नैसर्गिक खूबसूरत और प्राचीन जल संग्रहण पद्दति का उत्कृष्ट नमूना गजरूप सागर

जैसलमेर पीत पाषणो और हवेलियों के शहरY जैसलमेर में रियासतकाल में जल
सरंक्षण की उन्नत पद्धति का इस्तेमाल स्थानीय कारीगरों द्वारा किया जाता
था ,जैसलमेर रियासतकाल के दौरान निर्मित शाही बाग बगीचों और मंदिरो के
किनारे बने तालाब इसके उत्कृष्ट नमूने हे जो रियासतकाल में उन्नत पद्दति
के दर्शन कराती हैं ,जैसलमेर के नैसर्गिक खूबसूरती लिए बड़ा बाग़ ,अमर सागर
,गजरूपसागर और मूल सागर ऐसे ही उन्नत तकनिकी से बने शाही बाग़ हे जहाँ जल
सरंक्षण को बहुत अधिक महत्व दिया ,इसमें से ग्रुप सागर की खूबसूरती देखते
बनती हैं इस स्थान पर जैसलमेर के तत्कालीन महारावल महाराज गज सिंह जो की
देवी भक्त थे ने किले से सीधे दर्शन करने के लिए शहर से चार किलोमीटर दूर
राज परिवार की कुलदेवी माता स्वांगिया का भव्य मंदिर पहाड़ी पर संवत 1895
में बनाया था,इस मंदिर के नीचे उत्तर में जेठवाई मार्ग पर महारावल
गजसिंहजी और उनकी पत्नी रूपकंवर के नाम से गजरूप सागर सरोवर का निर्माण
रणजीतसिंह के राज्यकाल में रणजीतसिंहजी के पिता केसरीसिंहजी ने गोवर्धन
लेखानुसार वि . सं . 1915 में कराया था । इसकी प्रतिष्ठा महारावल श्री
बेरीसालसिंहजी के राज्यकाल में वि . सं . 1940 में सम्पन्न हुई थी ।
तालाब में पानी लाने हेतु पहाड़ को खोदकर अन्दर ही अन्दर गुफा से पानी
लाने की व्यवस्था की गई थी । साथ ही पानी को रोकने के लिए विशाल बांध और
बांध के ऊपर बंगले , महलात एवं धर्मशालायें बनाई गई थीं । एक बंगला 1908
में रणजीतसिंहजी की , एक परसाल बोहरा पुष्करणा श्रीचन्दजी द्वारा बनाया
गया था । बांध में सुन्दर हाथी – घोड़े तथा घाट बनाये गये थे । सरोवर भर
जाने पर उसका पानी बाहर निकालने हेतु बड़े बाग की तरह भंवरिया बनाया गया
था । इससे पानी स्तर के अनुसार नालों से पानी शहर की तरफ जैठवाई की ओर
निकाला जाता था । पानी निकासी की नाली का बना एक ही पत्थर का स्टरनुमा
द्वारा बनाया गया है जिसको बन्दर करने पर पानी की बून्द भी बाहर नहीं आ
सकती । यहां पर छोटा बाग भी लगाया गया था मगर दुर्भिक्षों के कारण उजड़
गया है । यहीं पर एक पानी का कूप तथा केसरीसिंहजी की पासवान आशा की तलाई
तथा पास में बंगला बना है । एक तरफ दर्जियों की छोटी तलाई है ।

पिकनिक स्थल में हो रहा विकसित

गजरूप सागर का ऐतिहासिक तालाब बरसात के बाद बेहद सुहाना लगता हैं ,आसपास
हरीतिमा की चादर ओढ़े पहाड़िया इसकी खूबसूरती में चार चाँद लगा देती हैं
,इसको यु आई टी और अधिक विकसित करने में जुटी हैं ,यु आई टी ने यहाँ
मंदिर तक सड़क निर्माण के साथ बड़ी तादाद में पौधरोपण कर रखा हे जो देखते
बनता हैं ,यु आई टी इसे और अधिक विकसित करने का प्रयास कर रही हैं ,गजरूप
सागर स्थित स्वांगियां माता के मंदिर में श्रद्धालुओं की भरी भीड़
दर्शनार्थ उमड़ती हैं ,ऐसे में इसे पिकनिक स्पॉट के रूप में और अधिक
विकसित करने का प्रयास यु आई टी सचिव अनुराग भार्गव कर रहे हैं ,सचिव
अनुराग भार्गव द्वारा गजरूप सागर की खूबसूरत तालाब ,जल संग्रहण स्थलों की
खूबसूरत फोटोग्राफी की हैं ,जो गजरूप सागर के रूप को औइर अधिक निखार रही
हैं

error: Content is protected !!