कोई लेखक छोटा या बड़ा नहीं होता। साहित्य की कोई एक भाषा नहीं होती- नंद भारद्वाज

जयपुर । राही सहयोग संस्थान के तत्वावधान एवं जयपुर सांसद मंजू शर्मा के मुख्य आतिथ्य में पुस्तक लोकार्पण व काव्यगोष्ठी का गरिमामय आयोजन किया गया। इस अवसर पर ग़ाज़ियाबाद से आए कार्यक्रम के विशिष्ठ अतिथि उमाशंकर मिश्र के सम्पादन में प्रकाशित यू एस एम पत्रिका के जयपुर विशेषांक तथा साकार श्रीवास्तव व नीरज रावत के सम्पादन में राही सहयोग संस्थान स्मारिका – 2024 का लोकार्पण किया गया। इस अवसर पर सांसद मंजू शर्मा ने स्त्री सुरक्षा और बच्चों में बढ़ रहे दुर्व्यसनों के साथ मोबाइल संस्कृति पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि वे जयपुर को विरासत संरक्षण, साहित्य, संस्कृति, भाषा व सभी क्षेत्रों में पहले नम्बर पर देखना चाहती हैं।
डॉ गोविल के स्वागत उद्बोधन के बाद उमाशंकर मिश्र ने पत्रिका में जयपुर के लेखकों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि जयपुर में साहित्य व पूरा धरोहर का विपुल भंडार है। वह जयपुर पर पत्रिका का एक और विशेषांक निकालेंगे। संस्थान की अध्यक्षा कविता मुखर ने संस्थान के सामाजिक सरोकारों के बारे में बताया वहीं सचिव साकार श्रीवास्तव ने इसकी गतिविधियों से अवगत कराया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए नंद भारद्वाज ने कहा कि कोई लेखक छोटा या बड़ा नहीं होता। साहित्य की कोई एक भाषा नहीं होती। साहित्यकार हरिराम मीणा ने कहा कि राजनीति और साहित्य, दोनों की प्रतिबद्धता और तालमेल समाज की बेहतरी के लिए होना चाहिए। समीक्षक दुर्गा प्रसाद अग्रवाल ने कहा कि विचारों में जड़ता नहीं अपितु खुलापन होना चाहिए। प्रथम सत्र का संचालन रेणु शब्द मुखर ने किया।
कार्यक्रम के दूसरे सत्र ‘काव्यगोष्ठी’ की अध्यक्षता करते हुए शायर लोकेश कुमार सिंह ‘साहिल’ ने कहा कि हास्य कोई अगंभीर चीज़ नहीं है। उन्होंने हिंदी में वाचिक परम्परा में गिरावट पर चिंता व्यक्त की। कार्यक्रम नरेंद्र लाटा, रवीन्द्र गुरगुल, आहत नज़्मी, रेशमा खान, विनय कुमार अंकुश, रेणु शब्द मुखर व सलोनी क्षितिज ने गीत, ग़ज़ल व हास्य रचनाएँ प्रस्तुत कीं। राजेंद्र मोहन शर्मा ने धन्यवाद ज्ञापित किया। दूसरे सत्र का संचालन सलोनी क्षितिज ने किया।

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