पार्किंग व्यवस्था को ठेंगा दिखा रहे बाहरी वाहन, गंदगी से संड़ाध मार रहा परिसर
ब्यावर, (हेमन्त साहू)। राजस्थान परिवहन निगम ब्यावर आगार के मुख्य बस स्टेण्ड को वल्र्ड क्लास बनाने के लिए राज्य सरकार ने सुचीबद्ध किया है, लेकिन रोडवेज बस स्टैंड बदहाली के आलम से उभर नहीं पा रहा है। उदयपुर, जोधपुर, जयपुर, कोटा समेत गुजरात, मध्यप्रदेश, पंजाब उत्तर प्रदेश राज्य मार्गों से जुड़ी बसों का आवागमन होने से रोडवेज बस में सफर करने वाले यात्रियों का अभाव अधिक है। फिर भी बस स्टैंड लंबे अरसे से बदहाल और बेपरवाही का शिकार हो रहा है। रोडवेज प्रबंधन की ओर से यात्रियों की सुविधा के लिए बस स्टैंड के हालात में सुधार के लिए कोई कदम नहीं उठाया जा रहा है। जिससे आवागमन करने वाले यात्रियों को बस स्टैंड पर मूलभूत सुविधाओं से वंचित होने के साथ ही खासी परेशानियों का सामना भी करना पड़ रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से स्वच्छ भारत अभियान के तहत सरकारी दफ्तरों में विशेष सफाई अभियान चलाया गया। लेकिन ब्यावर बस स्टैंड परिसर में अभियान का असर कहीं भी देखने को नहीं मिला। बस स्टैंड परिसर में गंदगी, झांडियां साफ-सफाई का अभाव देखा जा सकता है। बस स्टैंड के टायलेट प्याऊ में भी सफाई की काफी कमी है। बसस्टैंड का दोनों मुख्यद्वार के गढ्डे अब बसों को नुकसान पहुंचाने लगे है। बरसात के दिनों में पानी भरने से हुए गढ्डे और ज्यादा गहरे हो गए हैं। ऐसे में अब बसों के कबानियां पत्ते भी टूट जाते है।
पार्किंग के बोर्ड लगे होने के बावजुद बस स्टैंड परिसर में टू-व्हीलर वाहन बेतरतीब ढंग खड़े रहते है। सुरक्षाकर्मियों के अभाव में कई बार गाडिय़ां बस प्लेटफॉर्म पर देखने को मिलती है। बैठनेकी सुविधा के नाम बस स्टैंड पर कुर्सियां तो लगी है, कितुं यात्रियों के मुकाबले काफी कम पड़ जाती है। ऐसे में यात्रियों को जमीन पर बैठकर विश्राम करना पड़ता है। रोडवेज बस स्टैंड पर विश्राम गृह की दरकार बनी हुई है। बस स्टेण्ड के केकड़ी प्लेटफॉर्म के ठीक पास मुख्य प्याऊ के संरक्षण के अभाव में दुर्दशा का शिकार बन रही है। प्याऊ में रिपेयरिंग नहीं होने से यात्रियों को दूर लगी जाना पड़ रहा है। देखरेख के अभाव में प्याऊ लंबे समय से बंद है।
रोडवेजबस स्टैंड परिसर में सफाई नहीं हो पाने से कीचड़ फैलने लगा है। टायलेट की भी सफाई नहीं हो पाने से बदबू फैला रहे हैं। वहीं नालियों के अभाव में प्याऊ अन्य पानी भी जमा होकर कीचड़ का रूप ले रहा है।
