जयपुर। जोधपुर में अपने निकटस्थों को खान आवंटन का विवाद अभी शांत भी नहीं हुआ है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का नाम एक और विवाद से जुड़ गया है।
आरटीआई कार्यकर्ता अशोक पाठक ने पत्रकारों के समक्ष यह खुलासा किया कि कोटा में कालीसिंध नदी पर बांध बनाने के लिए तमाम नियम-कायदों को ताक में रखकर ऐसी कंपनी को ठेका दिया गया जिसमें मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत विधि सलाहकार थे। इससे सरकार खजाने को करीब दो सौ करोड़ रुपए की चपत लगी। इतना ही नहीं इस कंपनी को फायदा पहुंचाने के लिए सरकारी कंपनी राजस्थान स्टेट रोड़ डवलपमेंट कॉरपोरेशन को टेक्निकल बिड से बाहर कर दिया गया।
पाठक ने आरोप लगाया कि पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के समय कालीसिंध परियोजना की लागत 258 करोड़ रुपए थी, जो ओम मेटल को ठेका मिलने पर 457 करोड़ रुपए पहुंचा दी गई। लागत बढ़ाने के पीछे यह तर्क दिया गया कि कंपनी दो वर्ष में इस परियोजना का काम पूरा करेगी, लेकिन तीन वर्ष बीतने के बावजूद परियोजना का आधा काम भी पूरा नहीं हुआ। यही नहीं समय पर काम पूरा नहीं करने पर वसूली गई छह करोड़ रुपए से अधिक की पेनल्टी भी फर्म को लौटा दी गई और मूल्य बढ़ोतरी के नाम पर 15 अक्टूबर तक फर्म को 24 करोड़ 93 लाख रुपए अतिरिक्त भुगतान कर दिया गया।
यह है मामला
-14 अगस्त 2008 में भाजपा सरकार ने कालीसिंध परियोजना की लागत 258 करोड़ रुपए मानते हुए टेण्डर मांगे, विधानसभा चुनाव की आचार संहिता लगने के कारण यह काम आगे नहीं बढ़ सका।
-नई कांग्रेस सरकार ने इस टेंडर की तकनीकी बिड को कठोर मानते हुए चार फर्मो की भागीदारी दो जनवरी 09 को निरस्त कर दी। योग्यता के मापदण्ड में बदलाव करते हुए दोबारा निविदाएं मांगी गई। परियोजना की लागत भी 355 करोड़ रुपए कर दी।
-ओम मेटल को फायदा पहुंचाने के लिए निविदा की शर्तो में 21 जुलाई 09 को बदलाव कर दिया। कंपनी को सिविल काम का कोई अनुभव नहीं होने के बावजूद योग्यता का दायरा पांच हजार एमटी के स्थान पर चार हजार एमटी कर दिया गया, क्योंकि ओम मेटल ने महाराष्ट्र की गोसीखुर्द बांध परियोजना में चार हजार एमटी रेडियल गेट हाइड्रो मैकेनिकल का काम किया था।
-टेण्डर की नई शर्तो में एमओयू करने की भी छूट दे दी गई, जिसका लाभ उठाते हुए ओम मेटल ने अन्य कंपनियों से एमओयू कर लिया।
-परियोजना के लिए सरकार कंपनी आरएसआरडीसी ने भी 110 करोड़ रुपए कम का टेण्डर प्रस्तुत किया था, लेकिन उसको कार्य अनुभव प्रमाण पत्र प्रस्तुत नहीं करने का हवाला देते हुए टेण्डर प्रक्रिया से बाहर कर दिया गया।
-इसके बाद 30 अप्रेल 2010 को मैसर्स ओम मेटल-एसपीएमएल के पक्ष में 457.21 करोड़ रुपए का कार्य आदेश जारी कर दिया, जो परियोजना की लागत से 102.21 करोड़ रुपए ज्यादा था।