जयपुर । राजस्थान प्रौढ़ शिक्षण समिति, राही सहयोग संस्थान तथा लघुकथा शोध केंद्र के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित कार्यक्रम में सुप्रसिद्ध साहित्यकार और संपादक पंकज सुबीर को धर्मवीर भारती शताब्दी सम्मान प्रदान किया गया। अध्यक्ष कविता मुखर ने बताया कि दो सत्रों के इस कार्यक्रम में कविता माथुर ने उपस्थित साहित्यकारों का स्वागत करते हुए कार्यक्रम प्रस्तावना प्रस्तुत की। तत्पश्चात नई लोकप्रियता पा रही लघु कथाओं पर गंभीर विमर्श हुआ और चार किताबों का लोकार्पण किया गया तथा उन पर प्रमुख समीक्षकों ने चर्चा की। ये किताबें थीं ’44 पिंजरे तोड़ के भागा कैदी’, ‘बीते समय की रेखा’, ‘काहू की काठी धारा’, तथा ‘गली कासिम जान’ का लोकार्पण हुआ।
इस अवसर पर लेखक प्रकाशक पंकज सुबीर को राही सहयोग संस्थान का ‘धर्मवीर भारती शताब्दी सम्मान’ प्रदान किया गया। सुबीर ने वर्तमान समय को आक्रामक लेखकों का दौर बताते हुए तथा यह कहते हुए कि असल में लोक ही किसी लेखक तथा उसकी रचनाओं को जीवित रखता है सम्मान ग्रहण किया।
लघुकथा शोध केंद्र, जयपुर के निदेशक साकार श्रीवास्तव ने कहा कि शहर के कवियों ने प्रथम सत्र में ज्योत्सना सक्सेना डॉ. अंजु सक्सेना, शोभा गोयल, नीलम शर्मा ‘सपना’, शशि पाठक, तथा कंचना सक्सेना ने अपनी- अपनी लघुकथा का पाठ किया। इनके अलावा सी. पी. दायमा, प्रमोद कुमार वशिष्ठ, पवनेश्वरी सक्सेना, आहत नज़मी, अर्चना सिंह ‘अना’, ए के माथुर, तथा बनज कुमार बनज ने कविता पाठ किया।
सुबह के सत्र की अध्यक्षता साहित्य मर्मज्ञ डॉ. नरेंद्र शर्मा कुसुम ने की तो दोपहर बाद वाले सत्र की अध्यक्षता लेखक प्रसारक नंद भारद्वाज ने की। पहले सत्र का संचालन नीरज रावत ने किया तो दूसरे का संचालन रेनू शब्दमुखर ने किया।
इस अवसर पर लेखक समीक्षक दुर्गाप्रसाद अग्रवाल, लेखक चिंतक राजाराम भादू, लेखक कवि फारूक आफरीदी लेखिका प्रकाशक जयश्री, लेखिका मनीषा कुलश्रेष्ठ, भवानी शंकर शर्मा, लेखक विनोद भारद्वाज, राजेंद्र मोहन शर्मा तथा पूर्व कुलपति डॉ. नरेश दाधीच ने साहित्य के विभिन्न पक्षों पर वक्तव्य दिए।
लेखक रत्नकुमार सामरिया ने सभा में प्रस्तुत की गई लघु कथाओं तथा कविताओं की समीक्षा की।मशहूर कवि बनज कुमार बनज ने अपनी दो कविताओं से सबका मन मोह लिया।
कार्यक्रम में जयपुर शहर के सुधि लोग मौजूद थे जिनमें भारतीय प्रशासनिक सेवा के पूर्व अधिकारी राजेश्वर सिंह तथा साहित्यनुरागी डॉ. सूरज सिंह नेगी,भारतीय पुलिस सेवा के पूर्व अधिकारी ए. के. माथुर, लोक प्रशासन संस्थान के पूर्व प्रोफेसर डॉ. मोहम्मद हसन तथा ग्रासरूट फाउंडेशन के प्रमोद शर्मा भी मौजूद थे। बहुमुखी प्रतिभा के धनी लेखक प्रमोद कुमार गोविल, जिनकी आत्मकथात्मक पुस्तक 44 पिंजरे तोड़ के भागा क़ैदी का लोकार्पण तथा उस पर सार्थक चर्चा हुई। प्रौढ़ शिक्षण समिति के अध्यक्ष राजेंद्र बोड़ा ने सभी आगंतुक साहित्यकारों व सहयोग कर रही पूरी टीम का आभार व्यक्त किया।