“जब दादा-दादी, नाना-नानी बनें कहानीकार — तो युवा बनें हरित भारत के बदलाव के वाहक!”
जयपुर, 10 जुलाई 2025: जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण संरक्षण के लिए पीढ़ीगत संवाद को नई दिशा देने के उद्देश्य से राजस्थान की महिला एवं बाल विकास मंत्री डाॅ. मंजू बाघमार ने आज ‘पहले युवा सस्टेनेबिलिटी कॉन्फ्रेंस’ के लिए विशेष पोस्टर का विमोचन किया। इस कॉन्फ्रेंस का थीम है — ‘ग्रीन इंडिया के लिए सतत विकास कथावाचन’।
अपने सरकारी आवास पर डाॅ. बाघमार ने दादा-दादी, नाना-नानी को ज्ञान, जीवन मूल्य और अनुभवों के ‘जीवित पुस्तकालय’ बताया। उन्होंने कहा, “आज की भागदौड़ और तकनीकी दुनिया में गाँवों की जिंदगी, पारंपरिक पद्धतियाँ और प्रकृति की लय से जुड़ी उनकी सरल लेकिन गूढ़ कहानियाँ युवाओं में पर्यावरण चेतना जगाने की कुंजी हैं।”
राजीव टिक्कू, वॉयसेज ऑफ भारत पहल के संयोजक ने कहा कि ऐसे पीढ़ीगत कथावाचन सत्र न केवल सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करते हैं, बल्कि युवाओं के मन में पर्यावरणीय जिम्मेदारी के बीज भी बोते हैं।
यह युवा सस्टेनेबिलिटी कॉन्फ्रेंस 21 जुलाई 2025 को कनोरिया पीजी महिला महाविद्यालय, जयपुर में राजस्थान के पर्यावरण एवं वन मंत्री श्री संजय शर्मा के कर कमलों द्वारा उद्घाटित की जाएगी। एक दिवसीय सम्मेलन में डाॅ. मंजू बाघमार, प्रसिद्ध जल संरक्षक एवं रेमन मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित श्री राजेन्द्र सिंह जी विशिष्ट अतिथि होंगे। इसके साथ ही विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपति एवं महाविद्यालयों के युवा प्रतिनिधि भाग लेंगे।
श्री कल्याण सिंह कोठारी, सचिव लोक संवाद संस्थान — जो इस अभियान का कार्यान्वयन साझीदार है — ने बताया कि इस एक वर्षीय पहल में 20 से अधिक विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय साझेदार के रूप में जुड़कर युवाओं को पर्यावरण जागरूकता एवं सतत विकास वकालत से जोड़ेंगे।
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कल्याण सिंह कोठारी
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