-राजकुमार शर्मा- मदनगंज-किशनगढ। किशनगढ स्थित ऐतिहासिक झील गुन्दोलाव के संरक्षण व संवर्धन हेतु 42 करोड रूपये खर्च करने की योजना है, यह जानकारी न्यायालय में विचाराधीन जनहित वाद विजय पारीक एडवोकेट व अन्य बनाम नगरपरिषद व अन्य के वाद मे प्रभारी अधिकारी एवं अधिशाषी अभियन्ता आर.यू.आई.डी.पी. द्वारा प्रस्तुत जवाब मे दी गयी है।
न्यायालय मे विचाराधीन है वाद
नगर की प्राचीन व रमणीय झील गुंदोलाव मे तेजी से फै लती जलकुभी, अतिक्रमण, जल प्रदुषण, जलीय जीवो की असामयिक मृत्यु व अन्य दुर्दशा से व्यथित नगरवासी वकील विजय पारीक, विश्राम चौधरी, शरद पारीक, मुकेश टिंकर व दीपक खटाणा ने झील के संरक्षण संर्वधन एवं राष्ट्रीय झील संरक्षण योजना के तहत बजट प्राप्ति हेतू त्वरित कार्यवाही कर झील को पर्यटन की दृष्टि से विकसित कर नगरवासियों को इसके आनन्द प्राप्ति हेतू अनुकूल बनाने की प्रार्थना के साथ एक जनहित वाद न्यायालय में प्रस्तुत किया जो अतिरिक्त सिविल न्यायाधीश श्वेता ढाका के न्यायालय में विचाराधीन है।
आर.यू.आई.डी.पी. ने भेजा 42 करोड का एस्टीमेट
आर.यू.आई.डी.पी. द्वारा न्यायालय में प्रस्तुत जवाब मे बताया गया है कि परियोजना निदेशक, राष्ट्रीय झील संरक्षण योजना, जयपुर डा. पृथ्वी आई.ए.एस. ने अपने पत्र क्र. 9०3०-33 दिनांक 6-8-13 द्वारा विस्तृत परियोजना रिपोर्ट अनुमानित लागत राशि रू. 42 करोड रूपये की तैयार कराकर भारतीय प्रौद्योगिकि संस्थान रूडकी से मूल्यांकन करा कर संयुक्त सचिव पर्यावरण एवं वन विभाग के मन्त्रालय भारत सरकार को भेज दी गई है।
कब का हो चुका अनुमोदन
गुंन्दोलाव झील के लिये डी.पी.आर. का अनुमोदन जिला क्लेक्टर कार्यालय मे सी.एल.सी. की मिटिंग 19-3-12 को गुन्दोलाव झील व सांभर झील को लेकर आयोजित बैठक में हो चुका था जिसे 6-8-13 को मन्त्रालय के पास भेजा गया है।
ऐसे निखरेगी झील
42 करोड क ी डी.पी.आर. मे झील के सौन्दर्य संरक्षण व संवर्धन हेतू उक्त राशि को झील की विभिन्न समस्याओ के निराकरण मे खर्च करने की योजना चरण वार बनाई गयी है जिसमे हमीर सागर तालाब के प्रदुषित पानी को गुंदोलाव झील मे मिलने से रोकने सहित यह प्रमुख है। झील मे अपशिष्ठ निवारण, विधायिका व प्रशासनिक सुधार हेतु जनसूचना, झील की पाल की मरमत, जन सुविधाओ का निर्माण, झील मे जल के आवक व जावक का पुन:निर्माण, झील की सुरक्षा हेतु तारबन्दी, झील पर विद्युतीकरण, झील मे शुद्व वायु का मशीनीकृत प्रवाह, झील पर से अतिक्रमण हटाना, झील के पारिस्थितिकी तंत्र व जलीय संरचना का मजबूतीकरण करना, पुरातात्विक स्मारको का संरक्षण व जीर्णोदार, झील के फै लाव व आवक क्षेत्र मे सुधार समिलित है।
3० प्रतिशत राशि वहन करेगी राज्य सरकार
झील के संरक्षण व संवर्धन पर ार्च होने वाली प्रोजोक्ट राशि का 3० प्रतिशत राज्य सरकार द्वारा वहन करने की स्वीकृति पूर्व मे ही प्रदान की जा चुकि है।
कागजो मे ही सिमट न जाये योजना
गुंन्दोलाव झील मे वर्तमान दुर्दशा किसी से छिपी नहीं है बेताशाह पनपी जलकुभी व प्रदुषण से झील का पानी दुषित हो रहा है एवं झील अपना सौन्दर्य खो रही है। स्थानीय निकाय व प्रशासन के प्रयास नाकाफ ी साबित हो रहे है। वर्ष 2००8 में नगरपरिषद द्वारा डी.पी.आर. के लिये आने वाले खर्च का राज्य सरकार द्वारा पुन:भरण होने तक वहन करने की सहमति देकर आगे की अपनी इतिश्री कर ली तो राष्ट्रीय संरक्षण योजना के तहत होने वाली कार्यवाही मे जनहित वाद के बाद तेजी तो जरूर आई है परन्तु लबी कागजी कार्यवाही होने से अभी भी समय लगने की संभावना है तब तक स्थानीय स्तर पर प्रयास होना जरूरी है।
इनका कहना है
गुंन्दोलाव झील किशनगढ का गौरव है जनहित वाद का उद्ेश्य झील के संरक्षण व संवर्धन हेतू था, कार्य मे प्रगति आने से खुशी हुई है।
–विजय पारीक-एडवोकेट याचिका कर्ता
