गुलनाज़ खान को मिला डिजिटल मीडिया अवार्ड

वर्किंग जर्नलिस्ट ऑफ इंडिया द्वारा दिल्ली में आयोजित भव्य समारोह में जोधपुर की गुलनाज़ खान को मिला पहला डिजिटल मीडिया अवार्ड ।
25 अगस्त को राजधानी दिल्ली में डिजिटल मीडिया दिवस के अवसर पर डिजिटल मीडिया का चौथा अवार्ड समारोह माता सुन्दरी कॉलेज के ऑडिटोरियम में आयोजित किया । राष्ट्रीय स्तर के इस समारोह में देशभर से आये 98 मीडिया पत्रकारों और 48 रेडियो ब्रॉडकास्टर्स को डिजिटल मीडिया अवार्ड से सम्मानित किया गया । गौरतलब बात ये है की इसमें पहली बार रेडियो ब्रॉडकास्टर्स को भी शामिल किया गया । बेशक आवाज़ की दुनिया से जुड़े ब्रॉडकास्टर अपने श्रोताओं के दिलों में तो बसते है पर प्रदेश स्तर पर भी पुरुस्कृत नहीं हो पाते । देश में पहली बार वर्किंग जर्नलिस्ट ऑफ इंडिया द्वारा रेडियो ब्रॉडकास्टर्स को राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित किया गया ।
ऐसे में गौरव की बात है की जोधपुर शहर की गुलनाज़ खान को ब्रॉडकास्टर केटेगरी में डिजिटल मीडिया अवार्ड २०२१ मिला तथा इस अवार्ड से सम्मानित प्रदेश की पहली महिला ब्रॉडकास्टर होने का गौरव भी प्राप्त हुआ । विदित हो की भारतीय वायुसेना परिवार से ताल्लुक रखने वाली गुलनाज़ खान पिछले 30 वर्षों से रेडियो और रंगमंच से जुडी है । बतौर वोइस ओवर आर्टिस्ट कई डाक्यूमेंट्री और विज्ञापनों में और बतौर उद्घोषिका कई साहित्यिक, सांस्कृतिक और पर्यटन विभाग के महोत्सवों को अपनी दिलकश आवाज़ से सजाती रही है साथ ही लेखन कार्य में सामाजिक मुद्दों को अपने लेखो का विषय बनाकर जनजागृति के भी कार्य बखूबी करती रहीं है ।
पहली बार राष्ट्रीय स्तर पर ब्रॉडकास्टर्स के लिए वर्किंग जर्नलिस्ट ऑफ इंडिया द्वारा भारत सरकार में केन्द्रीय क़ानून एवं न्याय राज्यमंत्री एस पी बघेल के मुख्य आतिथ्य में पुरस्कार प्रदान किये गए । इस अवसर पर देश में पहली बार मृदुला घई का लिखा मीडिया गीत भी लांच किया गया जिसे मशहूर प्लेबैक सिंगर अलका यागनिक और शान ने आवाज़ दी । वहीं इस अवसर पर दिल्ली एन सी आर की मीडिया डायरेक्टरी भी लांच की गयी । समारोह में कई गण मान्य व्यक्तियों सहित देशभर से आये सैकड़ों पत्रकार और रेडियो एवं टेलीविज़न के मीडिया कर्मी उपस्थित थे ।

* ये अवार्ड मैं अपने माता-पिता के चरणों में समर्पित करती हूँ जिन्होंने फ़र्ज़ प्रथम फिर फ़ख्र की प्रेरणा और जज़्बा दिया। माँ के इस दुनिया से अलविदा होने के तीन घंटे पहले तक दिल में दर्द पर आवाज़ में सहजता लिए मैं अपना लाइव रेडियो प्रोग्राम प्रस्तुत कर रही थी और इस अवार्ड समारोह में पिता की अस्वस्थता के चलते अपना फर्ज़ निभाते हुआ, शिरकत करने में असमर्थ रही । मेरे प्रतिनिधि द्वारा ये अवार्ड लिया गया । बेशक खुद के काम पर फ़ख्र करने और खुद का फर्ज़ अदा करने के बीच जब भी चुनाव करना हो तो हमारी राजस्थान की संस्कृति हमें फर्ज़ के रास्ते पर ले जाती है।
गुलनाज़ खान

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