जयपुर। राजस्थान में स्वाइन फ्लू का प्रकोप के कारण एक अप्रैल 2012 से 10 फरवरी 2013 तक 128 लोग मौत के मुंह में जा चुके हैं। राजस्थान में स्वाइन फ्लू का सबसे अधिक प्रकोप मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के गृह जिले जोधपुर जिले में रहा। जोधपुर जिले में एक जनवरी 2012 से लेकर अब तक करीब 65 स्वाइन फ्लू पॉजिटिव रोगियों की मौत हो चुकी है। जयपुर जिले में एक अप्रैल 2012 से लेकर अब तक 124 स्वाइन फ्लू पॉजिटिव रोगी पाए गए हैं, जिनमें से 20 रोगियों की मृत्यु हो चुकी है। स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के अनुसार राज्यभर में एक अप्रैल से नौ फरवरी 2013 तक करीब 710 मरीज एच-1 एन-1 पॉजिटिव पाए गए जिनमें से 127 रोगियों की मृत्यु हो गई।
प्रदेशभर में स्वाइन फ्लू से सबसे अधिक मौत जोधपुर जिले में हुई है। यहां पर एक जनवरी 2012 से 31 दिसम्बर 2012 तक 39 स्वाइन फ्लू पॉजिटिव रोगियों की मौत हो चुकी है। जोधपुर में एक जनवरी 2013 से लेकर अब तक करीब 26 मरीज इस गंभीर बीमारी के चलते मौत का शिकार हो चुके हैं। डॉ. आर.पी. सैनी ने बताया कि 2011 की बजाय 2012 में स्वाइन फ्लू रोग की मृत्यु दर में काफी इजाफा हुआ है।
उन्होंने बताया कि स्वाइन फ्लू रोग की दवा टेम फ्लू कम असर कारक साबित हो रही है। स्वाइन फ्लू का वायरस पहले जहां शरीर के दो या तीन हिस्सों को प्रभावित करता था वहीं अब एच-1 एन-1 वायरस शरीर के अधिकांश हिस्सों को प्रभावित कर रहा है। स्वाइन फ्लू के रोगी के फेफड़ों में पानी भर जाने से उसे वेंटीलेटर पर लिया जाता है और ऐसे केस में नाममात्र रोगियों का ही जीवन बच पाता है। स्वाइन फ्लू से बढ़ रही मौतों के बाद हरकत में आई राज्य सरकार ने अब घर-घर सर्वे का काम शुरू किया है।
चिकित्सा विभाग की टीम पूरे प्रदेश में घर-घर जाकर सर्वे कर रही है। इधर राज्य में तैनात दो आईएएस अधिकारी भी स्वाइन फ्लू की चपेट में आ गए। इनमें विपिन चन्द्र शर्मा और निरंजन पंवार शामिल है। दोनों ही अधिकारी एक सप्ताह से अवकाश पर है।