साहित्य और पर्यावरण दोनों संवेदनशीलता के स्रोत है

ज्ञान विहार विद्यालय परिसर में संपर्क संस्थान की पर्यावरणीय एवं साहित्यिक पहल को मिला उत्साहजनक समर्थन
जयपुर। संपर्क संस्थान और ज्ञान विहार विद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित ‘एक पेड़ – संपर्क के नाम’ व पर्यावरण विषयक काव्य पाठ में पर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता और साहित्यिक चेतना का अद्भुत संगम देखने को मिला। कार्यक्रम में विद्यार्थियों, शिक्षकों, साहित्यकारों और समाजसेवियों ने सक्रिय सहभागिता निभाई।
संपर्क संस्थान के अध्यक्ष  अनिल लढ़ा ने स्वागत करते हुए कहा की-“संपर्क संस्थान का यह प्रयास सिर्फ एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि वृक्षारोपण के माध्यम से जीवन और समाज को जोड़ने की कोशिश है। हम चाहते हैं कि हर सदस्य एक वृक्ष को अपने रिश्ते की तरह संजोएं ।”
इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि डॉ. ऋत्विज गौड़ (प्राचार्य) ने अपने वक्तव्य में कहा कि“वृक्ष हमारी संस्कृति और अस्तित्व का आधार हैं। बच्चों को वृक्षारोपण के साथ प्रकृति से भावनात्मक संबंध जोड़ने की शिक्षा देना आज की आवश्यकता है।”
संपर्क संस्थान की महासचिव समन्वयक रेनू ‘शब्दमुखर’ ने भावुक करते हुए कहा “ ये कार्यक्रम ज्ञान विहार के विद्यार्थियों में वृक्षों के साथ जीने की भावना और  उत्तरदायित्व का रोपण करने की एक पहल है । प्रकृति और कविता जब साथ चलते हैं, तब समाज सच्चे अर्थों में जागरूक बनता है।”वरिष्ठ साहित्यकार प्रो. प्रबोध गोविल ने अपने प्रेरणादायक उद्बोधन में कहा की “साहित्य और पर्यावरण दोनों संवेदनशीलता के स्रोत हैं।
वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. जयश्री शर्मा ने कहा “वृक्ष न केवल ऑक्सीजन देते हैं, बल्कि जीवन मूल्यों की शिक्षा भी। एक कविता, एक पौधा और एक विचार – ये समाज को बदल सकते हैं।”
क्यूंकि तुम चलोगे तो कई और भी चलेंगे इन पंक्तियों के साथ नई पीढ़ी को प्रेरणा देते हुए कहा वरिष्ठ साहित्यकार अंशु हर्ष ने l
इस अवसर पर उषा रस्तोगी  ने अपनी सकारात्मकता उपस्थिति से प्राण फूँक दिए l
 संयोजक हिमाद्री समर्थ ने बताया कि पौधारोपण मुहीम का नाम चाहे जो हो उद्देश्य एक ही है और वो है पर्यावरण संरक्षण। आपने  नव पीढ़ी को जागरूकता का संदेश देते हुए कार्यक्रम में पधारे सभी अतिथि गणों का धन्यवाद ज्ञापित किया। सीमा वालिया की मधुर वाणी, सधी हुई भाषा और भावप्रवण संचालन ने समारोह को यादगार बना दिया।”
ज्ञान विहार विद्यालय के विद्यार्थियों की सक्रिय सहभागिता ने इस आयोजन को और भी जीवंत बना दिया। नन्हे हाथों ने जब मिट्टी को छुआ और पौधों को रोपा, तो यह केवल एक क्रियाकलाप नहीं, भावनात्मक जुड़ाव का प्रतीक बन गया।
विधार्थी चारुल,वरिष्ठ कविगण, डॉ नीलम कालरा, रेनू शब्दमुखर, हिमाद्री,डॉ कंचना सक्सेना, सोनल शर्मा, डॉ अंजु सक्सेना, अविनाश जोशी डॉ.पुनिता सोनी, कविता माथुर, एस.भाग्यम,राव शिवराज, डॉ दीपाली, विजयलक्ष्मी, सुशीला शर्मा, सुषमा शर्मा, मीना जैन, महेश शर्मा, निशा झाँ, इन सब की विद्यार्थियों ने न केवल पर्यावरणीय कविताएं सुनीं, बल्कि साहित्य के माध्यम से प्रकृति के प्रति चेतना को भी आत्मसात किया। उनकी सहभागिता यह संदेश देती है कि भावी पीढ़ी यदि प्रकृति से जुड़ती है, तो आने वाला कल सुरक्षित और सुंदर होगा।

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