बारां 24 जून। केन्द्र एवं राज्य की भाजपा सरकार की किसान विरोधी गलत नीतियों के कारण किसानों केा अपनी फसलों के उचित दाम नहीं मिल पा रहे है। समर्थन मूल्य के जो कांटे लगाए जा रहे है वह केवल मात्र औपचारिकता भर साबित हो रहे है। राज्य सरकार द्वारा सरसों की समर्थन मूल्य पर खरीद के लिए कोई कांटे नही लगाए गए।
प्रदेश उपाध्यक्ष एवं पूर्व मंत्री प्रमोद जैन भाया ने कहा कि कोटा जिले में किसान की मौत होने के बाद मजबूरीवश सरकार द्वारा समर्थन मूल्य पर लहसुन खरीदने के लिए राजस्थान के 4 स्थानों पर कांटे लगाए गए लेकिन इन कांटो पर किसान द्वारा लाए जा रहे लहसुन की उपज में से 99 प्रतिशत को नापास किया जा रहा है जिससे यह कांटे किसान भाईयों के लिए केवल छलावा साबित हो रहे है।
भाया ने कहा कि कांग्रेस शासन के दौरान गेहूं पर दिए जाने वाले 200 रुपए क्विंटल के बोनस को भाजपा सरकार द्वारा बंद कर दिया गया है। किसानों द्वारा सहकारी, साहुकारों एवं राष्ट्रीय बैंको से लिए कर्ज से तंग आकर आत्महत्याएं की जा रही है। उन्होनें कहा कि फसल का भाव कम मिलने के कारण सदमें में कोटा जिले के किसान सत्यनारायण मीणा ग्राम रूण तहसील सुल्तानपुर की 03 जून 2017 मौत हो चुकी है। बारां जिले के किसान रूपा किराड ग्राम खटका तहसील शाहबाद द्वारा 12 जून 2017, किसान संजय मीणा ग्राम सकरावदा तहसील किशनगंज द्वारा 21 जून 2017 तथा झालावाड़ जिले के किसान बगदीलाल राठौर ग्राम सुन्हेल द्वारा 23 जून 2017 को आत्महत्याएं की जा चुकी है। भाया ने कहा कि गरीब किसानों द्वारा लगातार आत्महत्या जैसी घटनाएं घटित होने पर राज्य की मुख्यमंत्री श्रीमती राजे का यह नैतिक दायित्व बनता था कि वह स्वंय मृतक किसानों के परिजनों कोे सात्ंवना देने आती। लेकिन ना तो स्वयं मुख्यमंत्री आई और ना ही उनके सुपुत्र सांसद श्री दुष्यंतसिंह। उन्होनें कहा कि बारां एवं झालावाड़ जिले के मतदाताओं ने चुनकर स्वयं मुख्यमंत्री को सांसद बनाया था तथा वर्तमान में उनके सुपुत्र सांसद दुष्यंत सिंह दोनों जिलों का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं एवं श्रीमती राजे यहां से ही विजय होकर राज्य की मुख्यमंत्री बनी। इसके बावजूद उनके द्वारा बारां एवं झालावाड़ जिले के किसानों के साथ जो बेरूखी बरती जा रही है, उसकी मैं कडे शब्दों में निन्दा करता हूं।
भाया ने कहा कि बारां जिले से निर्वाचित कृषि मंत्री प्रभूलाल सैनी तथा बारां, झालावाड़ एवं कोटा जिला प्रभारी मंत्रीगण भी मृतक किसानों के परिजनों को सात्वंना देने तक नहीं आए। कोटा सम्भाग का किसान आत्महत्याएं करने को मजबूर हो रहा है लेकिन राज्य की मुख्यमंत्री, कृषि मंत्री एवं प्रभारी मंत्रियों को उनके परिजनों के पास पहुंचकर सात्वंना देने का भी समय नही है। यह सरकार की मानवीय संवेदनहीनता को दर्शाता है। यह किसान भाईयों का अपमान है।
इतना ही नहीं राज्य के कृषि मंत्री प्रभूलाल सैनी का अपने वक्तव्य में यह कहना कि ‘‘किसानों ने हमसें पूछकर थोडे ही लहसुन उगाया है’’ उनका यह कृत्य अशोभनीय है तथा उनका यह कहना कि ‘‘राज्य में किसी भी किसान द्वारा अब तक कर्ज से तंग आकर आत्महत्याएं नहीं की गई है’’ की मैं कटु शब्दों में निन्दा करता हूं। भाया ने कहा कि क्या अब राज्य का किसान अपनी फसल भी सरकार से पूछकर उगाएगा।
