राजधानी जयपुर के दशहरा मैदान पर दहन होगा सबसे बडा रावण
जयपुर। ( गोविन्द गोपाल सिंह ) जहां एक ओर नवरात्र के आगमन के साथ ही देशभर में पूरे दस दिनों तक मां दुर्गा पूजा का उत्सवभरा माहौल नजर आने लगता है, वहीं दशवें दिन विजयदशमी का पर्व भी पूरे भारत में बडे ही हर्षोल्लास और धूमधाम से मनाया जाता है। इसी कडी में पिंकसिटी में भी दशहरा पर्व भी बडे ही हर्षोल्लास एवं धूमधाम से मनाया जाने की तैयारी पूरी कर ली गई है। यहां सबसे पुराना दशहरा मेला आदर्श नगर स्थित दशहरा मैदान पर आयोजित होता है। यहां विजयदशमी के लगभग डेढ महिने पहले से ही कारीगर रावण, कुम्भकरण व मेघनाथ के विशालकाय पुतले तैयार करने में लग जाते हैं। तब जाकर जयपुरवासी विजयदशमी के दिन रावण का विशालकाय पुतला दहन होते देखकर दशहरा पर्व का आनन्द ले पाते हैं। इस बार दशहरा मैदान पर कुल 105 फुट का रावण दहन किया जाना है, जो बनाकर तैयार हो चुका है।
मथुरा से जयपुर आकर रावण का पुतला तैयार करता है मुस्लिम परिवार
हिन्दु धर्म का मुख्य पर्व होने के बावजूद विजयदशमी पर्व पर रावण, कुम्भकरण व मेद्यनाथ के विशालकाय पुतले तैयार करने के लिए लगभग 20 कारीगर यूपी के मथुरा से आते हैं और ये सभी मुस्लिम परिवार से होते हैं। इस परिवार के एक कारीगर लक्खोबाई का कहना है कि विगत लगभग 65 वर्षों से उनके परिवार के सभी सदस्य प्रतिवर्ष रावण के पुतले तैयार करने के लिए गुलाबी नगरी आकर पुतले तैयार करते हैं। हालांकि इनको प्रतिदिन की मजदूरी पर ही बुलाया जाता हैं। गौरतलब है कि सामाजिक सौहार्द और हिंदू-मुस्लिम एकता के कई उदाहरण हैं लेकिन जयपुर में आजादी के बाद से चली आ रही यह परंपरा एक मुस्लिम परिवार निभा रहा है। मथुरा का यह मुस्लिम परिवार सामाजिक समरसता का सबसे बड़ा उदाहरण कहा जा सकता है। 65 वर्षों से यह मुस्लिम परिवार हर वर्ष जयपुर के आदर्श नगर स्थित श्रीराम मंदिर के सामने स्थित दशहरा मैदान पर दशहरा पर्व के लिए रावण का पुतला बनाता रहा है। इस बार इस परिवार की पांचवीं पीढ़ी ने रावण का पुतला तैयार किया है। वहीं इनके परिवार की अगली पीढ़ी इस काम को सीख रही है। इस परिवार के मुखिया लक्खो भाई का कहना है कि जब तक उनके परिवार का वंश चलेगा तब तक दशहरे के लिए रावण का पुतला उनका परिवार ही बनाता रहेगा।
65 साल पहले बनाया था 20 फिट का रावण का पुतला-
आदर्श नगर स्थित श्रीराम मंदिर प्रन्यास ने लगभग 65 साल पहले दशहरा मेला शुरू किया था। तब से मंदिर में पहले नवरात्र से रामायण का मंचन और उसके बाद दशहरे के दिन रावण दहन किया जाता रहा है। पहली बार दशहरे पर 20 फिट का रावण जलाया गया था। मुस्लिम परिवार के मुखिया 75 वर्षीय लक्खो भाई ने बताया कि पहली बार 65 वर्ष पहले जयपुर में रावण बनाने के लिए उनके ताऊ आए थे। उनके साथ वह भी आए थे, तब केवल 20 फिट के रावण का पुतला बनाया गया था और इसका मेहनताना उन्हें 250 रुपए मिला था और इनाम के तौर पर 10 रुपए अलग से मिले थे। उनके काम को देखते हुए मंदिर कमेटी ने उन्हें हर वर्ष रावण बनाने के लिए कह दिया था। तब से लगातार उनके परिवार के लोग यहां आकर रावण का पुतला बनाने का कार्य कर रहे हैं। पहले उनके ताऊ आते थे फिर पिताजी आने लगे, इसके बाद बड़े भाई और फिर वह आने लगे और अब उनके बेटे और पोते भी आ रहे हैं। इस तरह आगे आने वाली पीढ़ी को भी खनदानी काम सीखा रहे हैं. ताकि यह परंपरा आगे भी बनी रहे।