जयपुर। स्वास्थ्य प्रबंधन शोध संस्थान (आई आई ए चएम आर) एवं ग्लोबल एलायंस फॉर इम्प्रूवड न्यूट्रीशिन (गेन-जिनेवा) के तत्वावधान में राजस्थान में चलाई जा रही फोर्टिफिकेशन परियोजना के जरिए लोगों में माइक्रो न्यूट्रियेन्ट की कमी को दूर किया जा रहा है। यह परियोजना कुपोषण, एनीमिया, अंधत्व में कमी लाने के साथ मातृ-शिशु मृत्यु दर घटाने में भी सहायक सिद्ध होगी।
यहां एक होटल में आज आयोजित मीडिया कार्यशाला में परियोजना निदेशक डॉ. एम.एल. जैन ने बताया कि गत दो वर्षों से शुरू की गई परियोजना के तहत् खाद्य पदार्थों जैसे कि गेहुं का आटे में आयरन, फोलिक एसिड, विटामिन बी 12, एवं तेल व दूध में विटामिन ए व डी जैसे सूक्ष्मपोषक तत्वों को मिलाकर पौष्टिक बनाकर उपलब्ध कराया जा रहा है। इसके माध्यम से माइक्रो न्यूट्रियेन्ट की कमी को दूर करने का लक्ष्य है।
परियोजना निदेशक डॉ. एम.एल. जैन ने बताया कि स्वास्थ्य प्रबंधन शोध संस्थान और राजस्थान कोपरेटिव डेयरी फेडरेशन (आर.सी.डी.एफ.) में हुए समझौते के अनुसार सरस के टोण्ड एवं डबल टोण्ड दूध को फोर्टिफाइ करने के लिए विटामिन ए व डी की सूक्ष्म मात्रा मिलाकर दूध को और अधिक पौष्टिक बनाकर उपभोक्ताओं को बिना किसी अतिरिक्त शुल्क के उपलब्ध कराया जा रहा है। इसकी अधिकृत घोषणा सरस द्वारा शीघ्र की जाएगी। इसी तरह दिव्या एग्रो फूड प्रोडक्ट्स प्राईवट लि., कोटा एवं लोटस डेयरी जयपुर के साथ जनवरी 2013 में दूध को विटामिन ए व डी सेे फोर्टिफाइड करके बेचे जाने का समझौता किया गया है।
स्वास्थ्य एवं सेहत के लिए अति आवश्यक तत्वों आयरन, फोलिक एसिड एवं विटामिन बी12 से भरपूर 58 हजार टन फोर्टिफाइड आटा खुदरा बाजार में मई 2013 तक उपलब्ध कराया जा चुका है। इसके अन्तर्गत उदयपुर के आदिवासी क्षेत्र सलूम्बर व सराडा में छोटी आटा चक्कियों के माध्यम से भी फोर्टिफाइड आटा उपलब्ध कराया जा रहा है। इसके पूर्व इन्हीं क्षेत्रो में किशोरी कन्याओं, गर्भवती महिलाओ, धात्री महिलाओ एवं पांच वर्ष से छोटे बच्चो के हिमोग्लोबिन की जांच संबंधित बेसलाइन सर्वे भी किया गया है।
परियोजना के अन्तर्गत विटामिन ए व डी से फोर्टिफाइड तेल ‘‘महाकोष’’ ‘‘चम्बल’’ ‘‘स्टेफिट’’ ’’धू्रव’’ एवं ’’आंचल’’ ब्रांड के नाम से पूरे प्रदेश के बाजार में उपलब्ध है। तेल उद्योग की साझेदारी से 1 लाख 90 हजार टन खाद्य तेल को फोर्टिफाइ किया जाएगा।
राज्य में वितरित मिड डे मील में सामान्य दाल में सोयादाल एनालाग का मिश्रण किया जाता है। डॉ जैन ने बताया कि दाल एनालाग के लिए वसा रहित सोया आटा, गेहॅूँ का आटा और हल्दी के मिश्रण में आयरन और फालिक एसिड जैसे सूक्ष्म पोषक तत्वों कोे मिलाया जाता है। यह फोर्टिफाइड दाल आयरन एवं फॅालिक एसिड की कमियों से होने वाली बीमारियों को कम करने में मदद करता है।
फोर्टिफाइड आहार की गुणवत्ता को बनायें रखने के लिये आईआईएचएमआर आटा तेल दूध उद्योगो के प्रतिनिधियो के लिये विभिन्न प्रकार के प्रषिक्षण आयोजित करवाता आया है। इसी के अर्न्तगत छोटी आटा चक्कियों का पंजीकरण एवं प्रशिक्षण आयोजित किया गया। हाल ही में सभी जिलो के सीएमएचओ और खाद्य सुरक्षा अधिकारियों के प्रशिक्षण आयोजित किया गये है।
गेन की वरिष्ठ सहयोगी श्रीमती दीप्ती गुलाटी ने बताया कि फोर्टिफाइड आहार की वजह से कई देशों में आये सकारात्मक परिणाम बहुत उत्साहजनक है। कम लागत मे वांछित परिणाम मिलने से इसका व्यापक प्रसार किया जा रहा है। फोर्टिफिकेशन के जरिये नागरिकों को सभी जरूरी पोषक तत्वों की स्थिति से खासकर बच्चों, किषोरी कन्याओं, गर्भवती महिलाओं और धात्री महिलाओं के स्वास्थ्य में सुधार लाने का प्रयास किया जा रहा है। श्रीमती गुलाटी ने स्पष्ट किया कि फोर्टिफिकेशन से भोजन के रंग, स्वाद, महक में कोई बदलाव नहीं होता है। उन्होंने बताया कि 5 वर्षीय परियोजना के लिए गेन की ओर से 25 करोड़ रुपये का बजट एवं तकनीकी सहायता मुहैया कराई जा रही है। यह संस्था विभिन्न राज्यों में वहां के सरकारों के सहयोग से खाद्य पदार्थों को फोर्टिफाईड करने में सहायता उपलबध करा रही है।
आईआईएचएमआर के डीन डॉ0 पी0आर0सोडानी ने संस्थान में चल रही विभिन्न शैक्षणिक गतिविधियो एवं परियोजनाओ के बारे में बताया।
परियोजना के प्रबंधक डॉ0 जतिन्दर बीर सिंह ने बताया कि फोर्टिफाइड आहार की आवश्यकता, महत्ता एवं जन जागरूकता के लिए राज्य के विभिन्न जिलों में स्कूली बच्चों की लगातार रैलियां आयोजित की जा रही हैं।
कल्याण सिंह कोठारी