अजमेर 9 जून। तीर्थगुरू पुष्करराज के श्री शांतानन्द उदासीन आश्रम में गुरूवार को एक विशाल धार्मिक आयेाजन के दौरान वर्तमान महंत राममुनिजी महाराज ने शिष्य हनुमानरामजी उदासीन को आश्रम का महंत बनाया। इस मौके पर देश के कौने-कौने से आये संत, महात्मा और महापुरूषों के साथ आश्रम से जुडे सैकड़ों श्रृद्धालु भी मौजुद रहे। भव्य समारोह में मौजुद महामण्डलेश्वरों और संतमहात्माओं ने महंत बने हनुमानरामजी का जोरदार स्वागत करते हुए आशीर्वाद स्वरूप माला और शॉल पहनाकर महंताई ग्रहण करायी। वहीं सेवादारों ने महंत हनुमानरामजी को माला पहनाकर आर्शीवाद प्राप्त किया। इससे पूर्व बुधवार से श्री शान्तानन्द उदासीन आश्रम में चल रहे श्री ‘रामचरितमानस’ के अखण्ड पाठ का समापन विधिवत आरती और रामधुनी के साथ किया गया।
महंत श्री राममुनि जी उदासीन व उदासीन भेष भगवान द्वारा महंताई और उत्तराधिकारी पदोत्सव महंत हनुमानराम जी उदासीन के आयोजन को सम्बोधित करते हुए महामण्डलेश्वर स्वामी हंसराम साहिब ने कहा कि सनातन धर्म में मठों एवं मन्दिरों में यह परम्परा अनादिकाल से चली आ रही है। आज के इस युग में सन्त कम होते हैं, श्री राममुनिजी ने एक ऐसा ही पुनित कार्य किया कि अपने जीवनकाल में ही मंहताई और उत्तराधिकारी पद दे दिया। यह अपने आप में एक उदाहरण बन गया कि दुसरे आश्रमों में भी जहां महन्त अस्वस्थ है, वहां नवयुवकों को आश्रमों की बागडोर देकर इस सनातन धर्म की परम्परा की ध्वजा को ऊँची करेगें।
महामण्डलेश्वर स्वामी कपिलमुनिजी महाराज ने कहा कि जो सेवा कर सन्त बनते है और एक भगवा पहनकर सन्त बनते हैं उनके सन्तों को सेवा और सिमरन का ध्यान रहता है। जिसको भी जीवन में सन्त बनना है, वह पहले से सेवा करे। जिस तरह हनुमान भाऊ ने हिरदारामजी की सेवा करी अपने गुरू परम्परा को सेवा में रखकर आगे बढ़ाया।
महंताई पद देने वाले राममुनिजी महाराज ने कहा कि सत्संग, सेवा और सिमरन की ज्योत आगे बढ़ाने की बागडोर मैं महंत हनुमानराम भाऊ के जिम्मे कर रहा हूँ। स्वामी जी के सिखाये रास्ते पर चलकर श्रद्धालुओं को भी सही रास्ता दिखायेगें।
महंताई व उत्तराधिकारी बने महंत हनुमानराम भाऊ ने कहा कि जो जिम्मेदारी समाज को सही रास्ते पर ले जायेगी उसे अपने जीवन में गुरूओं के सिखाये सही मार्ग पर ले जाने का कार्य करेंगे। उन्होंने ‘‘बच्चा, बुढ़ा या बीमार हो सभी परमेश्वर के यार, सभी करे भावना से सेवा, पाये लोक परलोक में सुख अपार’’ की भावना से श्रद्धालुओं को सेवा व सिमरन करने पर जोर दिया।
इस अवसर पर संत समागम में जिन संतो द्वारा प्रवचन व विधिविधान से पट्टाभिषेक किया गया उनमें महामंडलेश्वर स्वामी हंसरामजी महाराज, महामंडलेश्वर स्वामी कपिलमुनिजी महाराज, इंदौर के महंत स्वामी संतोषदासजी महाराज, महंत ईश्वरदासजी महाराज, भीलवाड़ा के मंहत गणेशदास जी महाराज, किशनंगढ़ के महंत श्यामदास जी महाराज, अजमेर के महंत स्वरूपदास जी महाराज, महंत रामदास जी महाराज, गांधीधाम के महंत दर्शनदास जी महाराज, पंजाब के महंत जमुनादास जी महाराज, उल्हासनगर के स्वामी राजनदासजी महाराज, राजकोट के स्वामी अमरलालजी महाराज, सिवनी के स्वामी संतुरामजी महाराज, भावनगर के स्वामी दीपक कुमार महाराज, सतना के महंत स्वामी चिंमयादासजी महाराज, महंत स्वामी ईश्वरदासजी महाराज, महंत संतोषदासजी महाराज, महंत पुरषोतमदास, भीलवाड़ा के मंहत स्वामी लक्ष्मणदास, हरिद्वार के मनुकृष्णजी महाराज, मनसा के महंत अमृतमुनिजी महाराज, इंदौर के माधवदासजी महाराज, भोपाल के मोहनदासजी महाराज, रिवा के हंसदासजी महाराज, भोपाल के तुलसीदासजी महाराज, ज्ञानानन्द तीर्थ भानूपुरा के जगतगुरू युवा शंकराचार्यजी महाराज आदि संत, महात्मा मौजूद रहे।
इसके साथ साथ उदासीन सम्प्रदाय पुष्कर के गुरू वेदजी पाराशर, नगर पालिका पुष्कर के पार्षद शिवस्वरूप महर्षि, विष्णु सेन, रोहन बाकोलिया, कमल पाराशर, पुष्कर भाजपा मण्डल अध्यक्ष पुष्करनारायण भाटी, कंवल प्रकाश, नरेन साहनी भगत, भगवान कलवानी, महेन्द्र तीर्थानी, खेमचन्द नारवानी, मोहन लालवानी, महेश लखन, मनीष प्रकाश, पारस लौंगानी, आई.जी. भम्भानी, भवानी थदानी, प्रेम केवलरमानी, प्रभु लौंगानी, बेरागढ़ भोपाल, भरतपुर, अहमदाबाद, गुजरात, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, पंजाब के कई एवं आश्रम के श्रद्धालुओं कार्यक्रम में मौजूद रहे।
कंवल प्रकाश किशनानी
मो. 9829070059