सोच में आये बदलाव से आई खुशहाली

ramcharanmeenaweir (2) ramcharanmeenaweirभरतपुर। दूरदराज के गरीब को समय पर उचित मार्गदर्शन देकर उसकी सोच में बदलाव ला दिया जावे तो वह खुशहाली के पथ पर दौडने लगता है। ऐसा ही हुआ है वैर पंचायत समिति के टुण्डपुरा गांव के रामचरण मीणा के साथ। जिन्होंने उन्नत नस्ल की भैंसपालन किया एवं लुपिन संस्था के मार्गदर्शन एवं समय पर ऋण मुहैया कराने से उसकी सोच में ऐसा बदलाव आया कि वह आज 16 मुर्रा नस्ल की भैंसें पालकर 20 से 25 हजार रुपये मासिक आसानी से कमा रहा है।

टुण्डपुरा गांव के रामचरण मीणा के परिवार में भैंसपालन से आई खुशहाली अधिक पुरानी नहीं है। रामचरण गांव के अन्य किसानों की तरह परम्परागत खेती कर अपने परिवार का पालन बड़ी मुश्किल से करता आ रहा है। लुपिन फाउण्डेशन ने तीन वर्ष पहले टुण्डपुरा गांव को सर्वांगीण विकास के लिए गोद लिया और इस गांव के किसानों को गोविन्द बल्लभ पंत विश्वविद्यालय पन्तनगर तथा हरियाणा के रोहतक जिलों में ले जाकर मुर्रा नस्ल की भैंसपालन की गतिविधियों ने मन में ठान लिया कि वह भी मुर्रा नस्ल की भैंसों का पालन करेगा। क्योंकि गांव में मीठा पानी होने के साथ हरे चारे के लिए इसके पास पर्याप्त भूमि मौजूद है।
लुपिन फाउण्डेशन के रामचरण को मुर्रा नस्ल की दो भैंसों की खरीद के सिडबी के सहयोग से ऋण भी मुहैया कराया तथा समय-समय पर मार्गदर्शन भी प्रदान किया। धीरे-धीरे इन भैंसों के दूध के विक्रय से हुई आय से उसने दो वर्ष में 3 भैंसों के दूध के विक्रय से हुई आय से उसनेदो वर्ष में 3 भैंसें और खरीद लीं। आज गांव के अन्य पशुपालकों की भैंसों में नस्ल सुधार के लिए हरियाणा से मुर्रा नस्ल का भैंसा भी खरीद लिया है जिससे उसे प्रतिमाह 4 से 5 हजार रुपये मिलने लगे हैं।
रामचरण के परिवार में भैंसपालन से आई खुशहाली को देखकर गांव के अन्य किसानों ने भी मुर्रा नस्ल की भैंसपालन शुरू किया। जिससे भरतपुर दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ ने टुण्डपुरा में दुग्ध संग्रहण केन्द्र भी खोल दिया है।

कल्याण कोठारी

 

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