
ये विचार आज शिक्षा राज्य मंत्राी प्रो. वासुदेव देवनानी ने व्यक्त कियें वे आज राजकीय महाविद्यालय अजमेर में सेन्टर फाॅर एक्सीलेंस (माॅडल काॅलेज) स्कीम द्वारा उच्च शिक्षा में ई-गवर्नेन्स पर एक दिवसीय कार्यशाला के उद्घाटन सत्रा में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थें।
उन्होने कहा कि हमारें प्रत्येक कार्य विद्यार्थी की शैक्षणिक कार्यो में सहायता एवं उसके हित के लिए होने चाहिए। ई-गवर्नेन्स के द्वारा कार्य दक्षता में वृद्धि होती ही है साथ ही त्राुटि विहीन कार्य होने से पारर्दशिता भी बढ़ती है। हमें अपनी सोच में परिवर्तन करने की आवश्यकता है कि हम सीमित संसाधनों का उत्तम उपयोग किस प्रकार कर सकतें है।
उन्होने कहा कि शिक्षा मंत्रालय में सभी आकड़ों को कम्प्युटरीकृत करने के आदेश दे दिये है जिसमें राज्य के लगभग एक लाख विद्यालयों एवं उससे जुडे चार लाख शिक्षकों एवं कर्मचारियों के संदर्भ में सूचना उपलब्ध होगी इससे मंत्रालय के कार्यो में पारदर्शिता एवं कार्य दक्षता में वृद्धि होगी।
कार्यक्रम के अध्यक्ष एवं महाविद्यालय प्राचार्य डाॅ. दीपक राज मेहरोत्रा ने महाविद्यालय में ई-गवर्नेन्स के तहत किये जा रहें कार्यो का ब्यौरा प्रस्तुत किया तथा आयोजन सचिव डाॅ. सुशील कुमार बिस्सु ने कार्यशाला के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम का संचालन डाॅ.आलोक चतुर्वेदी ने किया।
प्रथम तकनीकी सत्रा में डाॅ. अमित कपूर ‘‘महाविद्यालय तथा विश्वविद्यालयों में ई-गवर्नेन्स’’ पर द्वितीय सत्रा में मदस विश्वद्यालय के डाॅ. विनोद जैन ‘‘टाईम मेनेजमेन्ट इन ई-गवर्नेन्स’’ पर तृतीय सत्रा में डाॅ. सुरेश शर्मा ‘‘ई-टेण्डरिंग’’ पर, चतुर्थ सत्रा में एमएनआई टी जयपुर के डाॅ. दीपसिंह राठौड ‘‘ई-लाईब्रेरी’’ पर व्याख्यान प्रस्तुत किया।
इस कार्यशाला में अजमेर संभाग के 27 महाविद्यालयों के 100 व्याख्याता भाग लिया।