मायावती, मुलायम की नजर राजस्थान चुनाव पर

जयपुर । अगले साल के अंत में होने वाले राजस्थान विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस और भाजपा जहां पहले से ही सत्ता में आने के लिए तैयारी में जुटी है। अब वहीं बसपा सुप्रीमो मायावती एवं समाजवादी पार्टी प्रमुख मुलायम सिंह भी विधानसभा में अपनी पार्टियों का वजूद कायम कराने की रणनीति बना रहे है।

बसपा और सपा दोनों ही दल उत्तर प्रदेश से सटे राजस्थान के भरतपुर,धौलपुर और अलवर जिलों की तीन दर्जन विधानसभा सीटों पर अपना ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।

हालांकि बसपा ने वैसे तो राज्य की सभी दो सौ विधानसभा सीटों पर प्रत्याशी खड़े करने का मानस बनाया है,लेकिन करीब तीस सीटों पर अधिक ध्यान केंद्रित करने की रणनीति बनाई गई है।

बसपा ने पिछले चुनाव में भी पांच विधानसभा सीटें जीती थी, हालांकि वे पांचों विधायक फिर कांग्रेस में शामिल होकर मंत्री बन गए। बसपा सुप्रीमो मायावती ने उत्तर प्रदेश और हरियाणा के एक दर्जन नेताओं को राजस्थान विधानसभा चुनाव अभियान की जिम्मेदारी सौंपी है।

जातिगत आधार पर इन नेताओं का चयन किया गया है। मायावती खुद भी राज्य का दौरा करेंगी।

बसपा प्रदेश अध्यक्ष भगवान सिंह बाबा का कहना है कि इस बार बसपा पहले से अधिक सीटें जीतेगी। इधर उत्तरप्रदेश में सत्ता में आने के बाद समाजवादी पार्टी ने भी राजस्थान से सटे तीन जिलों पर ध्यान केन्द्रीत किया है।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव ने राज्य के प्रमुख नेताओं के साथ चुनावी रणनीति को लेकर प्रारंभिक दौर की चर्चा की है। सपा का यादव बाहुल्य अलवर,झुंझुनू जिलों के साथ ही उत्तर प्रदेश से सटे भरतपुर और धौलपुर जिलों पर विशेष जोर है।

पिछले दिनों अखिलेश यादव ने धोलपुर का दौरा कर विस.चुनाव को लेकर स्थानीय नेताओं से चर्चा की । सपा और बसपा दोनों ही दलों ने राजस्थान के मीणा नेता और दौसा के निर्दलिय सांसद डॉ.किरोड़ी लाल मीणा सहित प्रदेश के जातिगत आधार वाले अन्य नेताओं से भी सम्पर्क साधा है। मीणा की मुलायम सिंह के साथ बैठक भी हो चुकी है।

मीणा का दावा है कि राजस्थान में अगली सरकार ना तो कांग्रेस की बनेगी और ना ही भाजपा की बनेगी। उन्होंने दावा किया कि डेढ़ साल बाद चुनाव में तीसरे मोर्चे की सरकार बनेगी। बसपा और सपा दोनों ही दलों ने कांग्रेस एवं भाजपा के असंतुष्ट नेताओं से भी सम्पर्क साधा है। दोनों ही दलों का मानना है कि अतंरकलह से जुझ रही प्रदेश भाजपा एवं सत्तारूढ़ दल कांग्रेस के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर का फायदा उन्हे मिल सकता है।

हालांकि भाजपा अध्यक्ष नितिन गड़करी ने राज्य के विवादों का निपटाने के लिए दिग्गज नेता अरूण जेटली को जिम्मेदारी सौंपी है। जेटली प्रदेश के नेताओं के साथ दो बार बैठक भी कर चुके है। वहीं मुख्यमंत्री अशोक गहलोत फिर से कांग्रेस की सरकार बनाने के प्रयास में जुटे है।

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