जयपुर। सोलर ऊर्जा प्लांट के लिए राजस्थान के बीकानेर, जैसलमेर, जोधपुर और बाड़मेर जिलों में किसानों से सस्ती जमीन लेकर महंगे दामों पर बेचने को लेकर बुधवार को फिर विधानसभा में हंगामा हुआ। भाजपा विधायकों ने इस तरह का काम राजस्थान और केन्द्र सरकार की शह पर होने एवं एक व्यक्ति विशेष का इसमें हाथ होने के आरोप लगाए, लेकिन अध्यक्ष ने व्यक्ति विशेष को लेकर की गई टिप्पणी सदन की कार्रवाई से निकाल दी।
विधान सभा के बाहर भाजपा नेता राजेन्द्र राठौड़ एवं दिगम्बर सिंह ने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी द्वारा की गई जमीनों की खरीद-फरोख्त का मामला हम उठाना चाहते थे, सत्तापक्ष के विधायकों ने हंगामा किया।
प्रदेश के शहरी विकास और ग्रामीण विकास एवं रोजगार से जुड़ी 4395 करोड़ रुपए की अनुदान मांगे बुधवार को विधानसभा में बिना बहस के हंगामे पारित हो गई। इनमें 37 अरब 48 करोड़ 46 लाख 74 हजार रुपए शहरी विकास के लिए, 3 अरब 32 करोड़ 81 लाख 11 हजार रुपए ग्रामीण विकास के विशेष कार्यक्रम और ग्रामीण रोजगार के लिए 3 अरब 15 करोड़ 69 लाख 75 हजार रुपए दिए गए हैं।
इससे पहले शून्यकाल में शहरी विकास मंत्री शांति धारीवाल ने सदन में नगर आयोजना एवं प्रादेशिक विकास और पंचायतीराज एवं ग्रामीण विकास मंत्री महेंद्रजीत सिंह मालवीय ने ग्रामीण विकास के विशेष कार्यक्रम तथा ग्रामीण रोजगार की अनुदान मांगें रखी। इन मांगों पर अपने-अपने क्षेत्र की समस्याएं रखने के उद्देश्य से कई विधायकों ने कटौती प्रस्ताव दिए थे। इन अनुदान मांगों पर बहस शुरू होने से पहले ही सदन में हंगामा हो गया।
हंगामे और भारी शोर-शराबे के बीच अध्यक्ष दीपेंन्द्र सिंह शेखावत ने अनुदान मांगें पारित करवाकर सदन की कार्यवाही गुरुवार सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दी। सदन में हंगामा और शोरशराबा इतना अधिक था कि अनुदान मांगों पर नगरीय विकास मंत्री एवं ग्रामीण विकास मंत्री को बोलने का मौका तक नहीं मिल पाया।
सामान्यतया बहस के जवाब में मंत्रियों से अपेक्षा रहती है कि वे अपने विभागों से संबंधित बजट के अतिरिक्त कुछ नई घोषणाएं कर सकते हैं। पूर्व निर्धारित कार्रवाई बिना चर्चा के सम्पन्न हुई,लेकिन राजस्थान में एक निजी कंपनी द्वारा बीकानेर, जैसलमेर जिलों में किसानों से सस्ती जमीन लेकर महंगी बेचने के मामले में सदन में आज फिर हंगामा हुआ। इससे पहले में गलवार को भी भाजपा ने प्रश्नकाल में इस मुद्दे को उठाकर सत्तापक्ष को घेरने का प्रयास किया और पक्ष-विपक्ष के सदस्यों में हाथापाई की नौबत आ गई थी।
भाजपा की किरण माहेश्वरी, वासुदेव देवनानी, ओम बिड़ला और कैलाश भंसाली ने पर्ची के माध्यम से इस मामले को फिर उठाने की कोशिश की। अध्यक्ष दीपेन्द्र सिंह शेखावत ने किरण माहेश्वरी और बिड़ला की पर्ची यह कहते हुए रद्द कर दी कि वे जो विषय उठाना चाहते हैं, उन पर सदन में पहले ही चर्चा हो चुकी है।
नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल की आपत्तिके बाद अध्यक्ष ने ओम बिड़ला को भी बोलने से रोक दिया। आसन से कैलाश भंसाली को बोलने का अवसर दिया गया, लेकिन यह हिदायत भी दी गई कि वे किसी व्यक्ति विशेष को लेकर टिप्पणी नहीं करेंगे। इसके बावजूद भंसाली ने कंपनी से जुड़े प्रभावशाली लोगों के नाम लिए। इसका सत्तापक्ष ने विरोध किया तो भाजपाई भी वैल में आ गए और नारेबाजी करने लगे।
बाद में विपक्ष के नेता गुलाबचंद कटारिया ने सदन से वाकआउट करने की घोषणा की। इस बीच माकपा के अमराराम, पेमाराम, पवन दुग्गल और भाजपा के निलंबित विधायक हनुमान बेनीवाल ने भाजपा-कांग्रेस दोनों के खिलाफ नारेबाजी की।