स्तनपान, माँ का दूध -अमृत के समान है -डॉ एम के जैन
जयपुर/विदिशा । विश्व स्तनपान संवर्धन सप्ताह 1-7 अगस्त के अंतर्गत आईएपी विदिशा, शिशु विभाग मेडिकल कॉलेज विदिशा एवं आईएमए विदिशा के संयुक्त तत्वावधान में, मेडिकल कॉलेज के प्रसूति वार्ड में कार्यक्रम आयोजित किया गया ।
आईएपी विदिशा के अध्यक्ष एवं आईएमए के प्रदेश अध्यक्ष डॉ एम के जैन ने बताया कि शिशु के लिए माँ दूध अमृत के समान होता है ।यह शिशु के समुचित शारीरिक , मानसिक , बौद्धिक और भावनात्मक विकास के लिये आवश्यक होता है । शिशु यदि माँ दूध पीते पीते 6-8 बार पेशाब कर ले, अच्छी तरह सोये, ज़्यादा ना रोये , और प्रति सप्ताह 200-250 ग्राम बजन बढ़े मतलब वह भूखा नहीं रहता पर्याप्त मात्रा में माँ का दूध प्राप्त कर रहा है ।
माँ का दूध बच्चों को लाभकारी तो होता ही है माँ को भी बहुत लाभकारी होता है इसलिए विश्व स्वास्थ्य संगठन एवं यूनिसेफ ने इस वर्ष स्तनपान जागरूकता बढ़ाने के लिये “ स्तनपान को प्राथमिकता देते हुए उसे स्थायी को सहायता प्रणाली प्रदान करना है ।”चाहे घर हो ,समुदाय हो ,अस्पताल हो या फिर ऑफिस अथवा कार्यालय, सभी जगह स्तनपान को बढ़ावा देना है ।की थीम को घोषित किया गया है ।
पूर्व प्रदेश आईएपी अध्यक्ष एवं मेडिकल कॉलेज की शिशु विभाग प्रमुख डॉ नीति अग्रवाल ने बताया कि अभी सिर्फ 50-45 % माता ही स्तनपान करवा रही इसे बढ़ाने की जरूरत है और इसलिए ही जागरूकता के माध्यम से 2030 तक 70% तक स्तनपान बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है ।
आगे बताया कि जन्म के एक घंटे के अंदर स्तनपान कराना प्रारंभ करना चाहिये ।शुरुआत में आँचल का दूध कम आता है ।लेकिन धीरे धीरे-धीरे आवश्यकता अनुरूप बढ़ जाता है । माँ और परिजनों को थोड़े धैर्य की आवश्यकता होती है ।जन्म से 6 माह सिर्फ़ और सिर्फ माँ का दूध ही पिलाना है और उसके अतिरिक्त कोई दूसरा पेय नहीं देना है । ध्यान रखना है कि माँ को सामान्य से थोड़ा अधिक और पौष्टिक भोजन देना है ।
स्तनपान से बच्चे को बीमारियों से सुरक्षा मिलती है ।और भविष्य में भी कुपोषण , दस्त उल्टी , निमोनिया , हृदय रोग , उच्च रक्तदाव, मधुमेह की बीमारी भी नहीं होती । डॉ एम के जैन ने बताया कि माँ के स्तनपान करवाते रहने से माँ का गर्भावस्था में हुआ बैडोल शरीर भी सामान्य होने लगता है ।और भविष्य में हृदय रोग , उच्च रक्तचाप , मधुमेह और हड्डियों की बीमारी ऑस्टियोपोरोसिस तथा स्तन और बच्चेदानी के कैंसर से भी सुरक्षित करता है ।
शिशु विभाग की विशेषज्ञ डॉ प्रियशा त्रिपाठी ने बताया कि स्तनपान करने वाले बच्चे अधिक बुद्धिमान और स्वस्थ होते हैं और भविष्य में उच्च पदों पर पहुंचते है । बॉटल से दूध कभी भी नहीं पिलाना चाहिए उससे बच्चों में दस्त , उल्टी, निमोनिया और कुपोषण जैसी समस्याये उत्पन्न होने का खतरा बढ़ जाता है । प्रसूति विभाग में भर्ती माताओ और उनके परिजनों द्वारा स्तनपान विषयक जानकारी प्राप्त की ।
मेडिकल कॉलेज शिशु विभाग के सेमिनार हॉल में डॉ नीति अग्रवाल के मार्ग दर्शन में फाइनल ईयर के एमबीबीएस छात्रों एवं नर्सिंग स्टाफ द्वारा स्तनपान विषयक पोस्टर प्रतियोगिता का शानदार आयोजन किया गया । निर्णायक मंडल में आईएपी विदिशा के अध्यक्ष डॉ एम के जैन,मेडिकल कॉलेज के सुपरिंटेंडेंट डॉ अविनाश लागवे, और प्रसूति विभाग प्रमुख डॉ सुधा चौरसिया के निर्णय द्वारा मेडिकल स्टूडेंट क्षितिज अम्भोरे, विदुषी , एवं सोनल पटेल को क्रमशः प्रथम द्वितीय एवं तृतीय तथा नर्सिंग स्टाफ की नीतू विश्वकर्मा और रिशु सोनी को क्रमशः प्रथम व द्वितीय पुरस्कार प्रदान किया गये ।
पूर्व में 1 अगस्त को प्रदेश की संयुक्त संचालक डॉ हिमानी यादव ,सीएमएचओ डॉ रामहित कुमार , सिविल सर्जन डॉ अनूप वर्मा एसएनसीयू प्रभारी डॉ सुरेन्द्र सोनकर , शिशुरोग विशेषज्ञ डॉ प्रमोद मिश्रा , डीआईओ डॉ दिनेश शर्मा ,पी आई सी यू प्रभारी डॉ महेंद्र सिंह रघुवंशी तथा आईएपी और आईएमए के सदस्य पैरामेडिकल स्टाफ तथा प्रसूति मातायें सम्मिलित हुए ।आईएपी सचिव डॉ सुरेंद्र सोनकर ने बताया कि स्तनपान में निवेश भविष्य का निवेश माना जाता है ।