आईआईएचएमआर यूनिवर्सिटी ने स्वास्थ्य प्रबंधन की भविष्य की तैयारियों के लिए एआई-संचालित समाधानों पर वैश्विक संवाद का नेतृत्व किया

राष्ट्रीय, 20 फरवरी 2025: आईआईएचएमआर यूनिवर्सिटी, जयपुर ने 14-15 फरवरी, 2025 को वैश्विक स्वास्थ्य प्रबंधन अनुसंधान सम्मेलन का आयोजन किया। सम्मेलन में वैश्विक स्वास्थ्य के प्रबंधन के लिए परिवर्तनकारी समाधानों पर ध्यान केंद्रित किया गया और विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों को विचारोत्तेजक चर्चाओं में शामिल होने के लिए एक ही मंच पर एकत्र किया गया। सम्मेलन में भविष्य के लिए तैयारियों को बढ़ाने, कोविड-19 जैसी उभरती चुनौतियों और एचएमपीवी वायरस जैसे उभरते खतरों के बीच स्वास्थ्य प्रबंधन में लचीलापन और नवाचार सुनिश्चित करने के लिए एआई-संचालित समाधानों के उपयोग पर ध्यान केंद्रित किया गया।

सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में गणमान्य अतिथियों और प्रतिनिधियों का स्वागत करते हुए आईआईएचएमआर यूनिवर्सिटी के प्रेसिडेंट  डॉ. पी.आर. सोढानी ने कहा, “हमारे देश में स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र सबसे तेजी से विकसित होने वाले क्षेत्रों में से एक है, जो नवाचार, रोजगार और आर्थिक वृद्धि के अपार अवसर प्रदान करता है। कोविड-19 के बाद के दौर ने प्रौद्योगिकी-संचालित स्वास्थ्य समाधानों को तेज़ी से अपनाने के लिए प्रेरित किया है, जिससे डिजिटल परिवर्तन आज एक आवश्यक प्राथमिकता है। इस बदलाव को समझते हुए, आईआईएचएमआर यूनिवर्सिटी ने एक समर्पित ‘स्कूल ऑफ डिजिटल हेल्थ’ की स्थापना की है, जो MBA in Healthcare Analytics जैसे विशेष कार्यक्रम प्रदान करता है, जिससे भविष्य के नेतृत्वकर्ताओं को डेटा-संचालित निर्णय लेने की क्षमताएँ प्रदान की जा सकें।”
डॉ. पी.आर. सोढानी ने आगे बताया कि सम्मेलन चार महत्वपूर्ण विषयों पर केंद्रित था:
1- सतत सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रबंधन के लिए परिवर्तनकारी समाधान
2- सतत फार्मास्युटिकल प्रबंधन के लिए अत्याधुनिक विधियाँ
3- सतत CSR और ESG प्रबंधन के लिए नवाचारी पहल
4- सार्वभौमिक डिजिटल स्वास्थ्य और एनालिटिक्स।

उन्होंने यह भी बताया कि इस सम्मेलन के दौरान वैश्विक स्वास्थ्य प्रबंधन अनुसंधान एजेंडा को बढ़ावा देने के लिए 13 संगठनों ने आईआईएचएमआर यूनिवर्सिटी, जयपुर के साथ समझौता ज्ञापन (MOU) पर हस्ताक्षर किए।
वैश्विक स्तर पर प्रसिद्ध शिक्षाविदों द्वारा एक पैनल चर्चा आयोजित की गई, जिसमें भविष्य की स्वास्थ्य प्रबंधन शिक्षा पर विचार-विमर्श किया गया। इस चर्चा में उद्योग-केंद्रित पाठ्यक्रम सुधार, तकनीकी प्रगति और कार्यक्रम प्रबंधन एवं नीतिगत योजना के लिए अनुसंधान को बढ़ावा देने जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर गहन विमर्श किया गया।

प्रमुख वक्ताओं के विचार
डॉ. सुबोध अग्रवाल, अतिरिक्त मुख्य सचिव, राजस्थान सरकार ने मुख्य भाषण देते हुए “एंथ्रोपोसीन युग” की चर्चा की—एक ऐसा समय जब मानवीय गतिविधियाँ प्राकृतिक ताकतों से अधिक हमारे ग्रह को आकार दे रही हैं। उन्होंने कहा, “जलवायु-प्रेरित स्वास्थ्य संकटों से लेकर स्वास्थ्य सेवा में एआई के तीव्र एकीकरण तक, हमें एक सतत भविष्य सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदारीपूर्वक कार्य करना होगा। हालांकि टेक्नोलोजी अभूतपूर्व गति से आगे बढ़ रही है, लेकिन क्या एआई मानवता की सेवा करेगा या इसे नियंत्रित करेगा? हमें एआई को विनियमित करना चाहिए, इससे पहले कि यह हमें विनियमित करे।”

