पुलिस ने बंद कर दी थी टुंडा की फाइल

abdul karim tundaजयपुर। जयपुर में वर्ष 2008 के सिलसिलेवार बम धमाकों से 15 वर्ष पहले 1993 में टिफिन बम की घटना की साजिश रचने वाले अब्दुल करीम टुंडा की तलाश में राजस्थान पुलिस ने घुटने टैक दिए थे।जिस टुंडा को तीन दिन पहले दिल्ली पुलिस की स्पेशल पुलिस ने पकड़ा है, उसकी राजस्थान सीआईडी ने वर्ष 1998 में ही क्लोजर रिपोर्ट पेश कर कह दिया था कि अब टुंडा के मिलने की उम्मीद नजर नहीं आ रही। 1993 में जयपुर की चारदीवारी में एक साथ कई जगह टिफिन बम रखने के मामले में पुलिस उसे तलाश रही थी,हालांकि बम फटे नहीं थे।क्लोजर रिपोर्ट का खुलासा रविवार को हुआ जब एटीएस की टीम मामले में तथ्य जुटाने के लिए शहर के माणक चौक पुलिस थाने पहुंची। पुलिस थाने में फाइल नहीं मिली, क्योंकि चालान भेज दी गई थी। इस पर रात में ही एसीपी कार्यालय में काउंटर फाइल तलाशी गई।काउंटर फाइल खंगाली तो सामने आया कि टुंडा पर पुलिस ने इनाम घोषित कर रखा था। मामले में डॉ. जलीस अहमद सहित चार अपराधी पकड़े गए थे। अब्दुल करीम टुण्डा का नाम सामने आया, लेकिन वह पुलिस को चकमा देकर फरार हो गया। उसके पकड़े नहीं जाने के कारण स्थाई वारंट भी जारी हुआ। मामले की तफ्तीश राज्य सीआईडी ने की थी। सीआईडी ने कुछ वर्ष निकले तो मामले में क्लोजर रिपोर्ट अदालत में पेश कर पल्ला झाड़ लिया। पुलिस ने कह दिया कि टुण्डा की कोई जानकारी नहीं मिली तथा उसके मिलने की उम्मीद नहीं है।एटीएस टीम ने रात को एसीपी कार्यालय की काउंटर फाइल ली। कटी-फटी हालत में मिली फाइल में खास जानकारी नहीं मिल पाई है। इस कारण फाइल वापस शहर पुलिस के पास भेज दी गई। मामले में और तथ्य जानने के लिए अब पुलिस टीम अजमेर भेजी जाएगी। सीआईडी ने मामले में अजमेर की टाडा कोर्ट में चालान पेश किया था। जयपुर की सीबीआई अदालत से भी दस्तावेज जुटाए जाएंगे। लाखेरी में ट्रेन में बम रखने के मामले में सीबीआई ने इसी कोर्ट में चालान पेश किया था।एटीएस के एडीजी आलोक त्रिपाठी ने बताया कि हमारी टीम दिल्ली में है। राजस्थानो जुड़ें तथ्य जुटाए जा रहे हैं। जयपुर पुलिस कमिश्नर भूपेन्द्र कुमार दक ने बताया कि टुंडा के खिलाफ जो पुराने मामले हैं, उनकी फाइल निकलवाई जा रही है। हम एटीएस के भी सम्पर्क में हैं।

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