ज्ञान विहार स्कूल, मालवीय नगर डी-ब्लॉक का वार्षिक समारोह हर्षोल्लास के आवर्तन संपन्न

जयपुर। लगभग 500 विद्यार्थियों ने नृत्य और नाटक के माध्यम से भारत के गौरवशाली अतीत से लेकर तकनीकी एवं सांस्कृतिक प्रगति तक की कहानी मंच पर जीवंत कर दर्शकों का मन मोह लिया।मौका था ज्ञान विहार स्कूल की वार्षिक उत्सव का जो 6 दिसंबर 2025 को सुरेश ज्ञान विहार यूनिवर्सिटी के सभागार में हर्षोल्लास के साथ आयोजित किया गया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि ज्ञान विहार यूनिवर्सिटी के अध्यक्ष श्री सुनील शर्मा, विशिष्ट अतिथि चीफ मेंटर डॉ. सुधांशु, डायरेक्टर कनिष्क शर्मा एवं प्राचार्य डॉ. ऋत्विज गौड़ विशेष रूप से उपस्थित थे। कार्यक्रम की शुरुआत NCC  और बैंड की धुनों के साथ मुख्य अतिथि का भव्य स्वागत कर हुई। मुख्य अतिथि श्री सुनील शर्मा ने अपने प्रेरणादायक भाषण में कहा हम सब मिलकर ऐसे संस्कारों का बीजारोपण करें, जिससे हमारे बच्चे सिर्फ होनहार विद्यार्थी नहीं, बल्कि संवेदनशील, दयालु और अच्छे इंसान बनें।  आज की यह थीम ‘आवर्तन – युगों के माध्यम से भारत की यात्रा’ न केवल हमारे सुंदर इतिहास को दर्शाती है, बल्कि विद्यार्थियों को अपनी जड़ों से मजबूती से जोड़ती है।
डॉ. सुधांशु ने अपने वक्तव्य में कहा कि बच्चों की रचनात्मकता जिस प्रकार समग्र रूप परिलक्षित हुई है वह काबीले तारीफ है।
डायरेक्टर कनिष्क शर्मा ने उपस्थित सभी गणमान्यों को संबोधित करते हुए अपने प्रेरक भाषण में कहा कि “हमें वही करना होगा, जो हम अपने शब्दों में कहते हैं। तथा अपनी आकांक्षा व्यक्त की कि ज्ञान विहार स्कूल जयपुर में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के क्षेत्र में अग्रणी संस्थान बने।अंत में उन्होंने सभी शिक्षकों, अभिभावकों और विद्यार्थियों से अपील की कि वे सामूहिक प्रयासों से सामाजिक बदलाव को सुनिश्चित करें और शिक्षा के माध्यम से एक उज्ज्वल भविष्य की नींव रखें ।प्रधानाचार्य डॉ. ऋत्विज गौड़ ने वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत  करते हुए छात्रों की शैक्षणिक एवं सह-शैक्षणिक उपलब्धियों की सराहना की और मेधावी विद्यार्थियों को  मेडल,ट्रॉफी और प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया।
मीडिया कोऑर्डिनेटर रेनू शब्द मुखर ने बताया कि कार्यक्रम का एक और आकर्षण बिंदु पेरेंट्स कोक्रिएशन भंगड़ा नृत्य रहा  जिसे सभी ने मुक्त कंठ से सराहा। इससे पूर्व में विद्यार्थियों  द्वारा तैयार आर्ट, फ्रेंच और मेंटल वेल बीइंग  एग्जीबिशन का उद्घाटन किया गया, जिसमें बच्चों की कला प्रतिभा की प्रशंसा की गई और उनकी रुचि को प्रोत्साहित किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत वेदों के मंत्रोच्चार और प्राचीन नृत्यों से हुई, जो भारतीय सभ्यता के प्रारंभिक दर्शन को प्रदर्शित करता है। अन्त में ‘डिजिटल इंडिया’, ‘अंतरिक्ष अनुसंधान’ और ‘युवा शक्ति’ पर आधारित प्रस्तुतियों ने आधुनिक भारत के उज्जवल भविष्य का संदेश दिया। यह भव्य समापन राष्ट्रीय गण के साथ हुआ।

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