आमजन को जागरूक करना आवश्यक- सुश्री वंदना नोगिया

असंभव कुछ भी नहीं, साहस से सब संभव- श्री धर्मेन्द्र गहलोत
सभांगीय आयुक्त डाॅ. भटनागर व कलक्टर डाॅ. मलिक ने कहा स्वच्छता सबकी नैतिक जिम्मेदारी
खुले में शौच की प्रथा से मुक्त ग्राम पंचायतों की आमुखीकरण कार्यशाला जवाहर रंगमंच पर आयोजित

संभागीय आयुक्त डाॅ. धर्मेन्द्र भटनागर जिला परिषद की ओर से खुले में शौच की प्रथा से मुक्त ग्राम      पंचायतों की आमुखीकरण कार्यशाला में उपस्थित प्रतिभागियों को स्वच्छता की शपथ दिलवाते      हुए।
संभागीय आयुक्त डाॅ. धर्मेन्द्र भटनागर जिला परिषद की ओर से खुले में शौच की प्रथा से मुक्त ग्राम
पंचायतों की आमुखीकरण कार्यशाला में उपस्थित प्रतिभागियों को स्वच्छता की शपथ दिलवाते
हुए।
जिला कलक्टर डाॅ. आरूषी मलिक जिला परिषद की ओर से खुले में शौच की प्रथा से मुक्त ग्राम      पंचायतों की आमुखीकरण कार्यशाला को संबोधित करते हुए।
जिला कलक्टर डाॅ. आरूषी मलिक जिला परिषद की ओर से खुले में शौच की प्रथा से मुक्त ग्राम
पंचायतों की आमुखीकरण कार्यशाला को संबोधित करते हुए।
अजमेर, 19 सितम्बर। जिला स्वच्छता मिशन जिला परिषद की ओर से खुले में शौच की प्रथा से मुक्त ग्राम पंचायतों की आमुखीकरण कार्यशाला आज जवाहर रंगमंच पर आयोजित हुई। कार्यशाला में मुख्य वक्ता श्री अजय सिन्हा ने खुले में शौच की प्रथा को मानसिक बीमारी बताते हुए विस्तृत प्रजेन्टेशन दिया। इस मौके पर संभागीय आयुक्त डाॅ. धर्मेन्द्र भटनागर एवं कलक्टर डाॅ. आरूषी मलिक, जिला प्रमुख वन्दना नोगिया, महापौर श्री धर्मेन्द्र गहलोत ने भी प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए खुले में शौच को समाज के लिए अभिशाप बताते हुए इसे समाप्त करने हेतु जनजागरण व जागरूकता की बात कही।
जिला प्रमुख सुश्री वन्दना नोगिया ने कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहा कि स्वच्छ वातावरण से स्वास्थ्य व सुख मिलता हैं अतः खुले में शौच की प्रथा को समाप्त करने के लिए आमजन को जागरूक करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि आमजन को जागरूक करने से पूर्व जनप्रतिनिधियों का जागरूक होना आवश्यक है यदि जनप्रतिनिधि जागरूक होंगे तो वे समाज में खुले में शौच की प्रथा को समूल नष्ट करने में अहम भूमिका निभाएंगे। साथ ही उन्होंने उपस्थित महिला सरपंच से आव्ह्ान किया कि वे एकजुट होकर अपने-अपने गांव में खुले में शौच के विरूद्ध अभियान के तहत कार्य कर महिला अस्मिता व सम्मान की रक्षा हेतु जुट जाएं।
महापौर श्री धर्मेन्द्र गहलोत ने कहा कि केन्द्र व राज्य सरकार स्वच्छ भारत मिशन के तहत खुले में शौच की प्रथा को समाप्त करने हेतु संकल्पबद्ध होकर कार्य कर रही है। स्वच्छता के इस अभियान को सफल बनाने हेतु एकजुट होकर कार्य करने एवं जनजागरण की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि कुछ भी असंभव नहीं है साहस से सभी लक्ष्य संभव है, इस मिशन की सफलता के लिए जनप्रतिनिधि, आम नागरिक एवं अधिकारी सभी को नैतिक कर्तव्य मानकर कार्य करने की आवश्यकता है।
