राजसमंद। साध्वी श्री मंजुयशाजी ठाणा 4 के सानिध्य में दिनांक 5 अक्टूबर को सुबह 9:00 बजे प्रज्ञा विहार प्रांगण में मौन की कार्यशाला आयोजित की गई।जिसमें साध्वी श्री जी ने मौन क्या है? मौन क्यों करना चाहिए? मौन करने से क्या लाभ मिलता है? उसके बारे में बताया। मौन के लाभ बताते हुए साध्वी श्री जी ने फरमाया अध्यात्म में प्रवेश के लिए, आत्मा की आवाज सुनने के लिए, विचारों के अल्पीकरण के लिए और कलह से बचने के लिए मौन की साधना सर्वश्रेष्ठ साधना है। उन्होंने एक मधुर गीतिका के द्वारा सभी भाई बहनों को मौन करने की प्रेरणा दी।
श्रीमान राजकुमार जी दक जिन्होंने 9 दिन मौन की तपस्या की थी।… उन्होंने अपने अनुभव हम सभी बहनों को साझा किया।
लगभग 150 भाई बहनों ने मौन प्रत्याख्यान करके अपने कर्मों के निर्जरा की।
कार्यशाला में परामर्श, संरक्षक, अध्यक्ष श्रीमती इन्द्रा जी पगारिया, मंत्री श्रीमती मनीषा कच्छारा सहित गणमान्य महानुभावों की उपस्थिति रही।
अंत में “कृतज्ञोस्मि” द्वारा कार्यशाला का समापन किया गया।
प्रेषक- पप्पू लाल कीर ( राजसमंद )