जयपुर। भरतपुर शहर में बिखरी पुरा सम्पदा के संरक्षण एवं इन स्थलों पर पर्यटकों के पहुंच बनाने के लिये ‘‘भरतपुर बिल्ड हेरिटेज रिसोर्ट मेपिंग‘‘ पुस्तक का विमोचन जवाहरकला केन्द्र में राज्य आयोजना बोर्ड के उपाध्यक्ष प्रो0 विजय शंकर व्यास ने किया। भरतपुर शहर के कोने कोने में बिखरी पुरा सम्पदा एवं कला से भरपूर हवेलियों के झरोखे सुरक्षा के लिये बनाये गये द्वार, पच्चीकारी के अजूबे नमूने जैसे नयनाअविराम स्थलों पर विभिन्न फोटोग्राफस के साथ प्रकाशित पुस्तक उर्वशी श्रीवास्तव द्वारा लुपिन हयूमन वेलफेयर एण्ड रिसर्च फाउण्डेशन भरतपुर के सहयोग से तैयार की गई है। पुस्तक के लोकार्पण के अवसर पर पर्यटन विभाग के प्रमुख शासन सचिव राकेश श्रीवास्तव राष्ट्रीय कृषि विपणन संस्थान (नियाम) के महानिदेशक डॉ. आर.पी. मीणा, लुपिन फाउण्डेशन के अधिशाषी निदेशक सीताराम गुप्ता, भारतीय प्रशासनिक सेवा के पूर्व अधिकारी आई.सी. श्रीवास्तव उपस्थित थे ।
कार्यक्रम में पुस्तक के लोकार्पण करते हुये प्रो0 व्यास ने इस पुस्तक को पर्यटक स्थलों तक पहुंच बनाने में महत्वपूर्ण बताया और कहा कि कला संस्कृति एवं लोक जीवन की जीवन्त जानकारी इस पुस्तक के माध्यम से मिलेगी। समारोह की अध्यक्षता करते हुए प्रमुख शासन सचिव (पर्यटन) राकेश श्रीवास्तव ने कहा कि भरतपुर शहर के ऐतिहासिक एवं विरासत स्थलो तक हेरिटेज वाक आयोजित की जानी चाहिये जिसके लिये विभाग सहयोग करेगा। उन्होने बताया कि केन्द्र प्रवृर्तित योजना के तहत 494 लाख रूपये की राशि भरतपुर के ऐतिहासिक स्थलों के विकास के लिये स्वीकृत की गई जिसमें से 305 लाख रूपये व्यय किये जा चुके है। इसी प्रकार केवला देव राष्ट्रीय उद्यान मंे भी विकास कार्यो के लिए 266 लाख रूपये दिये जा चुके है।
नियाम के महानिदेशक डॉ0 आर.पी. मीणा ने कहा कि मेपिंग के रूप में प्रकाशित इस पुस्तक से भरतपुर देशी एवं विदेशी पर्यटको के लिये आकर्षण का केन्द्र बनेगा। प्रारम्भ में लुपिन के अधिशाषी निदेशक सीताराम गुप्ता ने कहा कि भरतपुर की पहचान केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान के रूप में रही है लेकिन शहर में ऐसे अनेक पुरा महत्व के स्थल है जिनकी पहली बार मेपिंग कर प्रमाणिक जानकारी उपलब्ध कराई गई है। गुप्ता ने कहा कि पर्यटन उद्योग में रोजगार की विपुल सम्भावना है।
इस अवसर पर भरतपुर शहर के 700 से अधिक स्मारकों के छायाचित्रों एवं उनके सम्बन्ध में जानकारी को इस पुस्तक में समाहित किया गया है। जवाहरकला केन्द्र में पुस्तक में समाहित किये गये छायाचित्रों में से 70 छायाचित्रों की प्रदर्शनी भी लगाई गई जो आगामी 30 मार्च तक चलेगी ।