की जा रही योजनाओं का लेखा-जोखा सामने रखकर उन पर चर्चा की जायेगी। उन्होंने कहा कि हमारा कर्त्तव्य भी बनता है कि घोषणाओं समय पर क्रियान्विती हो।
उन्होंने कहा कि राज्य एवं केन्द्र सरकार के फ्लेगशिप कार्यक्रमों की और ज्यादा मॉनिटरिंग हो तथा जो बजट घोषणाएं पूरी नहीं हो सकी है, उन्हें जल्दी ही पूरी करने के संवेदनशील प्रयास किये जायें। उन्होंने कहा कि अधिकांश बजट घोषणाएं पूरी भी हुई हैं और घोषणा पत्रा में जो वायदे किये गये थे वे भी पूरे हुए हैं फिर भी जो बचे है उनकी समीक्षा करें कि किस वजह से कोई घोषणा अथवा वादा पूरा नही हुआ। उस पर ध्यान दिया जाये जिससे उन्हें पूरा किया जा सके। उन्होंने
कहा कि हमारी योजनाओं एवं बजट घोषणाओं का समय पर असर होना चाहिए जिससे आमजन को राहत मिल सके।
श्री गहलोत ने कहा कि प्रमुख शासन सचिव, विभागाध्यक्ष अपने-अपने क्षेत्रा में निर्धारित भ्रमण करें, रात्रि विश्राम कर फ्लेगशिप कार्यक्रमों एवं अन्य योजनाओं की क्रियान्विती की समीक्षा करें। आपके भ्रमण से जिला एवं संभाग स्तर पर एक असर पडता है। उन्होंने अधिकारियों से अपेक्षा की कि वे योजनाओं की क्रियान्विती सुनिश्चित करने के साथ ही अखबारों में प्रकाशित खबरों पर भी ध्यान दें तथा उन पर हो रही प्रतिक्रिया पर भी अपना मत प्रकट करें। उन्होंने कहा कि जिला एवं संभाग स्तर के अधिकारियों से जिलों में योजनाओं की मॉनिटरिंग तथा क्रियान्वयन सुनिश्चिित करवाने के लिए निरन्तर संवाद करते रहें।
मुख्यमंत्राी ने कहा कि मनरेगा, शिक्षा के अधिकार के साथ ही एक के बाद एक योजनाएं क्रियान्वित हो रही हैं। प्रदेश में राज्य एवं केन्द्र की योजनाओं की कोई कमी नहीं है। राज्य सरकार ने भी योजनाओं को लागू करने में कोई कमी नहीं रखी है। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि ’’गुड गुड गवर्नेंस कैसे हो यही हमारा ध्येय वाक्य होना चाहिए।’’ उन्होंने राज्य सरकार के 4 वर्ष पूरे होने के अवसर पर सभी विभागों के स्तर पर भी बुकलेट प्रकाशित करवाने तथा अपनी-अपनी उपलब्धियों के होर्डिग्स लगवाने के निर्देश दिये। इसके साथ ही जनहित से जुडे़ विभागों द्वारा जारी किये जाने वाले विज्ञापनों में स्पष्टता लाने के निर्देश दिये ताकि प्रभावित व्यक्ति संबंधित अधिकारी और उसके कक्ष तक आसानी से पहुंच सके।
उन्होंने कहा कि राज्य में मेरिट में आने वाले एक लाख बच्चों को छात्रावृत्ति, लोकसेवा गारंटी एक्ट, सुनवाई का कानून, बीपीएल जीवन रक्षा कोष, जननी शिशु सुरक्षा, मुख्यमंत्राी निःशुल्क दवा योजना, पशुओं के लिए निःशुल्क दवा योजना तथा आवास योजना पर अच्छा काम हो रहा है। राज्य सरकार ने 400-500 निर्णय लिये हैं अब उन्हें कैसे लागू किया जाये इस पर सोचने की जरूरत है।
उन्होंने अधिकारियों से जनहित में खुलकर फैसला करने की अपेक्षा की। उन्होंने कहा कि सरकार पूरी तरह से आपके साथ खड़ी मिलेगी। किसी भी कार्य के बारे में अपनी बेवाक राय भी दे सकते हैं लेकिन उन्होंने जोर देकर कहा कि जनहित में सारे फैसले समय पर हों यह सुनिश्चित किया जाये। उन्होंने कहा कि
प्रशासन शहरों के संग अभियान की सब तरफ तारीफ हो रही है कि इसके तहत अच्छा कार्य चल रहा है अब अधिकारी प्रशासन गांव के संग अभियान मे भी जुट जायें।
श्री गहलोत ने अधिकारियों को विभागों कि 750 रिव्यू एवं 400 नियमित डीपीसी करने के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि यह बडा काम है एवं राज्य सरकार की मंशा यही थी कि रूकी हुई पदोन्नतियां मिलें। आज 75 आरएएस जब आईएएस में पदोन्नत होंगे तो सुशासन पर फर्क पडेगा। सुशासन तभी होगा जब पूरी टीम अच्छी हो। राज्य सरकार सभी को सहयोग करती है ऐसे में अधिकारियों का भी यह दायित्व बनता है कि वे अपने-अपने विभागों की योजनाओं एवं बजट घोषणाओं को समयबद्ध कार्यक्रम के तहत पूरा करवायें।
उन्होंने सड़कों के रख-रखाव, मरम्मत, आम उपभोक्तओं, किसानों, उद्योंगो को समय पर बिजली देने को सर्वोच्च प्राथमिकता देने के साथ ही बढती सड़क दुर्घटनाओं पर चिंता करते हुए इन्हें रोकने और कम करने के प्रयासों में गति लाने के निर्देश दिये। उन्होंने संभाग स्तर पर ड्राईविंग प्रशिक्षण संस्थान खोलने के लिए प्रस्ताव तैयार करवाने, ड्राईवर्स की हर साल चिकित्सा जांच करवाने तथा निरंतर गलतियां करने पर लाईसेंस निलम्बित और रद्द करने की कार्यवाही को प्रभावी बनाने पर जोर दिया। जिससे अधिक से अधिक अच्छे ड्राईवर तैयार हो सके। उन्होंने कहा कि हमने अपने पिछले शासनकाल में वित्तीय संकट के बावजूद अच्छे कार्य किये अकाल का सर्वश्रेष्ठ प्रबंधन, अतिक्रमण हटाने, जयपुर के बरामदों से अतिक्रमण हटवाये जिससे पूरे देश में एक संदेश गया कि यदि इच्छा शक्ति है तो साधन कम होने पर भी काम हो सकता है। उन्होंने अधिकारियों को सुशासन देकर अपने कर्तव्यों की पालना सुनिश्चित करने के लिए मिलकर काम करने के निर्देश दिये। बैठक में अधिकारियों ने भी विचार प्रकट किये। इससे पहले मुख्य सचिव ने श्री सी.के. मैथ्यू ने बैठक की पृष्ठभूमि पर प्रकाश डाला।