-मुख्यमंत्री कार्याल्य की नाक के नीचे दो करोड नगद और सोना बरामद होना प्रमाण।
– भ्रष्टाचार को आकण्ठ तक डूबी गहलोत सरकार का संरक्षण प्राप्त।
-कांग्रेस की जडों में महाभ्रष्टाचार, शुरूआत नेहरू सरकार से।
योजना भवन से 2.31 करोड नगद और 1 किलो सोना बरामद होने की घटना को लेकर भाजपा नेता, पूर्व शिक्षा मंत्री एवं वर्तमान अजमेर उत्तर विधायक वासुदेव देवनानी ने मुख्यमंत्री और सत्ता पर काबिज गहलोत सरकार पर हमला बोला। देवनानी ने कहा कि जहां से मुख्यमंत्री प्रदेश का शासन चलाते हो वहां उनकी नाक के नीचे करोडों नगद और सोना बरामद हो जाए तो यह प्रदेश में भ्रष्टाचार का चरम सीमा में व्याप्ती का ही प्रमाण है। भ्रष्टाचार को कहीं न कहीं आकण्ठ तक डूबी गहलोत सरकार का संरक्षण प्राप्त है। भ्रष्टाचार के तार निश्चित ही उॅपर तक जा रहे हैं।
देवनानी ने कहा कि प्रदेश में कांग्रेस सरकार ने अब तक के अपने ही महाभ्रष्टाचार के सारे रिकॉर्ड तोड दिए है। वैसे कांग्रेस की जडों में महाभ्रष्टाचार है। पहली नेहरू सरकार में ही सेना के लिए खरीदी जीपों में ही घोटाला कर इन्होंने इसकी शुरूआत कर दी थी। यूपीए 1 और यूपीए 2 सरकार के दौरान बोफोर्स, कोयला, 2जी, कॉमनवेल्थ, अगस्ता वेस्टलेण्ड, आदर्श सोसायटी इत्यादि घोटालों पर घोटालें इनके महाभ्रष्ट होने के उदाहरण है। नेशनल हेराल्ड घोटाले में तो कांग्रेस के दो पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष तक जमानत पर है।
देवनानी ने कहा कि पिछले साढे चार सालों में सरकार के संरक्षण में कांग्रेसी विधायक और अधिकारी बेलगाम होकर जनता को दोनों हाथों से लूट रहे हैं। ट्रांसपरेंसी इंटरनेशनल की रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश भ्रष्टाचार के मामले में पिछले 3 वर्षों से नम्बर 1 पर है। कोरोनाकाल में मास्क व दवाइयों में जमकर भ्रष्टाचार किया गया। कोरोना पीक निकल जाने के पश्चात 20 हजार ऑक्सीजन कंस्ट्रेटर 3 गुना कीमत पर नमक-मिर्च और एलईडी बनाने वाले व्यापारियों से खरीद लिए गए, जो सारे के सारे सरकारी गोदाम में धूल खा रहे हैं। उसी काल में राजस्थान खनन विभाग ने प्रतापगढ के पीपलखूंट में 1 हजार करोड रूपए की लाईम स्टोन खान को मार्बल की खान बताकर 5 करोड रूपए में अलॉट कर दी। अवैध खनन और बजरी में सरकारी संरक्षण में लूट आम है। भरतपुर में अवैध खनन से दुखी संत विजयदास को आत्महत्या तक करनी पडी।
उन्होंने बताया कि पुलिस विभाग में भी भ्रष्टाचार चरम पर है। थाने वसूली के अड्डे बन चुके हैं। छोटे कर्मचारियों को तो छोड दे अलवर व बारां के कलक्टर जबकि दौसा व सिरोही के एसपी ही भ्रष्टाचार के मामले में ट्रेप हो चुके है। वर्ष 2018 में 372, वर्ष 2020 में 445, वर्ष 2022 में 511 मामले दर्ज हुए। वर्ष 2023 में भी रिकॉर्ड तोड मामले दर्ज हुए है। एसीबी पकडती है उस पर कोई कार्रवाई नहीं होती। अभियोजन स्वीकृति नहीं मिलती है। एसओजी की एडिशन एसपी तक दो करोड रिश्वत मांगती पकडी जाती है। दो वर्ष में चार दर्जर से अधिक आईएएस एवं आरएएस अधिकारी सस्पेंड होते है। महाभ्रष्टाचार का आलम इस कदर है कि डीसीपी के ऑफिस में एसीपी रिश्वत में पीडित महिला से अस्मत की मांग कर ली जाती है। मुख्यमंत्री के पूछने पर तत्कालीन शिक्षा मंत्री के सामने शिक्षकों ने एक स्वर में तबादले के बदले पैसे लिए जाने की बात स्वीकारना जगजाहिर है। कांग्रेस के एक वरिष्ठ विधायक लगातार मुख्यमंत्री सहित खान मंत्री पर भ्रष्टाचार के आरोप लगा रहे है। वर्तमान सरकार के ही एक मंत्री अनेकों मंचों से दावे कर कह रहे है कि गहलोत सरकार जितनी भ्रष्ट सरकार और राजस्थान यूडीएच मंत्री जितना भ्रष्ट कभी कोई इतिहास में हुआ ही नहीं। इससे ज्यादा प्रदेश की क्या दुर्गती हो सकती है।