मेजर जनरल (प्रोफेसर) अतुल कोटवाल, कार्यकारी निदेशक, राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रणाली संसाधन केंद्र, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार ने कहा, “स्वास्थ्य सेवा प्रणाली में परिवर्तनकारी बदलावों पर चर्चा करते हुए, हमें अपनी प्रगति और चुनौतियों को स्वीकार करना चाहिए। प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा को मजबूत करना, व्यक्तिगत खर्च को कम करना और स्वास्थ्य प्रणालियों को अधिक लचीला बनाना हमारी मुख्य प्राथमिकताएँ हैं। प्रौद्योगिकी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, लेकिन सच्चा परिवर्तन केवल डिजिटल समाधानों से नहीं, बल्कि नीतिगत सुधारों, सामुदायिक भागीदारी और स्थायी कार्यान्वयन से होगा। हमें एक ऐसे भविष्य की दिशा में कार्य करना चाहिए, जहाँ समान स्वास्थ्य सेवा सभी के लिए सुलभ हो।”

डॉ. एस.डी. गुप्ता, विशिष्ट प्रोफेसर, आईआईएचएमआर यूनिवर्सिटी, जयपुर ने कहा, “आज हमें उच्च गुणवत्ता वाली ऐसी स्वास्थ्य सेवाओं की आवश्यकता है, जो सुलभ और किफायती हों। इसके लिए हमारे पास पहले से ही ‘सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज’ (Universal Health Coverage) का वैश्विक मिशन है। इसके अलावा, ‘सतत विकास लक्ष्य’ भी एक महत्वपूर्ण मिशन है। आयुष्मान भारत जैसी योजनाओं ने लोगों के व्यक्तिगत खर्चों को काफी हद तक कम किया है। दूसरा महत्वपूर्ण पहलू मानव संसाधन विकास है। उनकी क्षमता का निर्माण, उन्हें कौशल प्रदान करना और उनके कौशल को और बढ़ाना महत्वपूर्ण है।”

समापन सत्र में डॉ. सुधीर भंडारी, प्रो-चांसलर, जयपुर नेशनल यूनिवर्सिटी और प्रोफेसर एमेरिटस, एसएमएस मेडिकल कॉलेज एवं संलग्न समूह अस्पताल, जयपुर ने कहा, “स्वास्थ्य सेवा अब केवल अस्पतालों और क्लीनिकों तक सीमित नहीं है। डिजिटल स्वास्थ्य, एआई-संचालित निदान, टेलीमेडिसिन और वैश्विक सहयोग स्वास्थ्य सेवा को एक नई पहचान दे रहे हैं। ऐसे दौर में एक अंतःविषय दृष्टिकोण अपनाना समय की आवश्यकता है। स्वास्थ्य सेवा का भविष्य स्थायित्व में निहित है, और इसे सभी स्तरों पर समावेशी होना चाहिए। प्रत्येक नवाचार और नीति को असमानताओं को दूर करने पर केंद्रित होना चाहिए, जिससे कोई भी पीछे न छूटे।”

सम्मेलन की आयोजन सचिव डॉ. हिमाद्री सिन्हा ने सम्मेलन की रिपोर्ट प्रस्तुत की और बताया कि यह सम्मेलन चार विषयों पर केंद्रित था, जिसमें 50 से अधिक वक्ताओं और शोधकर्ताओं ने अपने विचार प्रस्तुत किए। सम्मेलन का समापन एक पुरस्कार समारोह के साथ हुआ, जिसमें आठ प्रस्तुतकर्ताओं को सर्वश्रेष्ठ शोध पत्र और पोस्टर प्रस्तुति के लिए प्रमाणपत्र और स्मृति चिह्न प्रदान किए गए।
अंत में, सम्मेलन में भाग लेने वाले सभी प्रतिनिधियों के लिए एक सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसने इस महत्वपूर्ण आयोजन का एक उत्साहपूर्ण और प्रेरणादायक समापन हुआ।

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