संभागीय आयुक्त डाॅ. धर्मेन्द्र भटनागर ने कहा कि प्रधानमंत्राी श्री नरेन्द्र मोदी एवं प्रदेश की मुख्यमंत्राी श्रीमती वसुंधरा राजे ने स्वच्छता को प्राथमिकता देते हुए खुले में शौच के अभिशाप से समाज को मुक्त करने हेतु स्वच्छ भारत मिशन कार्यक्रम चलाया है। उन्होंने कहा कि स्वच्छता व स्वास्थ्य हेतु समाज को खुले में शौच से मुक्त करना जरूरी है इसे जनआंदोलन बनाकर जन-जन तक इसके महत्व को पहुंचाना होगा, जिससे लोग स्वप्रेरित होकर घरों में शौचालय का निर्माण कराएं। साथ ही उन्होंने कहा कि गांव के साथ शहरों को भी खुले में शौच की प्रथा से मुक्त करना आवश्यक है, ग्रामीण क्षेत्रों में सरपंच की भूमिका अहम है क्योंकि ग्रामीण उसे मित्रा, दार्शनिक व सही मार्ग बताने वाला मानते है अतः सभी सरपंच अपने क्षेत्रा के निवासियों को खुले में शौच के सामाजिक व स्वास्थ्य संबंधी दुष्परिणामों से अवगत कराते हुए शौचालय निर्माण हेतु जागरूक करें।
जिला कलक्टर डाॅ. आरूषी मलिक ने कहा कि मुख्यमंत्राी श्रीमती वसुंधरा राजे ने गत 24 जुलाई को जयपुर में आयोजित कलेक्टर्स की कार्यशाला में इस बात पर अफसोस जाहिर किया था कि आजादी के कई वर्षो बाद भी मात्रा 300 ग्राम पंचायतें खुले में शौच की प्रथा से मुक्त हो सकी है। उन्होंने बताया कि माननीय मुख्यमंत्राीजी की प्रेरणा से गत एक अगस्त, 2015 से अजमेर जिले में स्वच्छ भारत मिशन के तहत खुले में शौच की प्रथा को समूल नष्ट करने हेतु अभियान के तहत कार्य प्रारम्भ किया गया जिसके परिणामस्वरूप अल्प अवधि में ही अभूतपूर्व सफलता प्राप्त करते हुए अजमेर शौचालय निर्माण के वार्षिक लक्ष्य को अवधि से पूर्व ही प्राप्त कर चुका है। जिले में अब तक 71 हजार शौचालयों का निर्माण किया गया है एवं 18 ग्राम पंचायतों को खुले में शौच की प्रथा से मुक्त कर दिया गया है। साथ ही उन्होंने कहा कि दिसम्बर 2015 तक जिले की 100 ग्राम पंचायतों को खुले में शौच के अभिशाप से मुक्त कर लिया जाएगा।
डाॅ. मलिक ने बताया कि प्रदेश में बीकानेर ने स्वच्छ भारत मिशन के तहत अभूतपूर्व कार्य किया है लेकिन जनजागरण के इस अभियान को सफल बनाने में तीन वर्ष का समय भी लगा। वहीं अजमेर जिले ने अल्प समय में ही खुले में शौच से मुक्ति के अभियान को जन-जन तक पहुंचाकर लोगों को घरों में शौचालय निर्माण व उपयोग हेतु प्रेरित किया है। जनजागरण के इस कार्य में सभी उपखण्ड अधिकारी, विकास अधिकारी, तहसीलदार, प्रधान, सरपंच, स्वच्छता प्रेरक एवं प्रबुद्धजनों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों के साथ ही जिले के नगर निकायों को भी पूर्णतः खुले में शौच से मुक्त करने हेतु नगर निकाय के जनप्रतिनिधियों की कार्यशाला भी आयोजित की जाएगी।
निदेशक फीडबेक फाउण्डेशन के श्री अजय सिन्हा ने कार्यशाला को मुख्य वक्ता के तौर पर संबोधित करते हुए कहा कि खुले में शौच के लिए जाना एक मानसिक बीमारी है इस बीमारी को समूल नष्ट करने के लिए जमीन पर शौचालय निर्माण की सीख देने के बजाय व्यक्ति के दिल और दिमाग में शौचालय बनाने के संस्कार जागृत करने होंगे। स्वच्छता व स्वास्थ्य के लिए समाज को खुले में शौच की बीमारी से मुक्त करना नितान्त आवश्यक है। उन्होंने बताया कि खुले में शौच कलंक, अभिशाप व अधर्म है जो लोग खुले में शौच जाते है उनके मल की गन्दगी से हवा, पानी समेत सम्पूर्ण वातावरण दूषित हो जाता है जिसके चलते देश में एक वर्ष से कम आयु के एक हजार बच्चों की प्रतिदिन संक्रमित होने से मृत्यु हो जाती है। इस प्रकार यदि गांव का एक भी व्यक्ति खुले में शौच के लिए जाता है तो वह पूरे गांव को बीमार कर सकता है।
