47वें सिन्धी भाषा दिवस पर संगोष्ठी सम्पन्न

sindhi acedamy logo 1जयपुर। राजस्थान सिन्धी अकादमी द्वारा झालाना संस्थानिक क्षेत्र स्थित कार्यालय ’’अकादमी संकुल’’ में 47वें सिन्धी भाषा दिवस के अवसर पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि राजस्थान राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष जस्टिस इन्द्रसेन ईसरानी ने अपने उद्बोधन में कहा कि घरों में सिन्धियत का माहौल पैदा करने पर ही सिन्धी भाषा का अस्तित्व कायम रहेगा। संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुये वरिष्ठ साहित्यकार वासुदेव सिन्धु भारती ने सिन्धी भाषा के महत्व पर प्रकाश डाला। अकादमी अध्यक्ष नरेश कुमार चंदनानी ने अकादमी की गतिविधियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा कि समाज के अथक प्रयासों से 10 अप्रेल, 1967 को सिन्धी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में 15वीं भाषा के रूप में सम्मिलित किया गया था।
संगोष्ठी में सर्वश्री शरद दीवाना ’शरद’ ने गीत ’’सिन्धी बोलीअ सां प्यारू’’ डा0खेमचंद गोकलानी ने कविता ’’सिन्धी सूरमा’’, डा0किशनचंद ने कविता ’’आजादीअ जो सूरमो’’, पूजा चांदवानी ने कविता ’’सिजु उभरे थो’’, गोपाल ने कहानी ’’काठियार’’, गोबिन्दराम माया ने लेख ’’10 अप्रेल चेटीचण्ड’’, रमेष रंगानी ने वार्ता ’’घर जो मुखी नाहे सुखी’’, टी0आर0शर्मा, मोतीराम आडवानी, कन्हैया अगनानी, एन0डी0मूलचन्दानी एवं भगवान रामनानी ने सिन्धी भाषा दिवस के अवसर पर अपने-2 विचार विस्तार से प्रस्तुत किये।
इस अवसर पर माननीय जस्टिस इन्द्रसेन ईसरानी ने साहित्यकार गोबिन्दराम माया द्वारा लिखित एवं अकादमी की ओर से संचालित हिन्दी माध्यम से सिन्धी भाषा सिखाने के पत्राचार पाठ्यक्र्रम की पांचवी किश्त का विमोचन किया। गोष्ठी में सिन्धी भाषी साहित्यकार, लेखक, कवि, पत्रकार आदि उपस्थित थे। अकादमी सचिव ने उपस्थित साहित्यकारों का आभार प्रकट किया।

error: Content is protected !!