राजस्थान के प्राकृतिक एवं परंपरागत जल स्रोतों पर राजस्थान लोक सेवा आयोग के पूर्व अध्यक्ष डॉ. शिव सिंह राठौड़ ने विस्तृत शोध कर जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय से पोस्ट डॉक्ट्रल डी.एससी. की उपाधि प्राप्त की है।
डॉ. राठौड़ का शोध ‘इन्वेस्टीगेशन ऑफ हाईड्रोजियोलॉजीकल आस्पेक्ट्स ऑफ इम्पोर्टेन्ट एनसियेंट नेचुरल एण्ड ट्रेडिशनल वॉटर इम्पाउन्डिंग स्ट्रक्चर्स ऑफ दी राजस्थान, इंडिया: इम्प्लीकेशन फॉर हाईड्रोजियोट्यूरिज्म एण्ड एज पोटेन्शियल वर्ल्ड हेरीटेज साईट्स‘ पर जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. सुरेशचन्द्र माथुर के निर्देशन में पूर्ण किया।
डॉ. राठौड़ की डी.एससी. की उपाधि भूगर्भ विज्ञान में राजस्थान में प्रथम उपाधि है। डॉ. राठौड़ ने अपने शोध में राजस्थान के 6 जिलों जोधपुर, जयपुर, अजमेर, बूंदी, उदयपुर व जैसलमेर के प्राकृतिक एवं परंपरागत जल स्रोतों का शोध कर उन्हें संरक्षित करने के लिए विश्व स्तर पर पर्यटन के लिए ’हाईड्रोजियो ट्यूरिज्म’ की नई अवधारणा दी है। विश्व में पहली बार हाईड्रोजियो ट्यूरिज्म को डॉ. राठौड़ ने अपने शोध कार्य में परिभाषित किया है।
डॉ. राठौड़ ने पोस्ट डॉक्ट्रल शोध कार्य में पाया कि राजस्थान को विरासत में मिली जल संस्कृति अद्भुत है। सैकड़ों वर्ष पूर्व जैसे जलस्रोतों का निर्माण इससे उस समय के विज्ञान की जागरूकता भारतीय इतिहास की धरोहर है।
डॉ. राठौड़ ने शोध में पाया कि विश्व में 44 देशों में 169 यूनेस्को ग्लोबल जियोपार्क हैं, जबकि अभी तक भारत में एक भी यूनेस्को ग्लोबल जियोपार्क नहीं है। शोध में पाया गया कि राजस्थान में जोधपुर सहित जयपुर, अजमेर, उदयपुर, बूंदी व जैसलमेर में यूनेस्को ग्लोबल जियोपार्क विकसित कर राजस्थान भारत में पहला जियापार्क बनाने का कीर्तिमान स्थापित कर सकता है।
डॉ. राठौड़ ने अपने शोध कार्य में प्राकृतिक एवं परंपरागत जल स्रोतों को वर्ल्ड हेरीटेज साईट के रूप में प्रस्तुत कर पर्यटन के क्षेत्र में भारत में एक नया कीर्तिमान स्थापित कर सकता है।
