प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाएं पूर्ण बदहाल-देवनानी

चरमराई चिकित्सा सेवाओं को लेकर देवनानी का सरकार पर हल्लाबोल।
-अजमेर में केंसर हॉस्पिटल, योग विश्वविद्यालय के साथ अजमेर उत्तर विधानसभा में सेटेलाइट हॉस्पिटल खोले सरकार।
-अजयसर, हाथीखेडा एवं कुंदननगर में भी पीएससी खोलने की की मांग।

प्रो. वासुदेव देवनानी
जयपुर, 10 मार्च। भाजपा नेता, पूर्व शिक्षा मंत्री एवं अजमेर उत्तर विधायक वासुदेव देवनानी ने गुरूवार को विधानसभा में चरमराई चिकित्सा सेवाओं को लेकर राज्य सरकार पर हल्ला बोला। देवनानी ने कहा कि सरकार भले ही आज राइट टू हैल्थ की बात करें लेकिन प्रदेश में चिकित्सा सेवाएं पूर्ण रूप से चरमराई हुई है। प्रतिव्यक्ति के स्वास्थ्य पर खर्च के मामले में राज्य केरल, हिमाचल इत्यादि छोटे राज्यों से भी कमत्तर है। राज्य का राजस्थान हैल्थ इंडेक्स में 16वें नम्बर पर आना निश्चित ही इसकी प्रत्यक्ष बानगी है।
देवनानी ने कहा कि स्वास्थ्य की तरफ सरकार का ध्यान नहीं है। राज्य में औसत से 25 प्रतिशत कम स्वास्थ्य पर खर्च हो रहा है। राज्य में हर व्यक्ति पर 3406 रू.खर्च होते है जिसमें से राज्य सरकार के केवल 1369 रू है जबकि केरल में 9000 व हिमाचल में 6500 रूपए खर्च किए जा रहे हैं। विश्व के 100 देशों में से शिशु मृत्युदर के मामले राज्य में सबसे ज्यादा है। राज्य में 1000 पर 35 बच्चों की अकाल मृत्यु होना निश्चित ही सरकार की चिकित्सा सेवाओं पर सवालिया निशान छोड रहा है।
उन्होंने कहा कि अजमेर में सुपर-स्पेशलिटी पूरी तरह से विकसित नहीं है। सर्जन के पद रिक्त होने से वाइपास सर्जरी और वॉल रिपलेसमेंट का काम बंद है जिसके चलते यहां कार्डिक सर्जरी व सीटीवीएस की महंगी मशीनें धूल फांक रही है। नेफ्रोलोजी में नेफ्रोफिजिशियन नहीं है जिसके चलते डाइलेसिस की भी सुचारू व्यवस्था नहीं है। गैस्टलॉजी में स्टाफ नहीं है। कैज्यूल्टी में एक्सरे मशीन चालू नहीं होने से मरीजों को दूर जाना पड रहा है। फ्री जांचों की संख्या बढाते जा रहे है लेकिन जेएलएन हॉस्पिटल में महंगी जांचे उपलब्ध नहीं है। एमआई का काम एक निजी संस्था सिद्धार्थ को दे रखी है। सरकार द्वारा मशीन खरीदकर जनता को राहत दी जा सकती है लेकिन इस ओर सरकार का ध्यान नहीं है। निशुल्क दवा योजना काउण्टर पर पूरी दवाइयां उपलब्ध नहीं है। टीबी यूनिट शहर में बनी हुई है उसे शहर से बाहर ले जाया जाए तो ो शहर को भी लाभ होगा। हॉस्पिटलों में चतुर्थकर्मियों एवं सफाईकर्मियों के पद रिक्त पडे हैं जिसके चलते स्वयं परिजनों को मरीजों की ट्रोलियां ले जानी पड रही है। पर्याप्त चिकित्सकों के अभाव में पंचशील में 5 करोड की लागत से निर्मित डिस्पेंसरी का पूर्ण उपयोग नहीं हो पा रहा है।
उन्होंने कहा कि जयपुर और जोधपुर में एक दर्जन तक संबद्ध चिकित्सालय है जबकि अजमेर में केवल 3 ही है जिसे बढाए जाने की सख्त जरूरत है। अजमेर उत्तर विधानसभा में सेटेलाइट हॉस्पिटल खोलकर जनता की राहत दी जानी चाहिए। ऐसा होने से न केवल स्थानीय लोगों को राहत मिल सकेगी साथ ही जेएलएन हॉस्पिटल पर भी मरीजों का भार कम हो सकेगा। अभी संभाग स्तर के सबसे बडे जेएलएन हॉस्पिटल की हालत खस्ता है, जितने बैड है उससे ज्यादा मरीज नीचे जमीन पर मिलते है। बढते केंसर रोग को देखते हुए अजमेर में केंसर हॉस्पिटल खोलने की जरूरत है। सरकार अगर अजमेर में केंसर हॉस्पिटल खोलती है तो अजमेर सहित पूरे संभाग के लोगों का भला हो सकेगा।
देवनानी ने अजयसर, हाथीखेडा एवं कुंदननगर में पीएससी एवं अजमेर में योग विश्वविद्यालय खोलने की मांग भी की। ख्उन्होंने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री ने पिछले बजट में अजमेर में पब्लिक हेल्थ कॉलेज, राजस्थान आयुर्वेद अनुसंधान संस्थान, ट्रोमा सेंटर, योग, आयुर्वेद एवं नेचरोपैथी महाविद्यालय, हॉस्पिटल मैनेजमेंट केडर बनाने की घोषणा की थी जो आज एक भी नहीं खोली। एक हजार रिक्त्त पदों पर संविदा आयुर्वेद चिकित्सकों को नियुक्ति देने, 1000 हेल्थ वेलनेस सेंटर पर दो-दो आयुर्वेद चिकित्स लगाने सहित विभिन्न मांगों को लेकर अजमेर स्थित आयुर्वेद निदेशालय के सामने अस्सी दिन से धरने पर बैठे संविदा आयुर्वेद चिकित्सकों एवं नर्सिंगकर्तयांें की सरकार द्वारा सुध नहीं ली जा रही है। स्वास्थ्य मार्ग दर्शकों को एनजीओ से हटाकर पेमेंट कराएं। पेमेंट अभी करीब सात हजार के आस पास है जिसे बढाकर पन्द्रह हजार करें। नर्सिंग शिक्षा का हाल बेहाल है।
उन्होंने कहा कि चिकित्सा मंत्री ने वादा किया था कि जनता क्लिनिक खोलेंगे लेकिन एक भी दिखाई नहीं देती। अजमेर में एक भी जनता क्लिनिक नहीं खोली गई। देवनानी ने डॉक्टर मेडिकल ग्रुप 2 में से मेडिकल गु्रप 1 में गत 5 वर्षों से यूट्यूब पर पढाने का काम करने वालों को लेक्चरर बनाकर नियमित करने की बात कही। ऐसा करने से निश्चित रूप से टिचिंग फेकल्टी की सारी कमी दूर हा सकेगी।

बदहाल एसएमएस
उन्होंने कहा कि एसएमएस हॉस्टिपल में इन्फ्राट्रेक्चार नहीं है। बैड के अभाव में मरीज जमीन पर लैटे हैं। प्रपोस्ट कार्डिंग विंग टावर की घोषणा जो की थी उसका पता नहीं है। कोटिंज तोड 21 मंजिला भवन बनाना था जो नहीं बना पाए।

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