शिक्षा संस्कार और परिवार वर्तमान समय की सबसे बड़ी जरूरत

संपर्क संस्था ने किया 31 विभूतियों का सम्मान
जयपुर । सामाजिक- साहित्यिक सरोकारों में अग्रणी संपर्क संस्थान के तत्वाधान में शैक्षिक क्षेत्र में अतुलनीय योगदान देने वाली देश भर की 31 विभूतियों का सम्मान समारोह, लेखिका सीमा वालिया की पुस्तक “और में चल पड़ी” का विमोचन तथा काव्य सरिता का भव्य आयोजन होटल सफारी में समारोह पूर्वक संपन्न हुआ ।
कार्यक्रम की मुख्य अतिथि सुधा गुप्ता पूर्व निदेशक दूरदर्शन,जयपुर, कार्यक्रम अध्यक्ष पुनीत कर्णावट उप महापौर नगर निगम,मुख्य वक्ता शिक्षाविद डॉ. ऋत्विज गौड़, सम्पर्क अध्यक्ष अनिल लढ़ा, महासचिव समन्वयक रेनू शब्दमुखर, कार्यक्रम संयोजक किशन राठी ने माँ सरस्वती के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया । रामदास राठी मेमोरियल ट्रस्ट द्वारा शिक्षकों को स्मृति चिन्ह शॉल व संपर्क दुप्पटा पहना कर अभिनंदन किया गया । संस्थान अध्यक्ष अनिल लढ़ा ने अपने स्वागत वक्तव्य में सम्पर्क संस्थान के 23 वर्षों के कार्यों की सिलसिलेवार जानकारी दी।
इस अवसर पर ज्ञान विहार स्कूल के प्राचार्य डॉ. ऋत्विज गौड़ ने कहा कि वर्तमान परिप्रेक्ष्य में अभिभावकों की महती भूमिका बन पड़ी है। क्योंकि आज अभिभावक को इस बात की आवश्यकता है कि वह संयुक्त परिवार की ओर अपना रुख करते हुए एकल परिवार की समस्या को समझें और अपने बच्चों में संस्कार निहित कर सकें। आज के बच्चे संस्कार से दूर होते जा रहे हैं और बच्चों में संस्कारों का होना बहुत जरूरी है।
उन्होंने संस्कार का गहरा संबंध परिवार और परवरिश पर बताया कि यदि माता-पिता अपने बच्चों को छोटी से छोटी बात को भी सिखाए तो वह बात बच्चे आसानी से समझ सकते हैं। दूरदर्शन की पूर्व निदेशक सुधा गुप्ता ने भी संस्कार और परिवार के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि पहले के समय में बच्चे शिक्षा के साथ-साथ सामाजिकता और संस्कार दोनों को बराबर साथ लेकर चलते थे। आज के बच्चे शिक्षा में बहुत अधिक अच्छा कर रहे हैं लेकिन उनके मोटे-मोटे पैकेज कहीं ना कहीं उन्हें संस्कार से दूर लेते जा रहे हैं। ऐसे में विवेकानंद जी के बचपन के किस्से सुनाते हुए उन्होंने संस्कारों की भूमिका पर जोर दिया और इसमें माता को आगे आने की उन्होंने बलवती इच्छा प्रकट की और कहा कि माता अपने बच्चों को जिस रूप से तैयार कर सकती है, वैसा कोई और नहीं कर सकता।
जयपुर ग्रेटर उपमहापौर पुनीत कर्णावत ने भी परिवार और संस्कार की भूमिका को बहुत महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि वर्तमान परिप्रेक्ष्य में शिक्षकों को अपनी गरिमा को बनाये रखते हुए बच्चों को संस्कारवान बनाना होगा और यह जिम्मेदारी शिक्षकों के कंधों पर है और साथ उन्होंने यह भी कहा कि बच्चों को स्वतंत्रता दी जानी चाहिए लेकिन उसके साथ-साथ उन पर नियंत्रण भी होना चाहिए। इस स्वतंत्रता और नियंत्रण के संतुलन से बच्चों का चहुंमुखी विकास संभव है जहां वे जिम्मेदारी का अर्थ सच्चे रूप में समझते हुए न केवल अच्छे नागरिक बन सकेंगे बल्कि अच्छे पारिवारिक सदस्य भी बन सकेंगें।
समन्वयक महासचिव रेनू शब्द मुखर ने कहा कि संपर्क साहित्य संस्थान हमेशा साहित्यिक क्षेत्र में अपनी महती भूमिका निभाता रहेगा। समारोह में हिंदी प्रचार प्रसार संस्थान के अध्यक्ष डॉ अखिल शुक्ला ने संपर्क संस्थान के सामाजिक कार्यों की खुले दिल से प्रशंसा करते हुए आगामी कार्यक्रमों की रूपरेखा रखी। इस दौरान सीमा वालिया ने पुस्तक के प्रकाशन को एक सपना बताते हुए सम्पर्क संस्थान का आभार जताया। समारोह का संचालन डॉ रेनू श्रीवास्तव ने किया।

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