जयपुर। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के सदस्य डॉ. योगेश दुबे ने राज्य में शिक्षा अधिकार के अन्तर्गत वर्तमान में 5 लाख से अधिक ड्राप आउट बच्चों को शिक्षा से नहीं जोड़े जाने पर गंभीर चिन्ता व्यक्त की। यह संख्या 2010 में 12 लाख थी। उन्होंने बताया कि वंचित एवं आर्थिक् रूप से कमजोर बच्चों के लिए 25 प्रतिशत आरक्षित स्थानों पर प्रवेश नहीं दिया जाना भी गंभीर मामला है। स्कूलों में बिजली एवं पीने का पानी, शौचालयों की कमी की ओर ध्यान दिये जाने का आग्रह किया।
डॉ. योगेश दुबे ने जयपुर में दो दिन के दौरान राज्य के राज्यपाल, राज्य बाल आयोग, सरकारी उच्च अधिकारियों के साथ विभिन्न बैठकों में बाल अधिकार संरक्षण के क्षेत्र में किये जा रहे प्रयासों की जानकारी, निगरानी एवं कार्यवाही की ओर तेजी से एक्शन प्लान के तहत काम किये जाने का आग्रह किया।
डॉ. योगेश दुबे ने कहा कि भीलवाड़ा जिले में 50000 हजार से ज्यादा श्रमिकों के 4000 से अधिक बच्चे ईंट भट्टो पर लगे हुए हैं, उनके लिए पिछले 6 महीने पूर्व 20 आंगनबाड़ी केन्द्रों को खोलने का निर्णय राज्य सरकार की सहमति से किया गया, परन्तु अभी तक इस पर अमल नहीं किया जाना गंभीर मामला है। उन्होंने प्रश्न किया ‘‘क्यों बच्चे ब्यूरोक्रेसी के कारण समस्या से निजात नहीं पाये।’’ उन्होंनें गैर कानूनी रूप से संचालित ईंट भट्टै की ओर तुरन्त कार्यवाही दिये जाने का आग्रह किया।
डॉ. योगेश दुबे ने जनजाति विकास विभाग के प्रमुख शासन सचिव प्रीतम सिंह एवं आयुक्त के साथ बैठक में आदिवासी जनजाति क्षेत्र में चल रहे आश्रम स्कूलों में 51 प्रतिशत स्कूल अध्यापकों के पद खाली होने, 24 प्रतिशत स्कूलों में ही बिजली व्यवस्था होने एवं 34 प्रतिशत स्कूलों में ही खेल मैदान होने एवं शौचालयों में पानी नहीं होने की शिकायतों पर ध्यान आकर्षित किया।
डॉ. योगेश दुबे ने राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग द्वारा किये जा रहे प्रयासों की सराहना करते हुए चिन्हित 7000 हेबिटेशन पर जहां पर स्कूल नहीं है उस ओर ध्यान दिये जाने का आग्रह किया।
-कल्याण सिंह कोठारी
मीडिया सलाहकार