किराए पर दौड़ा ‘सात सितारा होटल’

trainरेल मंत्री और रेलवे बोर्ड अध्यक्ष जिस सात सितारा होटल जैसी सुविधाओं वाले डिब्बे में सफर करते हैं, उसे रेलवे ने पहली बार किराए पर आनन्दपुर ट्रस्ट की गुरुमाता के लिए उपलब्ध करवाया। इतिहास में सामंतशाही और राजशाही का उदाहरण रहा यह विशेष डिब्बा आजादी से पहले भारत में अंग्रेजी हुकूमत के बड़े रसूखदारों के सफर में काम आता था।

गुरुमाता और उनके चुनिन्दा शिष्यों ने दिल्ली से जयपुर तक इस शाही डिब्बे में सफर किया। जयपुर तक यह विशेष डिब्बा न्यूभुज-बरेली एक्सप्रेस के साथ जुड़कर आया और स्टेशन पर इसे अलग किया गया। डिब्बे के इंतजार में गुरुमाता के दर्जनों स्वागतकर्ताओं के साथ रेलवे के कुछ अधिकारी व कर्मचारी भी थे, जिन्हें इस डिब्बे को इस ट्रेन से अलग कर दिल्ली तक वापस भेजने की व्यवस्था करनी थी।

इस शाही डिब्बे को रात 11 बजे के बाद हरिद्वार मेल से जोड़कर जयपुर से दिल्ली भेजा गया। जयपुर रेलवे स्टेशन पर गुरुवार शाम करीब छह बजे जैसे ही न्यूभुज-बरेली एक्सप्रेस (14311) के साथ यह शाही डिब्बा आया, यात्रियों और इसे देखने वालों के बीच यह कौतुहल का विषय बन गया। सभी की आंखें इसे नीहार रही थीं और लोग इस डिब्बे की जानकारी लेने को आतुर दिखे। ट्रेन करीब बीस मिनट देरी से आई थी।

आसान नहीं किराए पर लेना
उच्च पदस्थ सूत्रों ने बताया कि इस डिब्बे को किराए पर लेने के लिए रेल मंत्री या रेलवे बोर्ड अध्यक्ष स्तर की सिफारिश चाहिए। उन्होंने कहा बताया कि हर किसी के चाहने पर यह डिब्बा किराए पर नहीं लिया जा सकता। इस डिब्बे को रेलवे जोन के महाप्रबंधक भी निरीक्षण पर जाने के लिए काम में लेते हैं।

चलता-फिरता महल
इस डिब्बे को रेलवे में ओसी कहा जाता है, लेकिन यह पटरी पर दौड़ता महल माना जा सकता है। यह डिब्बा पूरी तरह वातानुकुलित है, जिसमें ड्राइंग रूम, डाइनिंग हॉल, डबल बेडरूम व आधुनिक सुविधाओं वाले बाथरूम सहित कई अन्य प्रकार की सुविधाओं से लैस है। इस डिब्बे में किचन और खानसामा भी साथ में ही चलते हैं। पीए के लिए अलग रूम है।

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