*प्रदेश के सीमावर्ती जिलों को वाइब्रेंट विलेज योजना में शामिल करना अति आवश्यक : राठौड़*

*जय हिन्द यात्रा में केंद्र सरकार के प्रति झलकी नाराज़गी : राठौड़*
*सामरिक दृष्टि से सीमावर्ती क्षेत्रों का हो सही उपयोग, इसके लिए वाइब्रेंट विलेज योजना में शामिल करना आवश्यक : राठौड़*

प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सचिव एवं युवा नेता आजाद सिंह राठौड़ ने भारत-पाकिस्तान सीमा पर हाल ही में उत्पन्न हुई तनावपूर्ण स्थितियों को लेकर सीमावर्ती जिलों में संसाधनों की भारी कमी पर चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने बॉर्डर एरिया डेवलपमेंट प्रोग्राम को बंद करके राजस्थान के सीमावर्ती जिलों के साथ कुठाराघात किया है। आज इसका खामियाजा पूरे देश को सामरिक दृष्टि से भी उठाना पड़ रहा है।

राठौड़ ने कहा कि BADP योजना सामरिक और नागरिक दोनों दृष्टियों से अत्यंत आवश्यक थी, परंतु भाजपा सरकार ने इसे बंद कर दिया। वर्तमान में जब युद्ध जैसे हालात बनते हैं, तब इसकी कमी स्पष्ट नजर आती है। जय हिंद यात्रा के दौरान सीमावर्ती गांवों के लोगों से बातचीत के दौरान BADP योजना को बंद करना सबसे बड़ी चिंता दिखी। सीमावर्ती लोगों की मांग है कि केंद्र सरकार हमें BADP की तर्ज पर वाइब्रेंट विलेज योजना में शामिल करें अन्यथा विकास के लिए नई योजना प्रारंभ करें।

राठौड़ ने बताया कि केंद्र सरकार द्वारा BADP की तर्ज पर शुरू की गई वाइब्रेंट विलेज योजना में राजस्थान के सीमावर्ती जिले जैसे बाड़मेर, जैसलमेर, बीकानेर और श्रीगंगानगर को शामिल नहीं किया गया, जबकि इन क्षेत्रों की सामरिक महत्ता अत्यधिक है। उन्होंने इन जिलों को योजना में शीघ्र शामिल करने की मांग की है। राठौड़ ने कहा कि “यदि वाइब्रेंट विलेज योजना के अंतर्गत ये जिले पहले से शामिल होते, तो तनावपूर्ण परिस्थितियों में सेना के लिए सड़क मार्ग, भवन एवं आधारभूत संरचनाएं अत्यंत उपयोगी साबित होती। साथ ही स्थानीय नागरिकों को भी इन सुविधाओं से लाभ मिलता।”

राजस्थान सरकार द्वारा बजट में घोषणा की गई मुख्यमंत्री थार सीमा क्षेत्र विकास कार्यक्रम पर भी राठौड़ ने सवाल उठाते हुए कहा कि यह योजना सिर्फ घोषणाओं और भाषणों तक सीमित है। उन्होंने राज्य सरकार से इस विकास कार्यक्रम का प्रभावी और पारदर्शी क्रियान्वयन करने और इसके अंतर्गत होने वाले विकास कार्यों के प्रस्ताव BADP की तर्ज पर ग्राम पंचायत से भिजवाने की मांग की है।

राठौड़ ने बताया कि सीमावर्ती इलाकों में आज भी पानी, शिक्षा, रोजगार एवं कृषि क्षेत्र में मूलभूत समस्याएं विद्यमान हैं। यदि राज्य सरकार इच्छाशक्ति दिखाए, तो यह योजना सीमावर्ती अंचलों और सुरक्षा व्यवस्था दोनों के लिए सहायक सिद्ध हो सकती है। हमें ना सिर्फ सीमावर्ती गांवों को विकास के पैमाने से देखना चाहिए, बल्कि साथ ही साथ सामरिक दृष्टिकोण से भी देखना आवश्यक है।

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