धानुका समूह करेगा नई तकनीक का परीक्षण; जयपुर के श्री करण नरेंद्र कृषि विश्वविद्यालय के साथ हुआ समझौता

नई दिल्ली, 25 मार्च, 2022- धानुका समूह ने जयपुर में जॉबनेर स्थित श्री करण नरेंद्र कृषि विश्वविद्यालय के साथ एक समझौता ज्ञापन किया है, जिसके अंतर्गत नई तकनीक के परीक्षण और सत्यापन पर दोनों मिलकर काम करेंगे। इसका उद्देश्य देश भर में फैले किसानों की एक बड़ी संख्या को इसे स्थानांतरित कर उन्हें लाभान्वित करना है।
समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर धानुकाएग्रीटेक लिमिटेड के चेयरमैन श्री आर.जी. अग्रवाल और राजस्थान के जयपुर जिले में जॉबनेर स्थित श्री करण नरेंद्र कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. जे.एस. संधू ने 24 मार्च को किये।
समझौता ज्ञापन (एमओयू) का उद्देश्य ड्रोन तकनीक पर मिलकर काम करना और उर्वरकों और कृषि रसायनों के छिड़काव के लिए कृषि-ड्रोन की उपयोगिता को प्रदर्शित करना है। इसके अंतर्गत किसानों, वैज्ञानिकों और अन्य कृषि हितधारकों को खेतों में प्रौद्योगिकी के उपयोग के बारे में शिक्षित और प्रशिक्षित भी किया जाएगा।
धानुकाएग्रीटेक लिमिटेड इससे पहले जी.बी. पंत कृषि और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (जीबीपीयूएटी), पंतनगर, सीसीएस हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय (सीसीएसएचएयू), हिसार, प्रोफेसरजयशंकर तेलंगाना राज्य कृषि विश्वविद्यालय (पीजेटीएसएयू), तेलंगाना, कृषि विज्ञान विश्वविद्यालय (यूएएस), रायचूर, महाराणा प्रताप बागवानी विश्वविद्यालय (एमएचयू), करनाल और लवलीप्रोफेशनल यूनिवर्सिटी (एलपीयू), फगवाड़ा, पंजाब के साथ भी समझौता ज्ञापन कर चुकी है।
भारतीय फाइटोपैथोलॉजिकलसोसायटी के प्लेटिनमजुबली समारोह में विशेष रूप से आमंत्रित अतिथि के रूप में श्री अग्रवाल ने “सटीक पौध संरक्षण के साथ उत्तम कृषि: कृषि-व्यवसाय उद्यमिता विकास और किसान की आय कैसे बढ़ाएं” शीर्षक से एक प्रस्तुति दी। इसका “प्लांट पैथोलॉजी: रेट्रोस्पेक्ट एंड प्रॉस्पेक्ट्स” शीर्षक पर 8वां अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन, 2022 (हाइब्रिड) एसकेएन कृषि विश्वविद्यालय में 23 मार्च से 26 मार्च तक आयोजित किया जा रहा है।
श्री अग्रवाल को कृषि क्षेत्र में खाद्य, पोषण, स्वास्थ्य, संपदा और पर्यावरण सुरक्षा के लिए काम करने का 50 वर्षों से अधिक का समृद्ध अनुभव है। वह नीतिगत ढांचे की बेहतरी के लिए काम कर रहे हैं, जिसमें प्रधानमंत्री द्वारा लक्षित 5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था के लक्ष्य तक पहुंचने के लिए बदलाव की आवश्यकता है।
किसानों के लाभ के लिए धानुका समूह हमेशा सरकार और कृषि विश्वविद्यालयों के साथ पीपीपी विधि से काम करने में विश्वास करता है।
गुणवत्तायुक्त कृषि-इनपुट, विशेष रूप से फसल सुरक्षा रसायनों और निजी कृषि-विस्तार के माध्यम से किसानों की उपज, गुणवत्ता और आय में सुधार के लिए धानुका समूह साथ मिलकर काम करने के लिए तत्पर रहता है।
सम्मेलन में अपनी प्रस्तुति के बाद, श्री अग्रवाल को इंडियन फाइटोपैथोलॉजिकलसोसायटी की अध्यक्ष डॉ. प्रतिभा शर्मा, आईएआरआई की प्लांट पैथोलॉजी विभाग और इंडियन फाइटोपैथोलॉजिकलसोसायटी के संरक्षक एवं एएसआरबी के सदस्य (पौधे विज्ञान) डॉ. पी.के. चक्रवर्ती द्वारा स्मृति चिन्ह दिया गया।
अपनी प्रस्तुति के दौरान श्री अग्रवाल ने सर्वश्रेष्ठ पैथोलॉजी वैज्ञानिक के लिए पांच वर्षों के लिए 5०००० रुपये के वार्षिक पुरस्कार की घोषणा की, जिसका चयन भारतीय फाइटोपैथोलॉजिकलसोसायटी द्वारा नियुक्त ज्यूरी करेगी। इस पुरस्कार को धानुका वैज्ञानिक पुरस्कार के रूप में जाना जाएगा और इसे सोसायटी के वार्षिक समारोह में दिया जाएगा।
श्री अग्रवाल ने धानुका के किसी भी नए प्रौद्योगिकी उत्पादों के नमूने मुफ्त प्रदान करने की भी घोषणा की, जैसे हाल ही में उतारे गए कोमल फफूंदी के नियंत्रण के लिए किरारी, पाउडर फफूंदी के नियंत्रण के लिए निसोडियम, अनार, अंगूर सहित दूसरी फसलों में बैक्टीरियल-फंगल के जटिल निर्माण को रोकने के लिए कोनिका
साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि इन उत्पादों के अलावा धानुका के 100 से अधिक उत्पादों की श्रंखला से भी नमूने कोई भी वैज्ञानिक या छात्र शोध उद्देश्यों के लिए ले सकते हैं।
धानुका वर्तमान में पूरे देश में कृषि विश्वविद्यालयों के गरीब छात्रों को छात्रवृत्ति के साथ-साथ बड़ी संख्या में छात्रों को ग्रीष्मकालीन इंटर्नशिप भी प्रदान करता है।
अधिक कृषि योग्य भूमि और वर्षा होने के बावजूद कृषि से भारतीय सकल घरेलू उत्पाद चीन की तुलना में एक तिहाई है। इसका प्रमुख कारण चीन और अन्य विकसित देशों की तुलना में नई तकनीक और गुणवत्ता वाले कृषि-इनपुटों की अनुपलब्धता और रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों का कम उपयोग है।
इसके अलावा, रासायनिक कीटनाशकों से युक्त नकली जैव उत्पादों की व्यापक उपस्थिति और उपयोग से भारत में फसलों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। चीनी आय के स्तर पर, कृषि से भारतीय सकल घरेलू उत्पाद में जबरदस्त वृद्धि की जा सकती है और ग्रामीण अर्थव्यवस्था में वास्तविक बदलाव लाया जा सकता है। और, कृषि उत्पादन में सुधार का एकमात्र तरीका नई तकनीक को अपनाना है, जोकि मात्रा पीपीपी माध्यम से ही संभव है। सरकार को निजी क्षेत्र का समर्थन करने के लिए आगे आना चाहिए और देश को 5 ट्रिलियन अमरीकी डालर की अर्थव्यवस्था के लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद करनी चाहिए।

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