मधुमक्खी का हमला होने के बाद क्या प्रमुख सावधानियॉं

Apis florea

अजमेर शहर में मधुमक्खी की प्रजाति ऐपिस डोरसाटा के पानी की टंकी एवं बरगद के पेड़ पर बने छते
अजमेर शहर में मधुमक्खी की प्रजाति ऐपिस डोरसाटा के पानी की टंकी एवं बरगद के पेड़ पर बने छते

ज्ञात रहे कि पृथ्वी पर मधुमक्खीयॉं ही सबसे अधिक अनुषासित एवं सामाजिक प्राणी हैं। लेकिन पिछले एक महीने से अधिक समय से लगातार अजमेर व आसपास के क्षेंत्रोें से प्रकाषित होने वाले दैनिक समाचार पत्रों में अकसर मधुमक्खीयों के हमले व उनसे घायल होने वाले व्यक्तियों तथा इन हमलों के कारण कई व्यक्तियों अथवा बच्चों की मृत्यु होने का समाचार पढ़ने के बाद राष्ट्रीय बीजीय मसाला अनुसंधान केन्द्र पर कार्यरत कीट विज्ञान के वैज्ञानिकों एवं केन्द्र अन्य वैज्ञानिकों द्वारा इस विषय पर गहन चर्चा की गई तथा यह अत्यंत महत्वपूर्ण एवं आवष्यक समझा गया कि आम जनता एवं ग्रामीण क्षेत्रों में खेती करने वाले किसानों को मधुमक्खीयों की आवष्यकता एवं उनके इस प्रकार के हमले करने वाले व्यवहार के बारे में विस्तृत जानकारी दी जाये। ताकि आम जनता एवं किसान इनकी उपयोगिता एवं इस मौसम में इनके द्वारा लगातार किये जा रहे इस प्रकार के व्यवहार के प्रति सजग एवं जागरूक रहें व इस प्रकार के अनावष्यक हमलों से बचा जा सकें।

आमतौर पर मधुमक्खीयों की 4 प्रजातियॉं प्रकृति में पायी जाती हैं इनमें दो प्रजातियॉं ऐपिस डोरसाटा एवं ऐपिस फलोरिया जंगली हैं जबकि ऐपिस सिराना जंगली एवं पालतू दोनों रूप में पायी जाती है जबकि ऐपिस मेलिफेरा व्यापक रूप से पालतू प्रजाति है जिसको विष्वभर में मुख्य रूप से शहद उत्पादन एवं फसलों में परागण हेतु उपयोग लिया जा रहा है तथा इसको विषेष तौर पर बने मधुमक्खी के बक्सों में रखा एवं पाला जाता है। वर्तमान में जो हमले करने की अधिकतर घटनायें प्रकाष में आ रही है। वो अधिकतर मधुमक्खी की प्रजाति ऐपिस डोरसाटा द्वारा की जा रही है। यहां पर यह बात बताना आवष्यक है कि इन सभी प्रजातियों में मधुमक्खी का सबसे बड़ा आकार ऐपिस डोरसाटा का ही है तथा सबसे ज्यादा जहर भी इस प्रजाति में पाया जाता हैं । तथा इस प्रजाति के छते आकार में सबसे बड़े होते है जो 1 मीटर के व्यास तक पाये जाते है एवं यह छते अकसर या तो बड़े पेड़ों में या फिर बड़े एवं निर्जन इमारतों के उपर या पानी की टंकी के आस-पास पाये जाते हैं। इस प्रजाति की एक विषेषता यह भी है कि इसके कार्यकर्ता सब प्रजातियों के मुकाबले सबसे लम्बी दूरी लगभग 3 से 4 किलोमीटर तक नेक्टर एकत्रित करने के लिये भ्रमण करते है। ज्ञात रहे मधुमक्खीयॉं विभिन्न फसलों में उपलब्ध फूलों से नेक्टर को इकट्टा कर उनसे शहद बनाती है तथा इसी दौरान वो कृषि एवं किसानों के हित में सबसे बड़ा हितैषी कार्य करती है जिसे हम परागण कहते है। यह सर्वविदित है कि यदि प्रकृति में मधुमक्खीयॉं न हो तो परपरागित फसलों में परागण का कार्य संभव नहीं हैं तथा उनमें उपज लेना संभव नहीं हो सकता।

मधुमक्खी की प्रजाति ऐपिस फलोरिया का झाड़ी में लगा छता
मधुमक्खी की प्रजाति ऐपिस फलोरिया का झाड़ी में लगा छता

