सिंधी समाज को पंथो में भटकाना स्वीकार नहींः महामंडलेश्वर हंसराम महाराज

दरबारों में रखेंगे सनातन ग्रन्थ संकल्न, सिंधी समाज बनाए राजनीतिक दल
हिरदाराम नगर प्रतिनिधि
सिंधु घाटी की सभ्यता सबसे प्राचीन सभ्यता है तथा सिंधी समाज
उसका अंश है। हम सबसे पुराने सनातनी हैं लेकिन आजादी के
बाद से समाज को पंथो में भटकाने का काम हो रहा है, एक
तरह से यह धर्मांतरण है, जिसे स्वीकार नहीं किया जाएगा। सिंधी
दरबारों से गुरूग्रन्थ साहिब की विदाई के बाद अब सनातन
ग्रन्थ संकल्न रखा जाएगा, जिसे आठ दस माह में तैयार कर लिया
जाएगा। यह कहना है अभा सिंधु साधु समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष
महामंडलेश्वर महंत हंसराम महाराज का। वे संत वासुराम दरबार
में सामूहिक जनेऊ कार्यक्रम में सत्संग करने यहां आए थे।
यहां आयोजित पत्रकार वार्ता में आपने कहा कि आदिकाल से सिंधी
सनातनी है, सिंधु नदी जहां चारों वेद लिखे गए, उन सिंधियों
को नानकधारी कहा जाए, वह हमें बर्दाश्त नहीं है।
उन्होंने कहा कि यह केवल सिंधी समाज के साथ ही नहीं समस्त
सनातनी समाज को भटकाने का प्रयास किया जा रहा है, जिसे कतईबर्दाश्त नहीं किया जाएगा, उनकी मर्यादाओं को हम अपने पर
कतई थोपने नहीं देंगे।
जन जागरण अभिया जारी
महंत हंसराम महाराज ने कहा कि सिंधियों के अलावा समस्त
सनातनियों को जागरूक करने का उनका अभियान लगातार जारी है
हाल ही में उन्होंने अमरावती में सम्मेलन किया, भोपाल के
बाद वे अब मुम्बई जा रहे हैं और 31 मार्च को भोपाल के
भेल ग्राऊंड पर सिंधियों के जमावड़े में भी शामिल
होंगे इसके अलावा वे आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत से भी
अकेले में चर्चा के लिए समय मांगेगे ताकि हिन्दुओं को
शक्तिशाली बनाया जा सके।
सिंध को मिलाएं हिंद में
जब महामंडलेश्वर से पूछा गया कि पाकिस्तान के सिंध प्रदेश में
हिन्दुओं को अत्याचार हो रहे हैं, तब उन्होनंें कहा कि
भारत सरकार को सिंध प्रदेश को ही हिन्दुस्तान में मिला देना
चाहिए हम वहां के सिंधियों को यहां नहीं लाएंगंे बल्कि
प्रदेश ही अलग बनाएंगे। उन्होंने कहा कि सिंधी एक ऐसा समाज
है जिसने धर्म एवं देश की खातिर अपनी जन्म स्थली कुर्बान कर
दी इसलिए हमें अपना प्रदेश चाहिए।
सिंधी बनाएं राजनीतिक दल
सिंधियों से अपने अधिकारों की रक्षा एवं हकों के लिए अलग से
राजनीतिक दल बनाने का आव्हान किया और कहा कि उसे अभा
सिंध सिंधु समाज पूरा समर्थन करेगा। महामंडलेश्वर ने यह भी
मांग की कि जहां पांच हजार सिंधी परिवार हैं, वहां पार्षद,
विधायक एवं सांसद की टिकट सिंधी भाषी को दी जाए।
महामंडलेश्वर ने कहा कि अगर पृथक सिंधी प्रदेश होता तो दस
बीस सांसद, सौ दो सौ विधायक होते, हमारी आवाज सुनी जाती
लेकिन हमारे साथ छल हुआ जो अलग प्रदेश नहीं बना, इसलिए
राजनीति दल का बनना बहुत जरूरी है।

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