कुम्हेर कांड में सात आरोपियों को उम्रकैद

UMAR KEDजयपुर । भरतपुर के विशिष्ट न्यायाधीश अनुसूचित जाति-जनजाति न्यायालय के पीठासीन अधिकारी नरेश चुग ने बहुचर्चित कुम्हेर कांड से जुड़े सेंथरी हिंसा मामले में सात लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई, जबकि 19 को बरी कर दिया।

प्रकरण के अनुसार मोहरपाल पुत्र छोटेलाल जाटव निवासी सेंथरी ने बयान में बताया था कि 7 जून 1992 को दोपहर 12 बजे लाठी-फरसा, तलवार लिए आए 200-250 लोगों ने मारना शुरू कर दिया। इस दौरान उसके घर को और चुन्नी, छोटेलाल, रामसिंह, भगवानदास, शिब्बो वगैरह के घरों को भी आग लगा दी। फूल सिंह को आग में जलाकर मार दिया। गोपाल और नाहरसिंह को पिटाई से मार डाला। मामले में 27 लोगों को आरोपी बनाया। इनमें से एक आरोपी मोहन सिंह पुत्र जौहरी की मृत्यु हो गई। न्यायालय ने नेकराम, राजाराम, बाबूलाल, महेश, कुंजबिहारी, राधेश्याम और विपती राम को विभिन्न धाराओं में दोषी मानते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई और 50-50 हजार रुपए का अर्थदंड भी लगाया, जो मृतकों के परिजनों को दिया जाएगा।

कुम्हेर कांड से जुड़ा यह दूसरा फैसला है। इससे पहले 29 जनवरी को इसी कांड से जुड़े सत्यनगर में हुए बलवे, आगजनी और मारपीट के मामले में 15 जनों को पांच साल का साधारण कारावास तथा पांच हजार रुपए अर्थदंड की सजा सुनाई गई थी। इस कांड से जुड़ा एक और मामला अभी न्यायालय में विचाराधीन है।

गौरतलब है कि 1 जून 1992 को कुम्हेर कस्बे के एक सिनेमाघर पर दो पक्षों में हुए झगड़े ने जातीय तनाव और हिंसा का रूप ले लिया था।

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