राजस्थान का साहित्यिक आंदोलन श्रीगंगानगर पहुंचा

अंग्रेजों ने हमारी संस्कृति को तहस-नहस करने का प्रयास किया : अनिल सक्सेना
राजस्थान पंजाबी भाषा अकादमी और राजस्थान मीडिया एक्शन फोरम के संयुक्त तत्वावधान में हुई परिचर्चा और व्याख्यान
श्रीगंगानगर। वरिष्ठ पत्रकार एवं साहित्यकार अनिल सक्सेना ‘ललकार’ ने युवा पीढ़ी को सलाह दी है कि वे गूगल पर नहीं, पुस्तकों पर विश्वास करेंगे तो ज्यादा काबिल बनेंगे। क्योंकि यह जरूरी नहीं कि हर बार गूगल महाराज सही जानकारी ही दें।
वे राजस्थान के साहित्यिक आंदोलन की श्रृंखला में राजस्थान पंजाबी भाषा अकादमी, श्रीगंगानगर और राजस्थान मीडिया एक्शन फोरम के संयुक्त तत्वावधान में शुक्रवार शाम को अमर पैलेस में आयोजित परिचर्चा एवं व्याख्यान कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि एक समय था जब संस्कृति में ही शिक्षा होती थी लेकिन अंग्रेजों ने हमारी संस्कृति को तहस-नहस करने का प्रयास किया। अब पिछले कुछ अरसे से केंद्र और राजस्थान सरकार शिक्षा में संस्कृति को स्थान देने का प्रयास कर रही है और ये प्रयास रंग भी लाने लगे हैं। उन्होंने अभिभावकों को सलाह दी कि वे बच्चों के सामने ऐसी कोई हरकत न करें, जिससे बच्चों को गलत आदत पड़े। क्योंकि बच्चे वही करते हैं, जो उनके माता-पिता करते हैं। सक्सेना ने मोबाइल को बम करार देते हुए कहा कि छोटे बच्चों को मोबाइल से दूर रखना चाहिए, क्योंकि पता ही नहीं चलता कि मोबाइल में क्या-क्या चल रहा है।
साहित्यकार अमृता प्रीतम एवं मोहन आलोक तथा गजल गायक जगजीतसिंह की स्मृति में आयोजित इस कार्यक्रम में तीनों से जुड़ी स्मृतियों को ताजा किया गया। उनके योगदान को रेखांकित किया गया।
वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. मंगत बादल ने कहा कि भारतीय संस्कृति को समझना हो तो हमें पूर्व से पश्चिम और उत्तर से दक्षिण तक के भारत को जानना चाहिए। इसमें आपको अनेक भाषाओं और संस्कृतियों के दर्शन होंगे। भारत को भारत बनाने में इन सभी भाषाओं और संस्कृतियों का योगदान है।
साहित्यकार-पत्रकार डॉ. कृष्णकुमार ‘आशु’ ने कहा कि राजस्थान के साहित्यिक आंदोलन का परिदृश्य बहुत विस्तृत और पुराना है। इसमें हिंदी से भी ज्यादा योगदान राजस्थानी साहित्य ने दिया है। इसे स्वीकार करने की आवश्यकता है।
कवयित्री मीनाक्षी आहुजा ने अमृता प्रीतम पर विस्तार से चर्चा की और कहा कि लाख मुश्किलों के बावजूद अमृता ने अपनी लेखनी से दुनिया को अचंभित किया।
शिक्षाविद् रिछपालसिंह दुगेसर ने कहा कि जिसको हम शिक्षा कहते हैं, दरअसल वह साक्षरता है। हमने अपनी पीढ़ी को भी वही सब रटाया है, जो हमारी अज्ञानता थी। श्री दुर्गेश्वर ने विस्तार से यह भी वर्णन किया कि कैसे नीति और रिति बनती है और समाज को कैसे प्रभावित करती  है l
अतिरिक्त जिला परियोजना समन्वयक समग्र शिक्षा अरविंद्रसिंह ने कहा कि भारतीय संस्कृति फूलों का एक गुलदस्ता है, जिसमें भांति-भांति के रंग-बिरंगे फूल हैं। यही इसकी खूबसूरती है और अगर यह खूबसूरती बची रहेगी, तभी भारतीय संस्कृति भी बची रहेगी।
राजस्थान पंजाबी भाषा अकादमी के कार्यों की जानकारी दी
इससे पहले, पंजाबी भाषा अकादमी के सचिव डॉ. एन.पी. सिंह ने  अतिथियों का स्वागत करते हुए अकादमी की गतिविधियों के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने गौतम बुद्धनगर में अकादमी के लिए आरक्षित किए गए भूखंड का पट्टा जारी करवाने का आग्रह भी किया। डॉ. सिंह ने बताया कि राजस्थान सरकार के आदेशों की अनुपालना में प्रदेश की समस्त संस्कृति, साहित्य और कला अकादमियों की ओर से राजस्थान के साहित्यिक आंदोलन में सहभागिता सुनिश्चित करने के आदेश के अंतर्गत यह कार्यक्रम करवाया गया था।
पुस्तकों का हुआ विमोचन
कार्यक्रम में अनिल सक्सेना की पुस्तक ‘राजस्थान का साहित्यिक आंदोलन’ और संदीपसिंह मुंडे व कुलदीपसिंह की संपादित पुस्तकों ‘कावि उडारी’ और ‘अरमानी पैड़ा’ का विमोचन भी किया गया।
पंजाबी गायक युवराज सिद्धू ने पंजाबी गीतों से समां बांधा। उनके साथ हारमोनियम पर साजन सिद्धू और तबले पर बीरबल डागला ने संगत की। मंच संचालन मीनाक्षी आहुजा ने किया। सभी अतिथियों को सम्मानित किया गया।

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