बहरहाल, कार्यवाहक अध्यक्ष कोई भी रहे, मगर बडा सवाल ये है कि आखिर एडीए के अध्यक्ष जैसे महत्वपूर्ण पद पर पूर्णकालिक अध्यक्ष की नियुक्ति कब की जाएगी। यह सवाल इस कारण ज्यादा अहम है क्योंकि अजमेर को स्मार्ट सिटी बनाया जाना है। वह काम कोई स्थाई अध्यक्ष ही ठीक से अंजाम दे सकता है। इसी संदर्भ में यह बताना प्रासंगिक होगा कि भटनागर ने बिना स्पश्ट गाइडलाइन के ही र्स्माट सिटी की कवायद षुरू कर दी थी, जिस पर लाखों रूपए बर्बाद हो गए। उन्होंने तो बाकायदा चंद समाजसेवियों को स्मार्ट सिटी के लिए राय देने के नाम पर सम्मानित तक किया। उनकी उस स्मार्ट सिटी का क्या हुआ, पता नहीं। अब अजमेर को देष के उन एक सौ षहरों में षामिल किया गया है, जिनको स्मार्ट सिटी बनाया जाना है। उसके लिए नए सिरे से कवायद की जा रही है। नगर निगम फिर नए सुझाव मांग रहा है। चूंकि अजमेर विकास प्राधिकरण के पास अजमेर के विकास का जिम्मा है, अतः यह लाजिमी है कि उसका अध्यक्ष कोई पूर्णकालिक हो। वो भी अगर जनप्रतिनिधि हो तो बेहतर, क्योंकि उसे अजमेर की जनता की अपेक्षाएं बेहतर पता होंगी। आए दिन सुना ये जाता है कि जल्द ही किसी भाजपा नेता को अध्यक्ष बनाया जाएगा, मगर हर बार वह अफवाह ही रह जाती है। इन दिनों फिर से चर्चा थी कि इस पद पर नियुक्ति होगी, मगर जैसे ही भटनागर सेवा से मुक्त हुए तो गेरा को यह जिम्मा दे दिया गया।
यहां आपको बता दें कि अजमेर विकास प्राधिकरण के पहले अध्यक्ष पद का दायित्व तत्कालीन कलेक्टर वैभव गालरिया को सौंपा गया था। प्राधिकरण बनने के बाद से अटकलें लगाई जा रही थी कि अध्यक्ष पद पर किसकी नियुक्ति होगी। विधानसभा चुनाव निकट होने की वजह से इस पद पर राजनीतिक नियुक्ति होने की उम्मीद न के बराबर थी। प्रशासनिक हल्कों में अध्यक्ष का पद संभागीय आयुक्त अथवा वरिष्ठ भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी को देने की उम्मीद थी, लेकिन सरकार ने कलेक्टर को कार्यभार सौंपकर सबको अचंभित कर दिया था।
-तेजवानी गिरधर
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