गोपाल गर्ग ने ‘एक शाम ग़ज़ल के नाम में गुनगुनाई ग़ज़लें

100_2390अजमेर/ कला-साहित्य के प्रति समर्पित ‘नाट्यवृंद‘ और प्रबुद्ध मंच द्वारा आयोजित कार्यक्रम ‘एक शाम ग़ज़ल के नाम‘ में संजीदा गजलकार गोपाल गर्ग ने तरन्नुम के अपने विषेष अंदाज में सुरीली गजलें सुनाकर श्रोताओं को भावविभोर कर दिया। उन्होंने ‘क्या हुआ जिंदगी भर की कमी निकला, चन्द लम्हों को सही सच्ची खुषी निकला। दर्द में चुपचाप मेरे पास आ बैठा, यार तू तो एक मुकम्मल आदमी निकला।‘, ‘रह नहीं किसी के एक से दिनमान चिड़िया, इन दिनों की धूप का इतना बुरा मतम न चिडिया। मिल तो जाता है एक मुट्ठी बाजरा घरों में, पर त1ुम्हारी भूख पे जाता नहीं है ध्यान चिडिया।‘, ‘कुछ आवाजें बरसों बीते बाद सुनाई देती हैं, जैसे मुझपर बन्द हुए उन दरवाजों की आवाजें‘, ‘पहले तो अपनी तकलीफें समझाता है प्यार, फिर भी जो ना समझे उसका हो जाता है प्यार।‘, ‘कहते हैं नजदीकीयां कर देती हैं दूर, ऐसी ही कुछ दूरियां हैं हम दोनों के बीच।‘ जैसी हिन्दी ग़ज़लें सुनाकर गजलप्रेमियों की खूब दाद बटोरी।
100_2366प्रारंभ में संयोजक उमेष कुमार चौरसिया ने परिचय देते हुए कहा कि गोपाल गर्ग की गजलों में श्रंगार प्रमुखता से उभरता है और प्रकृति का मानवीकरण उनकी गजलों की विषिष्टता है। डॉ. अनन्त भटनागर ने उनकी गजलों में प्रकट होती गीत की रूमानियत और नजाकत का विवेचन किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे पद्मश्री डॉ. चन्द्रप्रकाष देवल ने गोपाल गर्ग की गजलों में एक स्थायी भाव है वह है विरह का वियोग का। भीतर और बाहर से एक नजर आने वाला एक अच्छा इंसान हो सकता है किन्तु अपनी शायरी में भीतर और बाहर के एक होने को अभिव्यक्त करने वाला अच्छा शायर होता है, यह विषेषता गोपाल गर्ग में है। इनकी गजलों में सादा जुबान और तरन्नुम की मिठास प्रमुख गुण है। हास्य कवि रासबिहारी गौड ने कहा कि गोपाल गर्ग इरादतन गजलें नहीं लिखते उनकी गजलें स्वतः सहज प्रवाह लिये होती हैं। इनकी गजलों में जितनी मिठास है उनके व्यहार में भी उतनी ही आत्मीयता है। डॉ. रमेष अग्रवाल ने गोपाल गर्ग को मिजाज का शायर बताया वहीं कवि बख्शीष सिंह ने कहा कि इनकी गजलों की बारीकी श्रोता को आवाक कर देती है और दर्द की टीस भीतर तक चुभती है। इस अवसर पर डॉ. बृजेष माथुर, डॉ.शकुन्तला तंवर, शषि शर्मा, मिनाली गर्ग, देवदत्त शर्मा, श्याम माथुर, लता तायल, शषि गर्ग, डॉ तेजसिंह कछवाहा, डॉ सुधा अग्रवाल, वर्षा चढढा,एम.एस.तंवर इत्यादि साहित्यप्रेमी उपस्थित थे।
-उमेष कुमार चौरसिया
संयोजक
संपर्क-9829482601

error: Content is protected !!