दलित संगठनों द्वारा 2 अप्रैल 2018 को भारत बंद कार्यक्रम के दौरान बाड़मेर में दलित चीमा राम मेघवाल की गाड़ी जलाने के मामले में आरोपी नरपत सिंह भँवरलाई व हाकमसिंह राजपूत निवासी बांदरा बाड़मेर के विरुद्ध बाड़मेर पुलिस कोतवाली में दर्ज मुकदमा नंबर 137 अंतर्गत धारा 435 आईपीसी के मामले को राज्य सरकार ने वापस ले लिया है भारत बंद कार्यक्रम के अध्यक्ष लक्ष्मण बडेरा ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताया कि राज्य सरकार पिछले 2 दिन से प्रचार कर रही है कि भारत बंद के दौरान अनुसूचित जाति व जनजाति वर्ग पर दर्ज किए गए मुकदमों को राज्य सरकार ने वापस ले लिया है इस मामले की जब गहन जांच की गई तो सेवानिवृत्त आईपीएस अनिल गोठवाल प्रदेश महामंत्री अंबेडकर वेलफेयर सोसाइटी राजस्थान जयपुर ने बताया कि बाड़मेर कोतवाली का मुकदमा नंबर 137 वापस लिया गया है जो मुकदमा अनुसुचित जाति व जनजाति के लोगों पर दर्ज नहीं था इस मामले में अनुसूचित जाति के श्री चीमाराम पुत्र श्री जग्गू राम जाति मेघवाल निवासी धोरीमना की गाड़ी अंबेडकर सर्किल पर जलाई गई थी उस स्कॉर्पियो गाड़ी को जलाने के मामले में नरपतसिंह राजपूत वगेरा को पुलिस ने गिरफ्तार किया था और राज्य सरकार की मेहरबानी पर दलितों की गाड़ियां जलाने वालों के खिलाफ में दर्ज मुकदमे वापस लिए गए भारत बंद कार्यक्रम के संयोजक लक्ष्मण बडेरा ने प्रेस बयान जारी कर बताया कि बाड़मेर कोतवाली में मुकदमा नंबर 126, 127, 128, 129, व 130 / वर्ष 2018 को अनुसूचित जाति व जन जाती वर्ग के खिलाफ में पुलिस द्वारा झूठे व फर्जी दर्ज करवाया गए थे जिनको वापस नहीं लेकर राज्य सरकार ने अनुसूचित जाति और जनजाति की स्कॉर्पियो गाड़ी जलाने वालों के मुकदमे वापस लिए हैं ओर इस मामले में अनुसूचित जाति व जन जाती हेतु बने एट्रोसिटी एक्ट की धारा भी नही जोड़कर आरोपियों को राहत प्रदान की गई है 2 अप्रैल भारत बंद के इस कार्यक्रम में शामिल अनुसूचित जाति जनजाति एकता मंच के अध्यक्ष उदाराम मेघवाल महामंत्री भूरा राम भील उपाध्यक्ष श्रवण कुमार चंदेल एडवोकेट गणेश कुमार मेघवाल सवाई राम मेघवाल हितेश दहिया कपिल वाल्मीकि पूर्व पार्षद वाल्मीकि समाज के अध्यक्ष गोपालदास दुगलच व रामदास सांगेल भारत बंद कार्यक्रम के संयोजक लक्ष्मण बडेरा ने राज्य सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाते हुए कहा है कि सरकार ने घोषणा की थी कि अनुसूचित जाति व जनजाति पर दर्ज हुए मुकदमे वापस लिए जाएंगे जबकि सरकार उसके विपरीत अनुसूचित जाति और जनजाति पर अत्याचार करने वाले लोगों के मुकदमे वापस लेकर दलित विरोधी लोगों को राहत प्रदान कर रही हैं सभी दलित नेताओं ने राज्य के मुख्यमंत्री से मांग की है कि अनुसूचित जाति और जनजाति पर दर्ज सभी मुकदमा बिना किसी देरी के वापस लिए जाएं अन्यथा जनता में इसका भारी रोष है सरकार को इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी ।
