अजमेर। मौसम विभाग द्वारा अजमेर में तेज बारिश की चेतावनी के बाद आनासागर झील के चैनल गेट से छोडे़ गये पानी ने शहर के कई इलाकों में घुसकर करोड़ो रुपयों का नुकसान कर दिया। झील के तीन चैनल गेटो से छोड़ा जा रहा पानी तेज गति से खानपुरा गांव के खेतों में जा घुसा। जिससे खेतों में लगी सब्जियों की फसल पूरी तरह से बर्बाद हो गयी।
गावं के गरीब किसान मोसमी सब्जियों को उगा कर अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं लेकिन जिला प्रशासन और नगर निगम की एक लापरवाही ने आज इन गरीब किसानों के खेत तालाबों में बदल दियंे।
खेतों के आने जाने वाले रास्ते में तक़रीबन तीन से चार फुट पानी आ चुका हैं किसानों की माने तो जिला प्रशासन ने बिना किसी निर्देशों के इस कदम को उठाया हैं जिसके कारण किसानों को खाने तक के लाले पड़ चुके हैं। वही खेतो में बुवाई के लिए बीज और खाद के लिए लिया गया कर्जे नहीं चुकाने से कर्जदार भी बन चुके हैं।
पीड़ित किसानों ने इस समय करेला, भिंडी, ककड़ी, खीरा, ग्वार फली और रिजका की फसलों की बुवाई कर रखी है। किसानों का आरोप हैं कि प्रशासन ने झील से पानी छोड़ने के पहले उन्हें किसी प्रकार की सूचना नही दी। पानी की निकासी के पहले तालाब में मौजूद तीनों मोरियों की सफाई तक नहीं कराई गई, जिससे उनकी फसलें डूब गई। स्थानीय पार्षद विजय नागौरा ने कलेक्टर से मंाग की है कि जिन किसानों की फसलें नष्ट हुई हैं उन्हें मुआवजा दिया जाए।
खेतों में खड़ी फसल के बर्बाद होने के बाद खानपुरा गावं के किसानों का गुस्सा जिला प्रशासन के खिलाफ फुट पडा हैं और सोमवार को किसानों ने कलेक्ट्रेट पहंुचकर जमकर नारेबाजी करते हुए मुआवजे की मांग की। किसानों के कड़े तेवर को देखते हुए ज़िला कलेक्टर वैभव गालरिया ने इस मामले में सम्बंधित अधिकारी को नियुक्त कर बर्बाद हुई फसल का आंकलन करने के दिशा निर्देश देते हुए किसानों को उचित सहायता देने की घोषणा की हैं।
वहीं ज़िला प्रशासन ने आनासागर झील के महज मोसम विभाग की चेतावनी के चलते हाई कोर्ट के उन आदेशो की अवमानना कर डाली हैं जिसमे हाईकोर्ट ने कहा था की प्रदेश की सभी झील और तालाबांे को 1947 की स्थिती में रखा जाए। ऐसे में जिला प्रशासन का ये कदम आनासागर झील के डूब क्षेत्र में बसी अवैध कॉलोनियों के बचाव के लिए कारगार सिद्ध हुआ हैं।