जयपुर। भाजपा की राष्ट्रीय महासचिव एवं विधायक किरण माहेश्वरी ने कहा कि राजस्थान में राजकार्य में बाधा के सारहीन एवं झुठे प्रकरणों की बाढ़ आ गई है। शांतिपूर्ण एवं अहिंसात्मक प्रदर्शन, अधिकारियों के समक्ष रोष व्यक्त करना एवं प्रशासनिक अकर्मण्यता का विरोध राज्य की कांग्रेस सरकार के लिए गंभीर अपराध है। किरण ने गृह मंत्रालय की मांगो पर कटौति प्रस्ताव के माध्यम से सरकार की लोकतंत्र विरोधी एवं असहिष्णु कार्यप्रणाली पर सदन का ध्यान आकृष्ट किया। महिला प्रताड़ना के प्रकरणों में अनुसंधान में शिथिलता एवं आरोपियों को अनुचित लाभ देने के विरूद्ध सख्त कार्यवाही की आवश्यकता है। प्राथमिकी के ऑनलाईन संधारण की सुचारू व्यवस्था की जानी चाहिए। जनप्रतिनिधियों के विरूद्ध कार्य बाधा के झुठे प्रकरण तुरन्त वापस लिए जाऐं। किरण ने जेल प्रहरियों के रिक्त पदों को शीघ्र भरने, राजसमंद के जिला कारागार में पानी, बिजली एवं शौचालय की व्यवस्था एवं कैदियों को कौशल प्रशिक्षण देने की भी मांग की है।
पशुपालन विभाग की मांगो पर किरण ने गौशालाओं को वित्तीय प्रोत्साहन देने, प्रत्येक तहसील में एक आदर्श गौशाला की स्थापना एवं पशु चिकित्सकों व उपचारकों के पद शीघ्र भरने की मांग की। प्रत्येक ग्राम पंचायत मुख्यालय पर प्रतिमाह पशु चिकित्सा शिविर आयोजित करने की घोषणा 3 वर्ष पूर्व की गई थी। इसकी पालना नहीं की जा रही हैं।
कृषि विभाग की मांगों पर किरण ने फव्वारा योजना में समय पर अनुदान नहीं देने एवं भ्रष्टाचार की जांच करने की मांग की। उदयपुर कृषि मण्डी में रतनजोत, करनी एवं फुहारी जैसी वन उपजों के विक्रय के लिए समुचित व्यवस्था होनी चाहिए।
कौशल प्रशिक्षण योजना से नहीं मिल रहा रोजगार
जयपुर। भाजपा की राष्ट्रीय महासचिव एवं विधायक किरण माहेश्वरी ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा चलाई जा रही रोजगार परक कौशल प्रशिक्षण योजना रोजगार उपलब्ध करवाने में असफल रही है। इस योजना के लिए आंवटित धन राशि 10 करोड़ रूपयों में आधी राशि भी वर्ष भर में खर्च नहीं हुई है।
किरण के अतारांकित प्रश्न के प्रत्युत्तर में बताया गया कि इस योजना में अभी तक मात्र 7056 व्यक्तियों को प्रशिक्षित किया गया। इनमें से 3714 प्रशिक्षणार्थियों को ही नियोजित किया जा सका है। नियोजित प्रशिक्षणार्थियों में भी 2600 को 6000 रू. प्रतिमाह से कम पर नियोजित किया गया है। यह कुशल श्रमिकों को देय न्यूनतम वेतन से भी कम है।
प्रत्युत्तर में यह भी बताया गया कि मुख्यमंत्री ग्रामीण रोजगार योजना एवं शहरी निर्धन परिवार योजना में किसी भी व्यक्ति को रोजगार नहीं दिया जा सका है। इनका क्रियान्वयन प्रक्रियाधीन है। राजस्थान कौशल विकास निगम स्वयं के कोई प्रशिक्षण कार्यक्रम नहीं चला रहा है। निगम निजी क्षेत्र ने 36 संस्थाओं के साथ सहमति पत्र निष्पादित किया है। निजी अभिकरणों को प्रशिक्षण के बाद निर्धन परिवारों के व्यक्तियों को 8 माह एवं अन्य को 4 माह तक ही रोजगार दिलवाने का दायित्व है।
किरण ने राजस्थान कौशल विकास निगम की कार्यप्रणाली पर गहरा रोष व्यक्त किया है। यदि निजी अभिकरणों से ही प्रशिक्षण करवाना है, तो निगम की स्थापना का औचित्य ही क्या है? बजट में घोषणाएं बिना तैयारी के कर दी जाती है।