वर्तमान में मधुमक्खीयों की ऐपिस डोरसाटा प्रजाति द्वारा जो हमले किये जा रहे है उसके कई महत्वपूर्ण कारण है जिनमें प्रमुख कारण फसलों की कटाई के कारण इस मौसम में फूलों की कम उपलब्धता एवं तापमान का बढ़ना प्रमुख कारण है। दूसरी तरफ जब लोग समूह में एकत्रित होकर आसपास के वातावरण को बगैर देखें ऐसी जगह धुऑं या सामूहिक आवाज करते है जहां इस प्रजाति के छते मौजूद होते है तो इस प्रजाति की मधुमक्खीयों के कार्यकर्ता इसको अपने कार्य में बाधा समझकर गुस्से में आकर सामूहिक हमला करते है। तथा इस प्रजाति में डंक का आकार सबसे बड़ा एवं जहर भी अन्य प्रजाति के मुकाबले सबसे अधिक होता है तथा बच्चों एवं कमजोर व्यक्तियों में 10 से 20 डंक लगने पर अधिक जहर शरीर में जाने के कारण मृत्य हो जाती है। इस प्रकार की एक मक्खी काटती है तो वह अपना डंक मनुष्य के शरीर पर छोड़ती है जिसमें विषेष गंध मौजूद होने के कारण अन्य अनेकों मक्खीयॉं भी अकसर उसी व्यक्ति पर हमला करती है जिससे अधिकतर बड़े पैमाने पर लोग घायल होते है तथा कमजोर लोगों या बच्चों में मृत्यु होने तक की संभावना रहती है। अतः अब यह आवष्यक है कि आम जनता एवं किसानों को इसके बारे में बड़े पैमाने पर जागरूक किया जाये ताकि इस प्रकार के हादसों से बचा जा सकें एवं इस तरीके के हमलों के बाद आम जनता एवं किसान मधुमक्खी केे खिलाफ इस प्रकार का कोई कदम न उठायें जिसके कारण फसलों उत्पादन पर विपरीत प्रभाव पड़े। इस प्रकार के हमलों से बचने के लिये तथा हमला होने के बाद क्या प्रमुख सावधानियॉं रखी जाये इस विषय पर सबकों सजग एवं जागरूक करना आवष्यक है जो निम्नप्रकार से है ।
1. इस मौसम में जब व्यक्ति समूह में चलते है तो ऐसी जगह जहां इस प्रकार की प्रजाति के छते मौजूद है वहां इस प्रकार की गतिविधि जैसे धुंआ करना, सामूहिक आवाज निकलाना, पानी छिड़कना आदि न करें ।
2. ऐसी जगह जहां इस प्रकार मधुमक्खीयॉं समूह या झुंड में निकल रही हो तो लोगों को शांत रहने की आवष्यकता है।
3. ऐसा हमला होने पर तरुंत तेजी से सुरक्षित स्थान पर सीधा भागना चाहिये तथा सबसे पहले बच्चों एवं बुर्जुगों जहां तक संभव हो को सुरक्षित करना चाहिये ।
4. ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों एवं अन्य लोगों को पूरी शरीर पर कपड़े पहनने चाहिये तथा ऐसा हमला होने की अवस्था में मुंह को भी ढककर हमलें के स्थान से तेजी से दूर जाना चाहिये।
5. ऐसी स्थिति एवं ऐसे मौसम में किसी भी प्रकार के कीटनाषकों का छिड़काव नहीं करना चाहिये अन्यथा मधुमक्खीयॉं अधिक उग्र होकर बड़ा हमला कर सकती है।
6. यदि ऐपिस डोरसाटा प्रजाति की मधुमक्खीयों ने यदि बड़ा हमला किया है तथा किसी को 10 से ज्यादा मधुमक्खीयों ने काटा है तो उसको अविलंब चिकित्सालय पहूंचाकर इलाज की आवष्यकता हैं ।
7. कम मधुमक्खीयों के काटने की अवस्था में डंक के स्थान पर मिट्टी का लेप, अरण्डी का तेल, तम्बाकू या नमक को गीला कर उसका लेप या तारपीन का तेल लगाना चाहिये।
8. कम काटने की अवस्था में डंक के स्थान पर किसी प्रकार के उपलब्ध लोहे से कुछ समय तक रगड़ना चाहिये।
9. मधुमक्खी की दूसरी प्रजाति जैसे ऐपिस फलोरिया या ऐपिस सिराना के द्वारा कम हमले किये जाते है तथा हमला करने पर व्यक्ति को बहुत कम नुकसान पहुंचता है जबकि पूर्ण रूप से प्रजाति ऐपिस मेलिफेरा द्वारा इस प्रकार के हमले की घटनायें कम ही प्रकाष में आती है।
राष्ट्रीय बीजीय मसाला अनुसंधान केन्द्र, तबीजी, अजमेर

error: Content is protected !!