◆ *मनुष्य के जीवन मे एक इष्ट जरूर होना चाहिए तभी मंजिल मिलेगी , मेरा इष्ट कृष्ण है इसलिए में उनके लिए गाता हूँ – विनोद अग्रवाल ••••*
*। दुनिया से दिलो जान पे जो कुर्बान बहुत है ।।दरअसल वे ही लोग दुनिया मे परेशान बहुत है।*
हर मनुष्य के जीवन मे उसका कोई एक इष्ट जरूर होना चाहिए तभी वह अपनी मंजिल को पा सकता है । यदि हमने अपनी कई सारी मंजिले बना ली तो जीवन मे हम कही नही पहुँच पाएंगे और अंत तक भटकते ही रहेंगे । चाहे भगवान शिव हो , राम हो , कृष्ण हो , हनुमान हो , या फिर दुर्गा , गणेश , भैरव या अन्य कोई देवता । सभी मे वही एक ईश्वर मौजूद है बस सभी के नाम अलग अलग है । इसलिए ईष्ट का एक होना बेहद जरूरी है – मेरा ईष्ट कृष्ण है इसलिए में उनके लिए गाता हूँ । भजन गाना मेरा शौक है और वही शौक पूरा करने के लिए में देश भर में जाता हूँ । यह कहना है देश के प्रसिद्ध भजन गायक विनोद अग्रवाल का ••••
अग्रवाल ने बताया कि संसार मे नाद ब्रम्ह और शब्द ब्रम्ह यह दो शब्द है । नाद से संगीत निकलता है और शब्द ब्रम्ह से शब्द । जब यह दोनों मिल जाते है तब परम ब्रम्ह की उत्पत्ति होती है और ऐसा होने पर ही जीवन मे परम आनंद प्राप्त किया जा सकता है । उन्होंने कहा कि तनाव उनके जीवन मे भी आता है परंतु उसका समय थोड़ा होता है । उनके4स अनुसार प्रकाश हमेशा सीधी रेखा में होता है जब कि साउंड का घेरा चारो तरफ होता है । इसका ओरा बनना महत्वपूर्ण है । जैसे हो ओरा बन जाता है मेरा सारा तनाव खत्म हो जाता है ।
देश मे कई बाबा लोगो के गलत आचरण की घटनाओं से हो रही बदनामी के सवाल पर अग्रवाल ने इतना ही कहा कि अच्छाई और बुराई हर युग मे रही है । इसे ईश्वर ने ही बनाया है । आज के समय मे माया का आकर्षण ही जीवन का सबसे बड़ा विकार है और यह बात चाहे बाबा हो या आम गृहस्थी , सभी के जीवन पर लागू होती है । इसलिए कोई भी व्यक्ति माया के आकर्षण से जितना दूर रहेगा वह उतना ही अपनी मंजिल के नजदीक रहेगा । उन्होंने कहा कि में भी गृहस्थी हूँ । परिवार की जिम्मेदारियों को ठीक ढंग से निभा सकू वो मेरे लिए ज्यादा अहमियत रखता है इसलिए में पूजा पाठ को कम और गृहस्थ जीवन को ज्यादा महत्व देता हूँ ।
बातचिंत के अंत मे अग्रवाल ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के प्रति अपनी श्रद्धांजलि प्रकट करते हुए उनकी आत्मिक शांति के लिए भगवान से प्रार्थना की और चार पंक्तियां गाकर उन्हें समर्पित की •••
*वो चाल चल , के उम्र खुशियों से कटे तेरी ।*
*वो काम कर की ,याद तुझे सब किया करे ।।*
*जिस जुबां पर हो , तेरा जिक्र ए खैर ही ।*
*और तेरा नाम ही ले, तो अदब से लिया करे ।।*
*राकेश भट्ट*
*प्रधान संपादक*
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