जयपुर । श्री दिगंबर जैन मंदिर वरुण पथ मानसरोवर में चल रहे चातुर्मास के अंतर्गत परम पूज्य आचार्य गुरुवर विवेक सागर जी महाराज ने उपस्थित बंधुओं से कहां की हमें अपना जीवन श्रेष्ठ बनाना है तो भावना प्रधान, भावना उत्तम रखना पड़ेगा इसलिए सोलह कारण भावना मनुष्य जगत का कल्याण करने वाली होती है भव्य जीव इसी के अंतर्गत अपने भव को सुधारने का प्रयास करते हैं संसार की आदी, व्याधि एवं उपाधियों को से मुक्ति पाकर शांति की और अपने जीवन को ले जाए तो समझ लीजिए जीवन समाधि की ओर अग्रसर है ।शरीर में व्याधियों के कारण अलग-अलग परिणाम देते रहता है मन का संतुलित नहीं होना भी एक प्रकार की व्याधि है (उपाधियां ) यदि किसी को उपाधियां लेने का रोग लग जाए तो वे जीवन पर्यंत छूट नहीं सकता उपाधियां लेने के चक्कर में राग द्वेष पाल लेता है इसलिए समाधि करना चाहते हो तो आदी, व्याधि, उपाधियों से मुक्ति पाना होगा
संगठन मंत्री हेमेंद्र सेठी ने बताया कि इस अवसर पर परम पूज्य मुनि श्री 108 अर्चित सागर जी महाराज ने उपस्थित बंधुओं को मंगल आशीर्वाद देते हुए कहा कि धर्म कभी भी नहीं छोड़ना एवं आपने यदि कोई व्रत या संकल्प लिया है तो उसे अंत समय तक नहीं छोड़ना यही धर्म है।
प्रचार संयोजक विनेश सोगानी ने बताया कि धर्म सभा का मंगलाचरण के माध्यम से विधिवत शुभारंभ बीरेश जैन टीटी ने किया एवं भगवान महावीर स्वामी व तपस्वी सम्राट आचार्य रत्न सुमति सागर जी महाराज के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलित कर परम पूज्य आचार्य गुरुवर विवेक सागर जी महाराज का पाद प्रक्षालन कर शास्त्र भेंट करने का सौभाग्य पंकज जैन बसवा वालो को प्राप्त हुआ । इस अवसर पर सभी सम्माननीय अतिथियों का तिलक एवं माल्यार्पण कर हेमेंद्र सेठी, बीरेश जैन टीटी, विनेश सोगानी, विमल बाकलीवाल, मंजू बाकलीवाल, कृष्णा जैन ने स्वागत किया।