*शरीर को सजाने में नहीं आत्मा के कल्याण में लगाए अपना समय*
*शास्त्रीनगर हाउसिंग बोर्ड स्थित सुपार्श्वनाथ पार्क में वर्षायोग प्रवचन*
भीलवाड़ा, 27 अगस्त। हम जब स्वयं को जान लेेगे समझ लेंगे तो हमारा कल्याण भी हो जाएगा। जो इस दुनिया में आया है उसे जाना तो पड़ेगा। जाएगा तो अकेला नहीं जाएगा दूसरों के कंधों के बल पर जाएगा। जब अपने में बल था तो उस समय अपने बल पर गए। हमे तू तू मैं मैं छोड़ देना चाहिए। तू को निकाल दे मैं रह जाएगा ओर अपनी आत्मा का कल्याण हो जाएगा। ये विचार शहर के शास्त्रीनगर हाउसिंग बोर्ड स्थित सुपार्श्वनाथ पार्क में श्री महावीर दिगम्बर जैन सेवा समिति के तत्वावधान में चातुर्मासिक(वर्षायोग) वर्षायोग प्रवचन के तहत मंगलवार को राष्ट्रीय संत दिगम्बर जैन आचार्य पूज्य सुंदरसागर महाराज ने व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि स्वयं में रमने के लिए तू को छोड़ना पड़ेगा। दूसरों के दोष देखने की बजाय अपने भीतर झांकना होगा। दुनिया में जो भी क्लेश है वह तूं ओर मैं के कारण है। जीवित तो हजारों मिलेंगे लेकिन स्वयं में रमने के लिए तैयार कोई नहीं मिलेगा। आचार्यश्री ने कहा कि जीवात्मा के कर्म ओर आत्मा जब तक अलग-अलग नहीं होंगे मोक्ष मार्ग नहीं मिलेगा। ये परिणाम स्वयं के है ओर अपना कल्याण मैं से ही होगा। हमारे जीवन से तू तू मैं मै छूटने पर ही मोक्ष मिलेगा। आनंद तभी आएगा ओर भगवान बन जाएंगे। इससे पूर्व प्रवचन में मुनि श्री सुगमसागर महाराज ने कहा कि बहुत कम जीव होते जो अपनी आत्मा की आंखों से देखते है। दिगम्बर साधु सुनता सबकी है लेकिन करता वहीं जो आगम सम्मत होता है। बाहरी द्रव्यों का त्याग करना आसान है लेकिन अतंरग से मिथ्यात्व का त्याग करना कठिन है। दान देने के बाद भी लोग उसे याद करते है। दान देने के बाद पीछे मुड कर नहीं देखना चाहिए। दान इतना भी नहीं देना चाहिए कि संक्लेशता हो जाए। कभी अपनी हैसियत से ज्यादा मत दो। शरीर को सजाने में समय बर्बाद नहीं कर उस समय का उपयोग आत्मा के कल्याण में करना चाहिए। श्री महावीर दिगम्बर जैन सेवा समिति के अध्यक्ष राकेश पाटनी ने बताया कि सभा के शुरू में श्रावकों द्वारा मंगलाचरण,दीप प्रज्वलन,पूज्य आचार्य गुरूवर का पाद प्रक्षालन कर उन्हें शास्त्र भेंट व अर्ध समपर्ण किया गया। संचालन पदमचंद काला ने किया। महावीर सेवा समिति द्वारा बाहर से पधारे अतिथियों का स्वागत किया गया। मीडिया प्रभारी भागचंद पाटनी ने बताया वर्षायोग के नियमित कार्यक्रम श्रृंखला के तहत प्रतिदिन सुबह 6.30 बजे भगवान का अभिषेक शांतिधारा, सुबह 8.15 बजे दैनिक प्रवचन, सुबह 10 बजे आहार चर्या, दोपहर 3 बजे शास्त्र स्वाध्याय चर्चा, शाम 6.30 बजे शंका समाधान सत्र के बाद गुरू भक्ति एवं आरती का आयोजन हो रहा है।
*भागचंद पाटनी*
मीडिया प्रभारी
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