-एमडीएस यूनिवर्सिटी से योग प्रशिक्षकों को हटाने का मामला।
-कुलपति के निर्णय पर राज्यपाल ने लगाई रोक।

एमडीएस यूनिवर्सिटी से योग प्रशिक्षक हटाए जाने के निर्णय के खिलाफ भाजपा के वरिष्ठ नेता, पूर्व शिक्षा मंत्री एवं अजमेर उत्तर विधायक वासुदेव देवनानी भी खुलकर सामने आ गए है। देवनानी ने कहा कि कोई भी कुलपति अपनी विचारधारा किसी शिक्षण संस्थान पर थोप नहीं सकता। एमडीएस कुलपति ने वर्षों से विवि के योग केन्द्र में कार्यरत योग प्रशिक्षकों को हटाने का निर्णय कर अपनी विचारधारा थोपने का प्रयास किया है जो किसी भी स्थिति में स्वीकार नहीं है।
देवनानी ने कहा कि विवेकानंद योग अनुसंधान संस्थान बेंगलुरू एवं यूनिवर्सिटी के बीच हुए अनुबंध के तहत कई सालों से योग प्रशिक्षक डाॅ.असीम जयंती और डाॅॅ.लारा शर्मा योग का प्रशिक्षण दे रहे है लेकिन एमडीएस की विद्या परिषद की बैठक में कुलपति द्वारा सुनियोजित तरीके से योग प्रशिक्षकों को हटाने का निर्णय करवाया। कुलपति ने अपने विचार थोपते हुए योग प्रशिक्षकों को हटाने का निर्णय किया। ताजूब कि बात तो यह है कि यह निर्णय तब लिया गया है जब कोरोनाकाल के दौरान प्रदेश ही नहीं नहीं बल्कि देश दुनिया में योग को वर्तमान में एक सशक्त विकल्प के रूप में देखा जा रहा है।
उन्होंने कहा कि यूनिवर्सिटी में सबसे ज्यादा विद्यार्थी इसी योग विज्ञान में अध्ययनरत है। इस विभाग को संचालित करने में यूनिवर्सिटी को कोई राशि खर्च नहीं करनी पडती है। विद्यार्थियों की फीस से ही प्रशिक्षकों को वेतन दिया जा रहा है। यहां से योग प्रशिक्षित विद्यार्थी विदेशों में भी योग का प्रशिक्षण देकर रोजगार प्राप्त कर रहे हैं। ये सब होने के बाद भी कुलपति द्वारा योग प्रशिक्षकों को हटाना निश्चित ही अपनी विचारधारा को थोपने का षडयंत्र है।
उन्होंने कहा कि महामहिम राज्यपाल कलराज मिश्रजी का दिल से धन्यवाद देना चाहूंगा कि उन्होंने कुलपति की मनमर्जी पर अंकूश लगाते हुए योग प्रशिक्षकों को हटाने के निर्णय पर रोक लगा दी है। इस आदेश के बाद फिलहाल यूनिवर्सिटी में योग केन्द्र चलता रहेगा। राज्यपाल का यह निर्णय निश्चित ही न केवल योग विद्यार्थियों के लिए मील का पत्थर साबित होगा बल्कि अपनी मनमानी पर उतरे कुलपति के हौसले भी पस्त होंगे।