श्री सिन्हा ने बताया कि शौचालय का घरों में निर्माण करना ही काफी नहीं है बल्कि लोगों की सोच को बदलना भी आवश्यक है जिससे वे खुले में शौच के लिए ना जाएं। कई लोग घरों में शौचालय होने के बावजूद भी खुले में शौच के लिए जा रहे है क्योंकि वे लोग मानसिक तौर पर इस अभिशाप से मुक्त होने के लिए तैयार नही है। उन्होंने बताया कि खुले में शौच के लिए जाना सामाजिक बलात्कार है जिसका समय व स्थान भी निर्धारित है, अतः आवश्यकता इस बात की है कि सामाजिक बलात्कार के इस कृत्य को रोकने के लिए ऐसे लोगों को शर्मिन्दा कर खुले में शौच ना करने के लिए पाबन्द किया जाए। गांवों में लोग दस-दस की टोलियां बनाकर सुबह ऐसे स्थानों पर जाएं जहां लोग खुले में शौच करने आते है और उन्हें वहां इसके दूष्परिणामों से अवगत कराए। इस प्रकार लोगों में शर्म व घृणा उत्पन्न कर उनके व्यवहार में परिवर्तन लाया जा सकता है।
जिला परिषद के मुख्यकार्यकारी श्री राजेश कुमार चैहान ने बताया कि जिले में स्वच्छ भारत मिशन के तहत अभूतपूर्व कार्य हुआ है। आगामी 2 अक्टूबर तक जिले की 85 ग्राम पंचायतों को खुले में शौच से मुक्त कर लिया जाएगा एवं दिसम्बर 2015 तक 100 ग्राम पंचायतों को खुले में शौच की प्रथा से मुक्त किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस जनआंदोलन को जो सहयोग मिल रहा है उसे देखते हुए जिले की समस्त 282 ग्राम पंचायते भी शीघ्र ही खुले में शौच की प्रथा से अवश्य मुक्त हो जाएगी।
इससे पूर्व कार्यशाला का शुभारम्भ सरस्वती प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्जवलन से हुआ। कार्यशाला के अन्त में संभागीय आयुक्त डाॅ. धर्मेन्द्र भटनागर ने समस्त प्रतिभागियों को स्वच्छता की शपथ दिलायी। इस मौके पर मुख्यकार्यकारी अधिकारी नगर निगम श्री एच.गुईटे, अतिरिक्त जिला कलक्टर श्री किशोर कुमार, अतिरिक्त मुख्यकार्यकारी जिला परिषद श्री जगदीशचन्द्र हेडा, उपखण्ड अधिकारी, विकास अधिकारी, तहसीलदार, सरपंच समेत कई गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।
स्वच्छता की शपथ
मै शपथ लेता हूं कि मैं स्वयं स्वच्छता के प्रति सजग रहूंगा और उसके लिए समय दूंगा।
हर वर्ष 100 घण्टे यानी हर सप्ताह 2 घण्टे श्रमदान करके स्वच्छता के इस संकल्प को चरितार्थ करूंगा।
मैं न गंदगी करूंगा न किसी और को करने दूंगा।
सबसे पहले मैं स्वयं से, मेरे परिवार से, मेरे मुहल्ले से, मेरे गांव से एवं मेरे कार्यस्थल से शुरूआत करूंगा।
मैं यह मानता हूं कि दुनिया के जो भी देश स्वच्छ दिखते हैं उसका कारण यह है कि वहां के नागरिक गंदगी नहीं करते और न ही होने देते हैं।
इस विचार के साथ मैं गांव-गांव और गली-गली स्वच्छ भारत मिशन का प्रचार करूंगा।
मैं आज जो शपथ ले रहा हूं, वह अन्य 100 व्यक्तियों से भी करवाऊंगा। वे भी मेरी तरह स्वच्छता के लिए 100 घ्ंाटे दें, इसके लिए प्रयास करूंगा।
मुझे मालूम हैं कि स्वच्छता की तरफ बढ़ाया गया मेरे एक कदम पूरे भारत देश को स्वच्छ बनाने मैं मदद करेगा।

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