स्वामी रामकिशोर ने संप्रदाय का नवसृजन किया

-मूलचंद पेसवानी- शाहपुरा / रामस्नेही संप्रदाय के ब्रह्मलीन आचार्य स्वामी रामकिशोर महाराज युगदृष्टा व युग सृष्टा थे। उन्होंने संप्रदाय में नवयुग का सृजन किया। नैतिकता और अध्यात्म के क्षेत्र में उन्होंने प्रकाश रश्मियों को आलौकिक किया। यह बात मंगलवार को रामनिवास धाम में स्वामी रामकिशोर महाराज के पुण्योत्सव पर आयोजित समारोह में संप्रदाय के भंडारी संत अखेराम महाराज ने कही। समारोह की अध्यक्षता रामनिवास धाम के ट्रस्टी रामधन काबरा ने की तथा विशिष्ट अतिथि के रूप में संत छगनराम महाराज, संत निर्मलराम महाराज, शिक्षाविद् राजेंद्रप्रसाद सिंह डांगी, रामेश्वरलाल बसेर, रामस्वरूप काबरा, रामकल्याण काबरा व अमरचंद न्याति थे। संत अखेराम महाराज ने स्वामी रामकिशोर के आदर्शों को अपनाने का आव्हान करते हुए कहा कि भारतीय संस्कृति में ही गुरु को ईश्वर से बड़ा माना है। उन्होंने कहा कि धर्म से विमुखता बढऩे के कारण ही आज हम सब दुखों के मायाजाल में जकड़ते जा रहे हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि मोह का क्षय होना ही मोक्ष है। रामनिवास धाम ट्रस्ट के ट्रस्टी रामधन काबरा ने सभी का स्वागत करते हुए स्वामी रामकिशोर के जीवन कृतित्व पर विस्तार से प्रकाश डाला तथा उनके आदर्शों व उपदेशों के प्रासंगिकता की व्याख्या की। इस अवसर पर संस्कृत स्कूल के बालकृष्ण सुल्तानिया, आर्य समाज के प्रधान कन्हैयालाल आर्य, उप प्रधान हीरालाल आर्य, मंत्री सत्यनारायण तोलंबिया, संचिना कला संस्थान के अध्यक्ष रामप्रसाद पारीक सहित कई विशिष्टजन उपस्थित थे।

ब्रह्मलीन आचार्य रामकिशोर जी महाराज के पुण्योत्सव पर आज रामनिवास धाम में विभिन्न कार्यक्रम हुए। इससे पूर्व महाप्रभु रामचरण कन्या विद्यापीठ एवं रामस्नेही संस्कृत विद्यालय के विद्यार्थियों की ओर से स्वामी रामकिशोर की जयकारे लगाते हुए रैली निकाली गई, जो रामनिवास धाम में संपन्न हुई। स्वामीजी के समाधि स्थल पर आयोजित समारोह में राम वंदना, अणभै वाणी का पाठ व श्लोक पाठ का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में आरती व मंगलकामना की गई।

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